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Good news: अब करें इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में पीएचडी

locationअजमेरPublished: Sep 22, 2020 05:53:49 am

Submitted by:

raktim tiwari

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में छह माह पूर्व रिसर्च सेंटर की मंजूरी मिली थी।

phd in college

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अजमेर.

महिला इंजीनियरिंग कॉलेज की इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में विद्यार्थी पीएचडी में प्रवेश ले सकेंगे। बोर्ड ऑफ गवनर्स की बैठक में इसकी मंजूरी दी गई। शोध कार्य छात्राओं के साथ-साथ छात्र भी कर सकेंगे।

महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में बीते 6 महीनों में ही यह दूसरा रिसर्च सेंटर मंजूर किया गया है। यहां राजस्थान एवं दूसरे प्रदेशों से शोधार्थी यहां रिसर्च का कार्य कर सकेंगे। हाल में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच में सीएम अशोक गहलोत ने आरएफ एंड माइक्रोवेव में रिसर्च लैब का लोकार्पण किया था। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में छह माह पूर्व रिसर्च सेंटर की मंजूरी मिली थी।
कॉलेज बनाएंगे वेंटीलेटर और हाइफ्लो ऑक्सीजन सिस्टम

अजमेर. कोरोना को देखते हुए राज्य के इंजीयनियरिंग कॉलेज को कम कीमत के वेंटीलेटर, हाईफ्लो ऑक्सीजन और अन्य उपकरण तैयार करने चाहिए। इससे आमजन को फायदा मिलेगा। यह बात बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ.सुभाष गर्ग ने कही।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सरकार और समाज के सहयोग से सभी कॉलेज को न्यूनतम कीमतों वाले वेन्टीलेटर, हाईफ्लो ऑक्सीजन सिस्टम व सेनेटाइजर डिस्पेंसर मशीन तैयार होनी चाहिए। इससे बड़े अस्पतालों, पीएचसी, सीएचसी को लाभ मिलेगा। उन्होंने संस्कृत शिक्षा के देववाणी ऐप की तर्ज पर तकनीकी शिक्षा में भी लेक्चर अथवा कोर्स आधारित एप विकसित करने पर जोर दिया। इंजीनियरिंग कॉलेज बांसवाड़ा में जनजातीय विद्यार्थियों को फीस नहीं होने के आधार पर प्रवेश से वंचित नहीं किया जाना चाहिए ।
कराया जाएगा ऑडिट
डॉ. गर्ग ने कहा कि तकनीकी शिक्षा विभाग सभी इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों, लैब और पढ़ाने के तरीकों की शैक्षणिक ऑडिट कराएगा। इससे गुणात्मक सुधार होगा। तकनीकी शिक्षा शासन सचिव शुची शर्मा, इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ साईन्स बेंगलूरू के प्रो. एन.सी. शिवप्रकाश, एमएनआईटी के पूर्व निदेशक प्रो. आर.पी. दहिया, एनआईटीके सूरतकल के प्रो. अश्वनी चतुर्वेदी ने ऑनलाइन वेबिनार पर जोर दिया।
स्कूल तक पहुंचे कॉलेज
डॉ. गर्ग ने कॉलेज को कम्प्यूटर लैब और अन्य संसाधनों का दायरा आसपास के स्कूल तक पहुंचाने को कहा। ताकि ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के विद्यार्थियों को भी तकनीकी लाभ मिले। इस दौरान प्राचार्यों ने योजनाएं पेश की। इन्हें शासी परिषद ने पारित किया।
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