टैक्स कम करने पर बन सकती है सहमति
भारत और अमेरिका के बीच अगले कुछ सप्ताह में प्रस्तावित ट्रेड डील में भारतीय उत्पादों पर टैक्स कम करने पर सहमति बन सकती है। दोनों देश ‘मिशन-500’ पर काम कर रहे हैं जिसके तहत अगले 5 साल में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को 500 बिलियन डॉलर्स का करने का लक्ष्य है। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि भारत से व्यापार संबंध मजबूत करना अमेरिका के लिए भी फायदेमंद है। ऐसे में पारस्परिक हितों वाले ट्रेड डील में अमेरिका भी टैरिफ कम करने पर सहमत हो सकता है।
आने वाले समय में तैयार होगी रूपरेखा
पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान पारस्परिक रूप से लाभकारी बहुक्षेत्रीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण की बातचीत करने की घोषणा की गई थी। वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल ने सोमवार को बताया कि उन्हें यह तय करने के लिए कुछ सप्ताह का समय चाहिए कि समझौते के पहले चरण में भारत की महत्त्वाकांक्षा का स्तर क्या है और देश जिस समझौते पर पहुंचेगा उसकी प्रकृति क्या होगी। दोनों पक्षों को एक साथ बैठकर व्यापक रूपरेखा को अंतिम रूप देने का प्रयास करना होगा।
दोनों देश मिलकर तैयार करेंगे रोडमैप
राजेश अग्रवाल ने कहा कि दोनों देश कृषि वस्तुओं के व्यापार को बढ़ाने के लिए भी मिलकर काम करेंगे। भारत, अमेरिका को 4 बिलियन डॉलर्स से ज़्यादा मूल्य के कृषि वस्तुओं का निर्यात करता है। आने वाले समय में इसमें और वृद्धि होगी। व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय है। इसलिए अगले 8-9 महीनों में भारत ऐसा करने पर सहमत हो गया है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप पर सहमति बनी है, जिसे दोनों देश मिलकर तैयार करेंगे।
सरकार की क्या रही प्रतिक्रिया?
मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अमेरिका की रेसिप्रोकल टैरिफ (पारस्परिक टैक्स) लगाने की नीति पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए सोमवार को कहा, “हम कई सुधारात्मक कदम उठा रहे हैं। इसके तहत हम एंटी डंपिंग शुल्क के साथ ही सीमा शुल्क में सुधार के ज़रिए ये सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत को हर लिहाज से निवेश के अनुकूल बनाया जाए। भारत ने टैरिफ को तर्कसंगत बनाने के उपाय पहले ही शुरू कर दिए हैं। अमेरिका से आने वाले जिन उत्पादों पर पहले से ही टैक्स कम या ज़्यादा है, उन पर बातचीत की जाएगी।”