रक्तिम तिवारी/अजमेर.
कॉलेज विद्यार्थियों का भाषा कौशल (language lab) बढ़ाने के लिए प्रस्तावित लैंग्वेज लेब योजना कामयाबी से दूर है। गिनती के कॉलेज (college) को छोडकऱ अधिकांश मे लेब नहीं हैं। भाषाओं में कॅरियर की संभावनाओं के बावजूद युवाओं को लाभ नहीं मिल रहा।
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ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के कई विद्यार्थियों को हिंदी-अंग्रेजी (hidi and english) भाषा को समझने, बोलने और लिखने में परेशानी होती है। सरकारी और निजी कम्पनियों (private company) में साक्षात्कार (interview), प्रतियोगी परीक्षा (exam) में भाषा ज्ञान, व्याकरण जैसी कमियां आड़े आती हैं। यही हाल संस्कृत, राजस्थानी और उर्दू भाषा का है। यह सभी भाषाएं (languages) परस्पर बातचीत, लेखन का माध्यम हैं।
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यह था निदेशालय का प्रस्ताव
-कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने बनाया था लैंग्वेज लेब स्थापित करने का प्रस्ताव
-विद्यार्थियों की हिन्दी और अंग्रेजी भाषा दक्षता बढ़ाने की योजना
-संस्कृत, राजस्थानी और उर्दू भाषा भी होनी है शामिल
-लैंग्वेज लेब के वरिष्ठ व्याख्याता, प्राचार्य और विद्यार्थियों की समिति
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नहीं हुआ ज्यादा फायदा
लैंग्वेज लेब योजना कामयाब नहीं हो पाई है। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (spc-gca) और गिने-चुने कॉलेज को छोडकऱ अधिकांश में लेब नदारद है। लेब शुरू होने पर युवाओं को अंग्रेजी (english), संस्कृत (sanskrit), उर्दू (urdu), हिंदी (hindi) और अन्य भाषाएं सीखने को मिल सकती हैं। उन्हें सरकारी और निजी नौकरियों (service), पर्यटन (tourism), उद्यमिता (enterprenuer), कौशल विकास और अन्य क्षेत्रों में रोजगार मिल सकता है।
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बीत गए दो सत्र….
लैब का प्रस्ताव सत्र 2017-18 में बना पर खास कार्य नहीं हुआ। इसके बाद सत्र 2018-19 भी बीत गया पर कॉलेज ने रुचि नहीं ली। निदेशालय ने लेब (lab) को लेकर किसी कॉलेज से पूछताछ, बजट और आवश्यक संसाधनों की जानकारी नहीं मांगी।
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सीखते हैं निजी संस्थानों में
अजमेर के युवाओं के पास कॉलेज स्तर पर लैंग्वेज लेब (language lab) या अन्य कोई विकल्प नहीं है। वे मजबूर निजी संस्थानों में अंग्रेजी, फे्रंच या अन्य भाषाए सीखते हैं। संस्थान नौजवानों से मोटी फीस वसूलते हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने अगले सत्र से सेंटर फॉर लैंग्वेज (center for language) खोलने की योजना जरूर बनाई है। इसमें जर्मन, फे्रंच, संस्कृत, उर्दू भाषा के कोर्स चलेंगे।