
rain water conservation
रक्तिम तिवारी/अजमेर.
पानी अनमोल है...यह सिर्फ कथन नहीं बल्कि हकीकत है। चेन्नई सहित देश के कई शहरों में 1 हजार मीटर तक भूजल स्तर गिर चुका है। इस संकट को देखते हुए महिला इंजीनियरिंग कॉलेज (mahila engineering college) अभी से कवायद में जुट गया है। कॉलेज जल्द परिसर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (treatement plant) तैयार कराएगा। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (smart city project) में प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह राज्य का पहला संस्थान होगा, जहां ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की कवायद होगी।
केंद्र अैार राज्य सरकार ने सभी सरकारी अैार निजी विभागों, आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों को बरसात (barsat) के पानी को संग्रहण (rain water harvesting) करने के निर्देश दिए हैं। कई सरकारी (govt) और निजी (private) महकमों और घरों में इसकी शुरुआत हो भी गई है। फिर भी यह इनकी संख्या अंगुलियों पर गिनने लायक ही हैं। तकरीबन सरकारी दफ्तरों में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी पानी की किल्लत (water crisis) से वाकिफ है, फिर भी छतों के पानी को पाइपों के सहारे भूमिगत टैंक (under ground tank)में संरक्षित करने के प्रयास नहीं हो रहे। इससे इतर राजकीय महिला इंजीनियरिंग कॉलेज ने नया प्रस्ताव तैयार किया है।
बनेगा सीवरेट ट्रीटमेंट प्लांट
माखुपुरा स्थित कॉलेज परिसर में गल्र्स हॉस्टल (girls hostel), एकेडेमिक ब्लॉक (academic block), पुस्तकालय, (library) लेब (lab), कैंटीन (canteen), प्राचार्य निवास (principal residence) बने हुए हैं। इसके अलावा परिसर में 5 हजार से ज्यादा पेड़-पौधे उद्यान (garden) भी हैं। मौजूदा वक्त यहां बीसलपुर लाइन से पानी आता है। कॉलेज भविष्य में पानी की बचत करना चाहता है। इसको लेकर लघु सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना तैयार की गई है।
भेजेंगे सरकार को प्रस्ताव
कॉलेज प्रशासन लघु सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रस्ताव बनाकर केंद्र और राज्य सरकार, तकनीकी शिक्षा विभाग (technical edication dept), एआईसीटीई (aicte) को भेजेगा। जमीन की उपलब्धता के अनुसार प्लांट 50 से 100 एमएलडी तक हो सकता है। योजना (yozna) को मंजूरी और बजट उपलब्ध होने के बाद कॉलेज कामकाज शुरू कराएगा।
डार्क जोन में पूरा जिला
कृषि कार्यों, व्यावसायिक और घरेलू उपयोग के लिए लोग अंधाधुंध जल दोहन से समूचा अजमेर जिला डार्क जोन (dark zone)में है। भूजल विभाग (ground water dept) प्रतिवर्ष जिले की नौ पंचायत समितियों में भूजल स्तर मापन करता है। इसके लिए 350 कुएं चिह्नित हैं। पंचायत समितियों में 110.14 से 180.12 मीटर तक भूजल स्तर गिर चुका है।
यह होंगे फायदे
-बरसात और परिसर के पानी को किया जा सकेगा शुद्ध
-एकेडेमिक-प्रशासनिक भवन और हॉस्टल में हो सकेगा पानी का उपयोग
-उद्यान और पेड़-पौधों की हो सकेगी सिंचाई
-कचरे से बनाई जा सकेगी खाद
फैक्ट फाइल...
प्रतिवर्ष बरसात के रूप में जिले में करीब 5,550 एमसीएफटी पानी गिरता है। इसमें से ढाई हजार एमसीएफटी पानी ही झीलों (lake)-तालाबों (ponds)अथवा भूमिगत टैंक तक पहुंचता है। बाकी पानी व्यर्थ बह जाता है। 70 फीसदी से ज्यादा सरकारी और निजी महकमे (private), व्यापारिक संस्थानों (business house)-औद्योगिक इकाइयों (industrial unit)में छत के पानी का संग्रहण का इंतजाम नहीं है।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना प्रस्ताव है। इसकी विस्तृत योजना केंद्र और राज्य सरकार सहित अन्य महकमों को भेजी जाएगी। प्लांट बनने के बाद हम पानी की बूंद-बूंद का उपयोग कर सकेंगे।
डॉ. जे.के.डीगवाल, प्राचार्य राजकीय महिला इंजीनियरिंंग कॉलेज
Published on:
23 Aug 2019 06:30 am
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