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पेरू में सियासी भूचाल: राष्ट्रपति दिना बोलुआर्टे को सांसदों ने हटाया, अपराध और विरोध के बीच बड़ा उलटफेर !

Peru Impeachment:पेरू की संसद ने राष्ट्रपति दिना बोलुआर्टे को महाभियोग के जरिये सत्ता से हटा दिया।

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भारत

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MI Zahir

Oct 10, 2025

Peru Impeachment

पेरू की राष्ट्रपति दिना बोलुआर्टे। (फोटो: वाशिंगटन पोस्ट)

Peru Impeachment: पेरू की राजनीति में भूचाल (Political Crisis Peru) आ गया है। शुक्रवार को देश के सांसदों ने राष्ट्रपति दिना बोलुआर्टे (Dina Boluarte) के खिलाफ महाभियोग (Peru Impeachment) लगा कर उन्हें कुर्सी से हटा दिया। यह फैसला इतना तेज था कि पूरे देश में सनसनी फैल गई। 122 सांसदों में से 118 ने हां में वोट दिया, जो एक ऐतिहासिक बहुमत है। कांग्रेस के नेता जोस जेरी (Jose Jerry) ने घोषणा की कि बोलुआर्टे अब राष्ट्रपति नहीं रहीं। यह घटना दर्शाती है कि कैसे जनता का गुस्सा और सिस्टम की नाकामी ने एक लीडर को सत्ता से बाहर कर दिया। अगर आप लैटिन अमेरिका की राजनीति में रुचि रखते हैं, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है – क्योंकि पेरू जैसे देश में ऐसे बदलाव पूरे क्षेत्र को हिला सकते हैं।

देश भर में विरोध प्रदर्शन की लहरें उठीं

ध्यान रहे कि बोलुआर्टे का कार्यकाल दिसंबर 2022 से चला आ रहा था, लेकिन यह ज्यादा शांतिपूर्ण नहीं रहा। देशभर में विरोध प्रदर्शन की लहरें उठीं, जिनमें हजारों लोग सड़कों पर उतरे। मुख्य मुद्दा था अपराध की बढ़ती घटनाएं। पेरू में चोरी, हत्या और हिंसा के मामले आसमान छू रहे थे, और सरकार पर इसे रोकने में नाकामी का आरोप लगा। बोलुआर्टे ने कई बार वादे किए, लेकिन नतीजे नजर नहीं आए। इसके अलावा, उन्होंने अदालत और कांग्रेस की सुनवाई में पेश होने से इनकार कर दिया। यह कदम उनके खिलाफ आग में घी डालने जैसा साबित हुआ। सांसदों को लगा कि राष्ट्रपति संवैधानिक जिम्मेदारियों से भाग रही हैं, जिससे महाभियोग का रास्ता साफ हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना पेरू की अस्थिर राजनीति का नया अध्याय है, जहां लीडर बदलते रहते हैं लेकिन समस्याएं जस की तस रहती हैं।

कांग्रेस को जल्द ही अंतरिम व्यवस्था करनी होगी

अब सवाल उठता है – महाभियोग के बाद क्या होगा? बोलुआर्टे की हटने से पेरू में नया राष्ट्रपति चुना जाएगा या उप-राष्ट्रपति को जिम्मेदारी मिलेगी? संविधान के मुताबिक, कांग्रेस को जल्द ही अंतरिम व्यवस्था करनी होगी। लेकिन चिंता यह है कि विरोध प्रदर्शन फिर से भड़क सकते हैं। जनता पहले से ही सरकार से नाराज है, और यह फैसला उन्हें उम्मीद तो देगा, लेकिन अस्थिरता भी बढ़ा सकता है। आर्थिक मोर्चे पर पेरू को नुकसान हो सकता है, क्योंकि विदेशी निवेशक राजनीतिक अस्थिरता से डरते हैं। इतिहास गवाह है कि पेरू में 2018 से अब तक कई राष्ट्रपति बदले हैं – पेड्रो कैस्टिलो से लेकर मार्टिन विजकार्रा तक। बोलुआर्टे का जाना इसी चक्र का हिस्सा लगता है। क्या यह बदलाव अपराध पर लगाम लगाएगा? या सिर्फ सत्ता का खेल बनेगा? आने वाले दिनों में इसका जवाब मिलेगा।

लोकतंत्र की यह परीक्षा हमें सोचने पर मजबूर करती है

पेरू जैसे विकासशील देश में लोकतंत्र की यह परीक्षा हमें सोचने पर मजबूर करती है। अपराध रोकना, जनता की आवाज सुनना – ये सिर्फ नारे नहीं, बल्कि सत्ता की असली जिम्मेदारी हैं। बोलुआर्टे का मामला दिखाता है कि अगर लीडर कानून से ऊपर हो जाएं, तो सिस्टम उन्हें नीचे खींच लेता है।

सियासी भूचाल के बाद सुलगते सवाल

बहरहाल दुनिया भर में ऐसे उदाहरण हैं, लेकिन पेरू का यह ट्विस्ट लैटिन अमेरिका को नई दिशा दे सकता है। क्या पेरू अब स्थिरता की ओर बढ़ेगा? या नया संकट खड़ा होगा? समय बताएगा। कुल मिलाकर, यह खबर साबित करती है कि सत्ता अस्थायी है, लेकिन जनता की ताकत हमेशा बनी रहती है।