
China Bangladesh
India Bangladesh China relations: बांग्लादेश (Bangladesh) और चीन के बीच नज़दीकियां बढ़ रही हैं। दोनों देशों के बीच हुए एक या दो नहीं, 9 समझौते हुए हैं। भारत और चीन (China) के बीच संबंध कोई अच्छे नहीं हैं और उधर बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आई है। शेख हसीना (Sheikh Hasina) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के नजदीक रही थीं, लेकिन मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के बागडोर संभालने के बाद बांग्लादेश का एक प्रभावी समूह भारत विरोधी विचारधारा के कारण अपने तीखे तेवर दिखाता रहा है। इसका बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं पर भी असर पड़ा है। उनके खिलाफ हुई हिंसा से भारत सरकार और भारतीय नागरिक चिंतित हैं।
प्रधानमंत्री मोदी को देश आगमन का आमंत्रण देने पर मोदी ने यूनुस को पत्र लिख कर दोनों देशों के बीच पुराने रिश्तों और बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका की याद दिलाई थी। इन दोनों देशा के मजबूत होते हुए आर्थिक और तकनीकी रिश्ते भारत और चीन के संबंधों को और जटिल बना सकते हैं। चीन की ओर से बांग्लादेश के साथ कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का मतलब है कि भारत को दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव बढ़ने का सामना करना पड़ेगा, खासकर बांग्लादेश जैसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देश में इसका गहरा असर हो सकता है। बांग्लादेश के साथ बढ़ते रिश्ते चीन के लिए भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी स्थिति मजबूत करने का एक और प्रयास हो सकते हैं। इससे भारत की दक्षिण एशियाई नीति पर दबाव बन सकता है, खासकर बांग्लादेश में चीन का आर्थिक और सैन्य हस्तक्षेप बढ़ने की संभावना है।
चीन के साथ बांग्लादेश का सहयोग बढ़ने से क्षेत्रीय सुरक्षा में एक नया आयाम आ सकता है। बांग्लादेश को चीन से मिल रहे आर्थिक और सैन्य सहयोग से भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं बढ़ सकती हैं, खासकर जब ये सहयोग साउथ चाइना सी या बंगाल की खाड़ी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में फैलने की संभावना है।
इन समझौतों में शामिल आर्थिक और तकनीकी सहयोग से बांग्लादेश में चीनी निवेश बढ़ सकता है, जो भारतीय कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा का कारण बन सकता है। चीन का बांग्लादेश में तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का मतलब है कि बांग्लादेश भारत की तुलना में चीन से अधिक सहयोग प्राप्त कर सकता है, जिससे भारतीय कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
भारत की बांग्लादेश से सीमा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के माध्यम से गुजरती है। बांग्लादेश के साथ भारत की लगभग 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो दक्षिण एशिया में एक महत्वपूर्ण सीमा रेखा है। जबकि भारत की चीन से लगती सीमा मुख्य रूप से उत्तर भारत के भारतीय राज्यों अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, और सिक्किम से होकर गुजरती है। चीन के साथ भारत की सीमा की लंबाई लगभग 3,488 किलोमीटर है, जो तिब्बत और भारतीय क्षेत्र के बीच स्थित है।
ऐसे में चीन और बांग्लादेश के बीच बढ़ता सैन्य और सुरक्षा सहयोग भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा रणनीति को प्रभावित कर सकता है। विशेष रूप से, बांग्लादेश के पास चीन से मिलने वाले सैन्य उपकरणों और तकनीकी सहयोग से भारत की दक्षिण एशियाई सुरक्षा नीति पर दबाव बढ़ सकता है। यदि यह सहयोग बढ़ता है, तो बांग्लादेश के साथ भारत के सुरक्षा संबंधों में तनाव बढ़ सकता है। चीन और बांग्लादेश के बढ़ते रिश्ते से दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन में बदलाव आ सकता है। चीन का प्रभाव बढ़ने से भारत के लिए इस क्षेत्र में अपने रिश्तों को मजबूत और संतुलित रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। भारत को इस स्थिति को लेकर रणनीतिक रूप से सतर्क रहना होगा और अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूत कूटनीतिक संपर्क बनाए रखना होगा।
उल्लेखनीय है कि चीन और बांग्लादेश ने शुक्रवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मोहम्मद यूनुस की बैठक के बाद नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, इसके दौरान बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार ने ढाका में शासन परिवर्तन के लिए जिम्मेदार छात्र विरोधों पर प्रकाश डाला और बीजिंग से शांति और स्थिरता स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाने का आग्रह किया। शी के साथ उनकी बातचीत के बाद, दोनों देशों ने दोनों देशों की सरकारों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग बढ़ाने और विकास, शास्त्रीय साहित्यिक कार्यों के अनुवाद और प्रकाशन, सांस्कृतिक विरासत पर आदान-प्रदान और सहयोग, समाचार विनिमय और मीडिया और स्वास्थ्य क्षेत्र के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने वाले नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
बहरहाल भारत को चीन-बांग्लादेश संबंधों में हो रही बढ़ोतरी के संदर्भ में अपनी कूटनीतिक रणनीतियों को फिर से परिभाषित करना होगा। भारत को यह तय करना होगा कि बांग्लादेश के साथ उसके रिश्ते भी मजबूत बने रहें और उसे अपनी क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित नजरिया अपनाना होगा। इस तरह चीन और बांग्लादेश के बीच हुए इन समझौतों से भारत को अपने कूटनीतिक और सामरिक कदमों को फिर से समायोजित करने की आवश्यकता है, ताकि वह दक्षिण एशिया में अपनी स्थिति को बनाए रख सके।
Published on:
29 Mar 2025 11:12 am
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
