पानी को तरसा बीर तालाब
ब्रिटिशकाल में 18 वीं शताब्दी में निर्मित बीर तालाब (beer pond) पिछले 15 साल में कभी लबालब नहीं हो पाया। अवैध अतिक्रमण और पानी आवक के मार्गों में रुकावट से तालाब बर्बाद हो गया है। जबकि इसकी भराव क्षमता 30 फीट (117.12 एमसीएफटी) है। मौजूदा वक्त इसमें पानी नहीं (डेड स्टोरेज) है।
18 वीं शताब्दी में निर्मित ऊंटड़ा का तालाब सिंचाई (irrigation) का प्रमुख स्त्रोत रहा है। इसकी भराव क्षमत 18 फीट (106.00 एमसीएफटी) है। अगस्त में ताबड़तोड़ बारिश (heavy rain in ajmer) के बावजूद तालाब को जोडऩे वाले नालों में 5 फीट पानी है। बेतरतरीब एनिकट और रपट के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर सका। इस बार भी मोरी लीक होने से पानी बह (water flows) गया। मौजूदा वक्त पानी नहीं है।
18 वीं सदी में इंजीनियर फॉय की देखरेख में फायसागर झील (foy sagar lake)का निर्माण हुआ था। इसकी भराव क्षमत 26 फीट (165.00 एमसीएफटी) है। अगस्त में ताबड़तोड़ बारिश (rain in ajmer) के बाद भी झील में 15 फीट पानी ही आया। पानी आवक मार्ग में अतिक्रमण, बेतरतरीब निर्माण और नालों एनिकट और रपट के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर सका। इस बार भी मोरी लीक होने से पानी बह गया। मौजूदा वक्त पानी नहीं है।
-जिले के 90 फीसदी तालाब, बांध, एनिकटों में आया पानी
-अतिवृष्टि/ज्यादा बरसात से बढ़ेगा भूमिगत जलस्तर
-काश्तकारों और आमजन को मिलेगा सालभर पर्याप्त पानी
-अतिवृष्टि से फसलों में खराबा होने के आसार
-पानी से टूटी सडक़ों की करानी पड़ेगी मरम्मत