
Rishi sunak
UK Election 2024: यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ( Rishi Sunak ) की ओर से 22 मई को आकस्मिक चुनाव की घोषणा के बाद यूनाइटेड किंगडम में 4 जुलाई को मतदान हो रहा है। चुनाव पूर्व के सर्वेक्षणों में 650 में से 72 सीटें मिलने का अनुमान
लगाया गया है। भारत के नजरिये से ये अच्छे संकेत नहीं हैं।
अगर वादों की बात करें तो ब्रिटेन के ऋषि सुनक ने निर्वाचित होने पर 18 साल के बच्चों के लिए अनिवार्य राष्ट्रीय सेवा का वादा किया है। सत्तारूढ़ कन्जर्वेटिव पार्टी ( Conservative Party) का कहना है कि अगर वह 4 जुलाई का आम चुनाव जीतती है तो राष्ट्रीय सेवा वापस लाएगी। इसके उलट अब तो चर्चा यह है कि सुनक के हारने पर भारत और यूके के संबंध प्रभावित होंगे। ऐसा होने पर भारत के साथ एफटीए और वीजा सहित कई मामले खटाई में पड़ सकते हैं।
यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से उम्मीद रही है कि एफटीए हासिल करने की छोटी खिड़की खुलेगी, वह खटाई में लग रही है। वैसे यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद ब्रिटेन ने तीन नए व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। यूके और भारत के बीच कोई मौजूदा व्यापार समझौता नहीं है। हालांकि 17 जनवरी 2022 को बातचीत शुरू हुई। सरकार को उम्मीद थी कि यह बातचीत अक्टूबर 2022 तक पूरी हो जाएगी, लेकिन यह समय सीमा निकल चुकी है। अब एग्जिट पोल के नतीजे उत्साहजनक नहीं हैं।
राजनीति के पंडितो का कहना है कि जनवरी 2022 में शुरू हुई भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता ने द्विपक्षीय व्यापार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। वर्तमान में इसका मूल्य लगभग £38.1 बिलियन सालाना है, यह व्यापार संबंध दोनों देशों के लिए अपार संभावनाएं रखता है। उस पर अधरझूल में लटकने के बादल मंडरा रहे हैं।
गौरतलब है कि यूनाइटेड किंगडम में प्रवासी भारतीय अब देश का सबसे बड़ा अप्रवासी समूह है। यह यूके में सबसे अधिक कमाई करने वाले जातीय समूहों में से एक है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारतीय मूल के लगभग 1.4 मिलियन लोग यूनाइटेड किंगडम में रहते हैं, जो कुल जनसंख्या का 2.5 प्रतिशत है।
उधर ब्रिटेन स्कॉच व्हिस्की, इलेक्ट्रिक वाहन, मेमने का मांस, चॉकलेट और चुनिंदा कन्फेक्शनरी उत्पादों जैसी वस्तुओं पर आयात शुल्क में पर्याप्त कटौती चाहता है। सन 2021 में, यूके के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बाहरी स्टॉक £19.1 बिलियन था। जबकि यूके में भारत का निवेश FDI £9.3 बिलियन था। विश्लेषकों का आकलन है कि अगर निवेश रुकता है तो यह सही नहीं रहेगा।
ध्यान रहे कि सन 2019 के ब्रिटिश चुनाव में भारतीय मूल के 15 संसद सदस्यों (सांसदों) ने पदभार संभाला, जिनमें दो हाई-प्रोफाइल कैबिनेट मंत्री भी शामिल थे। यूके के शीर्ष 100 उद्यमियों में से 9 और, 20 सबसे धनी निवासियों में से तीन भारतीय मूल के हैं। इसके अलावा भारतीय व्यापार जगत के दिग्गज यूके में घरों में निवेश करते हैं, जबकि यह देश विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों के लिए एक पसंदीदा स्थल बना हुआ है। उनकी यूके में 1.8 मिलियन आबादी है।
जानकारी के अनुसार भारतीय मूल के 60,000 से अधिक चिकित्सा पेशेवर राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में सेवा करते हैं। सन 2010 में, 61% ब्रिटिश भारतीयों ने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की है, लेकिन 2019 तक यह आंकड़ा घट कर केवल 30% रह गया है। भारतीय प्रवासियों का विस्तार यूनाइटेड किंगडम में विदेशी और घरेलू दोनों नीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से जो उम्मीदें वाबस्ता हैं, वे धूमिल होने के आसार नजर आ रहे हैं।
Published on:
28 Jun 2024 08:30 pm
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