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Proud daughters: बेटों से कहीं कम नहीं हैं अजमेर की बेटियां

साल भर कठिन प्रशिक्षण पूरा किया है। उनके पिता ओ. पी. वैष्णव राजकीय कन्या महाविद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष हैं।

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girls in army

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रक्तिम तिवारी अजमेर.

बेटों से किसी भी स्तर पर अब बेटियां कमतर नहीं है। यह साबित कर दिखया है अजमेर की नताशा वैष्णव ने वे अपनी योग्यता, मेहनत और दृढ़ इच्छा शक्ति के बूते कामयाबी के शिखर पर पहुंची है। नताशा जल्द भारतीय सेना (indian army) में शामिल होंगी।

सेंट मेरीज कॉन्वेंट से बारहवीं और जयपुर के निजी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (engineering) करने वाली नताशा ने शुरुआत से सैन्य सेवा में जाने की ठानी थी। नाना और मामा के आर्मी (army) में होने से उन्हें प्रेरणा मिली। संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (combined defence sevice exam) उत्तीर्ण करने के बाद उका साक्षात्कार के लिए बेंगलूरू में चयन हुआ। यहां कड़ी मेहनत और योग्यता के बूते वह आर्मी (army) और नेवी (navy) के लिए चयनित हो गई। इसमें नताशा ने आर्मी को चुना। उन्होंने चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (officers training academy) में साल भर कठिन प्रशिक्षण पूरा किया है। उनके पिता ओ. पी. वैष्णव राजकीय कन्या महाविद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष (librarian) हैं।

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बेटियां किसी से नही कम
पत्रिका से बातचीत में नताशा ने कहा कि बेटियां (girls on top) किसी से कम नहीं है। वे ठान लें तो कोई भी मुकाम हासिल कर सकती हैँ। देश की रक्षा (border security) उनका सर्वोपरी लक्ष्य है। सरहद पर भारतीय तिरंगा सदैव खुले आसमान में लहराता रहे यही तमन्ना है। सैन्य सेवा चुनने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि देश की बेटियां अब किसी से कम नहीं है।

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किसी क्षेत्र में नहीं पीछे
पुलिस, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक (teacher), प्रशासनिक सेवा (administartive service), व्यापार-वाणिज्य (commerce), राजनीति में महिलाएं परचम लहरा रही हैं। अब तो फाइटर प्लेन (fighter plane) और सीमा सुरक्षा में भी महिलाएं अग्रणीय हैं। इसी कामयाबी ने उन्हें सेना में जाने के लिए प्रेरित किया है।

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