
missile tech control
देश के लिए एक खुशखबरी। भारत इस सप्ताह मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में प्रवेश कर सकता है। इस कदम से अमेरिका से ड्रोन विमान खरीदने तथा अपने उच्च प्रौद्योगिकी वाले प्रक्षेपास्त्रों का मित्र देशों को निर्यात करने के उसके प्रयासों को बल मिलेगा।
घटनाक्रम पर नजर रख रहे सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में घोषणा यथा शीघ्र और शायद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आमंत्रण पर होने जा रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान किए जाने की उम्मीद है।
यह बड़ी सफलता भारत को उसकी इस घोषणा के बाद मिली कि बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र प्रसार के खिलाफ वह 'हेग आचार संहिता' को अपना रहा है। इस आचार संहिता को प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का पूरक समझा जाता है।
भारत ने इसकी सदस्यता के लिए पिछले साल आवेदन किया था। लेकिन एमटीसीआर के कुछ सदस्य देशों ने इसका कड़ा विरोध किया जहां निर्णय आम सहमति पर आधारित होता है। ओबामा प्रशासन ने एमटीसीआर में भारत की सदस्यता और तीन अन्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्था-ऑस्ट्रेलिया समूह, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और वासेनार अरेंजमेंट की सदस्यता का जोरदार समर्थन किया है।
अप्रैल 1987 में स्थापित स्वैच्छिक एमटीसीआर का उद्देश्य बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र तथा अन्य मानव रहित आपूर्ति प्रणालियों के विस्तार को सीमित करना है जिनका रसायनिक, जैविक और परमाणु हमलों में उपयोग किया जा सकता है। एमटीसीआर व्यवस्था के 34 सदस्यों में दुनिया के ज्यादातर प्रमुख प्रक्षेपास्त्र निर्माता शामिल हैं।
यह व्यवस्था अपने सदस्यों से अनुरोध करती है कि वह अपने प्रक्षेपास्त्र निर्यात एवं 500 किग्रा भार कम से कम 300 किमी तक ले जाने में सक्षम या सामूहिक विनाश के किसी भी प्रकार के हथियार की आपूर्ति करने में सक्षम संबंधित प्रौद्योगिकी को सीमित करें।
वर्ष 2008 से भारत उन पांच देशों में से एक है जो एमटीसीआर का एकतरफा पालन कर रहे हैं। एमटीसीआर की घोषणा के बाद समझा जाता है कि भारत और अमेरिका ड्रोन विमानों की भारतीय सेना को बिक्री के बारे में अपनी बातचीत तेज करेंगे।

Published on:
05 Jun 2016 03:42 pm
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