scriptCopy checking: विश्वविद्यालय के लिए आसान नहीं कॉपियों का केंद्रीयकृत मू्ल्यांकन | Copy checking: Central evaluation not possible in MDSU | Patrika News

Copy checking: विश्वविद्यालय के लिए आसान नहीं कॉपियों का केंद्रीयकृत मू्ल्यांकन

locationअजमेरPublished: Mar 21, 2020 08:42:17 am

Submitted by:

raktim tiwari

एक साथ शिक्षकों को बुलाना नहीं संभव। संसाधन जुटाना भी चुनौती।

copy checking

copy checking

अजमेर.

विद्यार्थियों की कॉपियों का केंद्रीयकृत मूल्यांकन कराना महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के लिए आसान नहीं है। एक साथ विषयवार शिक्षकों कैंपस में बुलाना और संसाधन जुटाना चुनौतिपूर्ण है। इसके अलावा कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए तो यह सिरदर्द साबित हो सकता है।
वार्षिक परीक्षाओं मेेें स्नातक और स्नातकोत्तर विषयों के 3 लाख से ज्यादा विद्यार्थी शामिल होते रहे हैं। परीक्षाओं के बाद कॉपियों के सीलबंद बंडल विश्वविद्यालय पहुंचाए जाते हैं। यहां से गोपनीय-परीक्षा विभाग इन्हें परीक्षकों को जांचने भेजते हैं। परीक्षक जांच के बाद कॉपियां और गोपनीय लिफाफे में अवार्ड लिस्ट भेजते हैं। इसमें देरी होती है। लिहाजाविश्वविद्यालय ने एकेडेमिक कौंसिल और प्रबंध मंडल की बैठक में वार्षिक परीक्षाओं की कॉपियों के केंद्रीयकृत मूल्यांकन का फैसला किया है।
Read more: #CORONAVIRUS: कोरोना वायरस के असर से बचाव के लिए लोगों ने पिया काढ़ा

कॉलेज शिक्षक रहते हैं व्यस्त
ज्यादातर सरकारी और निजी कॉलेज शिक्षक व्यस्त रहते हैं। मदस विश्वविद्यालय के अलावा उनके पास कई विश्वविद्यालयों, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई की कॉपियां जंचने आती हैं। कॉलेज में प्रवेश कार्य, सेमेस्टर कक्षाएं और अन्य कार्यों में उनकी ड्यूटी रहती है। केंद्रीयकृत मूल्यांकन के लिए इतने कॉलेज शिक्षकों को एक साथ विश्वविद्यालय भेजना उच्च शिक्षा विभाग के लिए आसान नहीं है।
कैंपस में संसाधन भी नहीं पर्याप्त
विश्वविद्यालय कैंपस में केंद्रीयकृत मूल्यांकन के लिए पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं। इसमें हॉल, पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था, स्कैनर, कंप्यूटर-प्रिंटर और ऑनलाइन व्यवस्थाएं शामिल हैं। केंद्रीयकृत मूल्यांकन में शिक्षकों के कंप्यूटरीकृत कोड, एक शिक्षक के कॉपी जांचने के बाद तत्काल दूसरे शिक्षक द्वारा चैकिंग करना, कंप्यूटर और अवार्ड लिस्ट में अंक भरना, पूरी प्रक्रिया की अधिकारियों-कर्मचारियों की जांच करना जैसे काम अहम होते हैं। इनके लिए विश्वविद्यालय को कई स्तर पर तैयारियां करनी जरूरी हैं।
Read more: दिल्ली में विदेशियों के बीच रह आए चीफ रैफरी, नहीं करवाई स्क्रीनिंग

पूरक परीक्षा-सेमेस्टर तक व्यवस्था ठीक…
सेमेस्टर और पूरक परीक्षाओं की कॉपियों का केंद्रीयकृत मूल्यांकन आसान है। इन परीक्षाओं में 5 से 10 हजार विद्यार्थी ही बैठते हैं। सेवारत और सेवानिवृत्त शिक्षकों को परिसर में बुलाकर कॉपी चैक कराई जा सकती है। सालाना परीक्षा में विद्यार्थियों की संख्या लाखों और कॉपियों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा होती हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो