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Tariff: भारत के आगे झुकने पर मजबूर हुए ट्रंप? इस वजह से घटा सकते हैं टैरिफ, आ गया बड़ा अपडेट

तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था और बड़े निवेशों के चलते अमेरिका 50% से घटाकर 10-15% तक टैरिफ कम करने पर विचार कर सकता है। आईएमएफ के अनुसार, भारत 2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, जिससे भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को और गति मिल सकती है। नवंबर तक पहले चरण के समझौते की उम्मीद है।

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भारत

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Mukul Kumar

Sep 19, 2025

Indian Prime Minister Narendra Modi and US President Donald Trump

Indian Prime Minister Narendra Modi and US President Donald Trump (Photo - IANS)

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता शुरू हो गई है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि टैरिफ कम करने के लिए अमेरिका का भारत के साथ बातचीत करना महज एक संयोग नहीं है, बल्कि यह हमारी बढ़ती आर्थिक ताकत और मजबूत स्थिति का परिणाम है। टैरिफ बढ़ाने से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका में मंदी का डर सताने लगा है।

भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी। अनंत नागेश्वरन ने हाल ही में कहा कि अमेरिका जल्दी ही भारत पर टैरिफ को घटाकर 10-15 प्रतिशत के बीच कर सकता है, जो कि फिलहाल 50 प्रतिशत है।

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि इस दौरान वैश्विक विकास दर क्रमश: 3 प्रतिशत और 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

इस विकास दर के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। भारत ऐसे समय पर तेजी से विकास कर रहा है, जब दुनिया टैरिफ और अनिश्चितता से जूझ रही है।

रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक, 2025 में अमेरिका की अर्थव्यवस्था की विकास दर कम होकर 1.6 प्रतिशत रह सकती है, जो कि 2024 में 2.8 प्रतिशत थी।

बड़ी कंपनियां भारत में कर रही इन्वेस्ट

एक तरफ भारत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आगे बढ़ रहा है। दूसरी तरफ दुनिया के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में भी तेजी से विकसित हो रहा है।

सबसे बड़ी बात यह है कि भारत वैश्विक स्तर पर चीन के एक मजबूत विकल्प के रूप में सामने आया है, जहां दुनियाभर के कई दिग्गज कारोबारी समूहों ने भी निवेश किया है। यहां तक कि टेस्ला से लेकर एप्पल और सेमीकंडक्टर से जुड़ी दिग्गज कंपनियों ने भी भारत का रुख किया है।

दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां चीन से अपना उत्पादन हटाकर भारत में प्लांट लगा रही हैं। भारत में निवेश करने वाली प्रमुख कंपनियों में से एक अमेरिकी टेक दिग्गज एप्पल है, जिसने वित्त वर्ष 25 में 22 अरब डॉलर से अधिक के आईफोन की असेंबलिंग भारत में की है, जो कि इससे पहले के साल से 60 प्रतिशत अधिक है।

भारत में भी आईफोन की बिक्री तेजी से बढ़ रही

भारत में भी आईफोन की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। शुक्रवार को आईफोन 17 सीरीज की बिक्री देश में शुरू हो गई है, इसे खरीदने के लिए देश में एप्पल स्टोर्स के बाहर लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं।

अमेरिका के भारत के साथ टैरिफ कम करने के लिए बातचीत की एक वजह हमारा तेजी से बढ़ता हुआ रिटेल सेक्टर भी है। अगस्त में जारी हुई डेलॉइट-फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का रिटेल मार्केट आने वाले पांच वर्षों में करीब दोगुना हो सकता है।

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के रिटेल मार्केट का आकार 2030 तक बढ़कर 1.93 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जो कि 2024 में 1.06 ट्रिलियन डॉलर था।

अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड डील शुरू होने की वजह ब्रिक्स की ओर से अपनी करेंसी लॉन्च करने की योजना है, जिससे डॉलर के वैश्विक स्तर पर प्रभुत्व को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत

भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बातचीत मंगलवार को शुरू हो चुकी है। अमेरिकी ट्रेड प्रतिनिधि मंडल नई दिल्ली में बातचीत के लिए आया हुआ है। क्रय शक्ति समता (पीपीपी) में भारत 2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

क्रय शक्ति समता एक आर्थिक सिद्धांत है, जो विभिन्न देशों में वस्तुओं और सेवाओं की एक मानक टोकरी की लागत की तुलना करके मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य को मापता है।

आईएमएफ के अनुमानों पर आधारित ईवाई रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर (पीपीपी के संदर्भ में) तक पहुंच सकती है, जो अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान से बेहतर स्थिति है।

ट्रेड डील को लेकर वाणिज्य मंत्रालय की ओर से क्या कहा गया?

ट्रेड डील को लेकर वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार की सतत अहमियत को स्वीकार करते हुए सकारात्मक और भविष्य उन्मुख चर्चाएं कीं।

बातचीत में व्यापार समझौते से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई और यह निर्णय लिया गया कि एक पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते को जल्द से जल्द नतीजे तक पहुंचाने के प्रयासों को तेज किया जाएगा।

इससे पहले, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 11 सितंबर को यह भरोसा जताया था कि भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील का पहला चरण नवंबर तक फाइनल हो सकता है।

उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच चर्चा सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है और दोनों पक्ष अब तक की प्रगति से संतुष्ट हैं।