Iran missile strike on Tel Aviv Inside Story: ईरान ने 13 जून 2025 को इजराइल के तेल अवीव पर मिसाइल हमला कैसे किया। इस हमले में ईरान ने लगभग 150 बैलिस्टिक मिसाइलों और 100 से अधिक ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। सवाल यह है कि ईरानी मिसाइलें कई देशों के आकाश से होते हुए आखिर तेल अवीव तक कैसे पहुँची, ये मिसाइलें इज़राइल की वायु रक्षा प्रणालियों को पार करते हुए तेल अवीव और यरुशलम जैसे शहरों में कैसे पहुंची और वहां कैसे गिरीं। जमीनी हकीकत यह है कि जब ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल इस्फहान से इज़राइल की ओर दागी जाती है, तो उसके रास्ते में दुनिया की सबसे मजबूत और आधुनिक सुरक्षा दीवारें खड़ी होती हैं। इन दीवारों को पार करना बहुत मुश्किल होता है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार ईरान की मिसाइल का कई देशों के आकाशीय सुरक्षा कवच को भेद कर इजराइल तक पहुंचना किसी करिश्मे से कम नहीं है।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक ईरान की मिसाइल का सबसे पहले इसका इराक में मौजूद अमेरिकी सेना से सामना होता है और उसके बाद यूएई में तैनात फ्रांस के राफेल फाइटर्स मौजूद हैं, जिन्हें सऊदी अरब अपनी एयरस्पेस इस्तेमाल करने देता है और इनके अलावा खाड़ी में पहरा दे रहे यूएसउस कार्ज विन्सन (USS Carl Vinson) जैसे अमेरिकी विमानवाहक पोत और अत्याधुनिक मिसाइल डेस्ट्रॉयर्स से होता है।
डिफेंस एक्सपर्ट के अनुसार यदि ईरान की मिसाइल इन सभी घेरों को पार कर के आगे तक जाती है तो आगे जॉर्डन की वायुसेना, जॉर्डन में मौजूद अमेरिकी सेना और साइप्रस से उड़ान भरने वाले ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स के टायफून और F-35 लड़ाकू विमान इसे रोकने के लिए तैयार रहते हैं।
यह सब पार करने के बाद इज़राइल का एयर डिफेंस सिस्टम (Arrow-3) 2000 किलोमीटर दूर से अंतरिक्ष में ही उसे मारने की कोशिश करता है। यदि यह नाकाम होता है तो उसका ऐरो-2 (Arrow-2) मिसाइल वायुमंडल में घुसते वक्त 1500 से 500 किलोमीटर के बीच इसे गिराने की कोशिश करता है।
यदि ईरान की मिसाइल इनसे भी बच निकले, तो डेविड स्लिंग (David’s Sling) सिस्टम 300 किलोमीटर से लेकर 400 किलोमीटर तक उसका पीछा करता है। अगर यह मिसाइल वहां से भी बच जाती है तो आखिर में उसका सामना आइरन डोम ‘Iron Dome’ से होता है, जो 70 किलोमीटर से लेकर 4 किलोमीटर तक की रेंज में मिसाइल मार गिराने की पूरी क्षमता रखता है।
क्या दुनिया में किसी और देश के मिसाइल को अपने लक्ष्य तक पहुँचने में इतनी रुकावटों और सुरक्षा घेरों का सामना करना पड़ता है? यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि ईरान की ये बैलिस्टिक मिसाइल पूरी तरह से अपनी बनाई हुई है, जबकि इन्हें रोकने के लिए अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और इज़राइल की सबसे आधुनिक और महंगी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। इतनी जबरदस्त और जटिल सुरक्षा के बावजूद ईरान की मिसाइल कभी-कभी बच निकल कर अपने टारगेट तक पहुँच रही हैं और, यही ईरान के लिए इस युद्ध में सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
ईरानी मिसाइल को कई देशों के आकाश से होकर गुजरना पड़ा और रास्ते में दुनिया की सबसे आधुनिक एयर डिफेंस तकनीकें मौजूद थीं — यह एक बड़ा सामरिक और रणनीतिक सवाल है। आइए इसे रक्षा विशेषज्ञों के दृष्टिकोण (Defence Point of View) से विस्तार से समझते हैं:
ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें अत्यधिक गति (Hypersonic Speed – 5,000 से 24,000 किमी/घंटा) और ऊंचाई (1000+ किमी तक) पर उड़ती हैं। इतनी ऊँचाई और स्पीड पर मौजूद मिसाइल को ट्रैक और इंटरसेप्ट करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर जब वह सीमित समय में कई देशों के हवाई क्षेत्र से गुजर रही हो।
ईरान से इज़राइल तक का संभावित मार्ग कई देशों से होकर गुजरता है -इराक, सीरिया, जॉर्डन, सऊदी अरब या लेबनान। इन देशों में से कई या तो न्यूट्रल हैं या ईरान के खिलाफ सीधे सैन्य कार्रवाई नहीं करते। इनकी वायु रक्षा प्रणाली या तो सीमित है या पश्चिमी गठबंधन का हिस्सा नहीं।
अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों की सेनाएं इस क्षेत्र में मौजूद तो हैं, लेकिन उनका मिशन ईरान-इज़राइल प्रत्यक्ष युद्ध में शामिल होना नहीं है। इसलिए ये देश केवल तभी हस्तक्षेप करते हैं जब उनके ठिकानों को खतरा हो। मिसाइल अगर उनकी एयरस्पेस में नहीं आती, तो वे उसे नहीं गिराते।
ईरान मिसाइलों को एक साथ कई दिशाओं से लॉन्च करता है -कुछ सीधे, कुछ ड्रोन के साथ, कुछ भ्रमित करने के लिए। इससे इज़राइल की एयर डिफेंस पर बोझ बढ़ता है, और कुछ मिसाइलें सेंसर व रडार से बच निकलती हैं।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान ने नई मिसाइलों में कम रडार क्रॉस-सेक्शन (low radar cross-section) और छल (decoys ) तकनीक का उपयोग किया है। इससे रडार को असली और नकली लक्ष्यों में अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
इज़राइल की डिफेंस तकनीक जैसे ऐरो 3 Arrow-3, डेविड स्लिंग्स David’s Sling, और आइरन डोम Iron Dome बहुत शक्तिशाली हैं लेकिन उनकी संख्या सीमित है। एक साथ अगर 100+ मिसाइलें आती हैं, तो कुछ का इंटरसेप्ट न होना संभावित है।
कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि ईरान ने इलैक्ट्रॉनिक जैमिंंग (electronic jamming) या साइबर अटैक (cyber attack) से कुछ रडार या मिसाइल डिफेंस यूनिट्स को अस्थायी रूप से निष्क्रिय किया हो सकता है।
बहरहाल ईरानी मिसाइल का तेल अवीव तक पहुँचना सिर्फ तकनीकी जीत नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है। यह दिखाता है कि भले ही सामने सुपरपावर टेक्नोलॉजी हो, लेकिन कम संसाधनों वाला देश भी रणनीति, गति, और टाइमिंग के जरिए उसे चकमा दे सकता है।
Published on:
15 Jun 2025 07:52 pm