
Australian Scientists produce first kangaroo embryo using IVF
Australian Scientists produce first kangaroo embryo using IVF : ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने पहली बार इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक का उपयोग करके कंगारू भ्रूण बनाने में सफलता हासिल की है। यह न केवल विज्ञान के लिए बड़ी उपलब्धि है बल्कि संकटग्रस्त मार्सुपियल प्रजातियों (स्तनधारी जानवरों का एक वर्ग है जो अपने शिशुओं को अपने पेट के पास बनी हुई थैली में रखते हैं) के संरक्षण की दिशा में एक नई उम्मीद भी जगाती है। ऑस्ट्रेलिया में इनके विलुप्त होने की दर बेहद चिंताजनक है। अब तक कंगारूओं की 38 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। ऐसे में, यह शोध न केवल कंगारुओं के लिए बल्कि पूरे ईकोसिस्टम के लिए एक नया जीवनदान साबित हो सकता है।
क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आइसीएसआइ) तकनीक का उपयोग करते हुए पूर्वी ग्रे कंगारू के भ्रूण बनाए। इस विधि में, एक परिपक्व अंडाणु में एकल शुक्राणु को सीधे इंजेक्ट किया जाता है। यह वही तकनीक है जो मानव आइवीएफ में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है।
शोधकर्ताओं ने अब तक 20 से अधिक कंगारू भ्रूण सफलतापूर्वक विकसित किए हैं। इसके लिए, उन्होंने हाल में वन्यजीव अस्पतालों में मरणासन्न कंगारूओं से शुक्राणु और अंडाणु कोशिकाएं एकत्र कीं। यह तकनीक उन प्रजातियों के लिए विशेष रूप से कारगर है, जिनके शुक्राणु फ्रीज करने के बाद अपनी सक्रियता खो देते हैं। यह कोआला जैसे जीवों के लिए भी लाभदायक है।
परियोजना का नेतृत्व कर रहे डॉ. एंड्रेस गैम्बिनी के अनुसार, हालांकि ईस्टर्न ग्रे कंगारू की संख्या बहुत अधिक है इसलिए इन भ्रूणों को विकसित करके जन्म देने की कोई योजना नहीं है। इसके बजाय हम इस तकनीक को और अधिक परिष्कृत करने और अन्य मार्सुपियल प्रजातियों पर इसे लागू करने के लिए शोध जारी रखेंगे। ऑस्ट्रेलिया में दुनिया की सबसे विविधतापूर्ण मार्सुपियल प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इनके विलुप्त होने की दर सबसे अधिक है। हमारा उद्देश्य कोआला, तस्मानियन डेविल, नॉर्दर्न हेरी-नोज वॉम्बैट और लीडबीटर पॉसम जैसे संकटग्रस्त जीवों के संरक्षण में मदद करना है।
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Published on:
07 Feb 2025 12:24 pm
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