
Only six students found 50-seater hostel, Bandarbat happening budget
रक्तिम तिवारी/अजमेर
छात्रसंघ चुनाव (student election 2019) को राजनीति का पहला पड़ाव माना जाता है। मौजूदा वक्त कई केंद्रीय और राजस्थान सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक और स्थानीय निकायों के महापौर-अध्यक्ष छात्र राजनीति की देन हैं। इसमें भी ‘हॉस्टल ’ (hostel) की राजनीति (politics) को अहम माना जाता है। चुनावी समर में उतरने वाले छात्र नेता (student leaders) और छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों की रणनीति छात्रावास के इर्द-गिर्द घूमती रही है। अव्वल तो छात्रावास में भावी नेताओं (student union) का आसानी से ठहरने और खाने-पीने का प्रबंध हो जाता है। तिस पर वृहद स्तर पर मतदाता (voters) (छात्र-छात्राएं) उपलब्ध हो जाते हैं। इस बार भी शहर के कॉलेज और यूनिवर्सिटी के छात्रावासों में राजनीतिक सरगर्मियां बढऩे लगी हैं। छात्रावास पूरी तरह ‘वार रूम ’में तब्दील होने को तैयार हैं।
शहर में दयानंद कॉलेज में बॉयज, सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय और राजकीय कन्या महाविद्यालय में गल्र्स हॉस्टल हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में बॉयज और गल्र्स तथा सोफिया कॉलेज में गल्र्स हॉस्टल (boys and girls hostel) है। छात्र राजनीति की सरगर्मियां सर्वाधिक इन्हीं हॉस्टल के इर्द-गिर्द ज्यादा घूमती है। अध्यक्ष (president), उपाध्यक्ष (vice president), महासचिव (general seceratary) और संयुक्त सचिव (joint seceratary) पद पर चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी हॉस्टल से चुनाव अभियान का आगाज करते रहे हैं। इस बार यही माहौल बनता दिख रहा है। पत्रिका ने हॉस्टल और उनमें रहने वाले विद्यार्थियों से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की।
चाय की चुस्कियों पर चर्चा
कॉलेज और यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव (chatr sangh chunav)27 अगस्त को होंगे। इसका कार्यक्रम जारी हो चुका है। शहर के विभिन्न बॉयज और गल्र्स हॉस्टल में चाय की चुस्कियों और मैस की टेबल पर चर्चाएं शुरू हो चुकी है। छात्रसंघ चुनाव में उठने वाले मुद्दों (campus issue)को लेकर हॉस्टल के विद्यार्थी भी सक्रिय होने लगे हैं। दयानंद कॉलेज छात्रावास में रहने वाले हॉस्टल छात्र राजनीति का केंद्र होता है। कई भावी नेताओं ने संपर्क करना शुरू कर दिया है। यह सिलसिला और बढ़ेगा।
अनिल कुमार
कई छात्रनेता निकले हॉस्टल से
हॉस्टल का छात्र राजनीति में हमेशा योगदान रहा है। कभी हॉस्टल में रहे नीरज गुर्जर, चंद्रभान गुर्जर, महिपाल जाट छात्रसंघ अध्यक्ष (president) रहे हैं। छात्रनेताओं को हॉस्टल से सदैव 100 से 300 विद्यार्थियों के वोट मिल जाते हैं। यही वजह है, कि चुनावों के दौरान छात्रनेता और छात्र संगठनों (students organization) के पदाधिकारी छात्रावासों या इसके आसपास डेरा डालते हैं।
जगदीश कुडिय़ा
हॉस्टल राजनीति अहम
कॉलेज लाइफ के दौरान हॉस्टल राजनीति (hostel politics) अहम मानी जाती है। छात्र संघ चुनाव में हम हॉस्टल की सुविधाओं और कैंपस के मुद्दों से नेताओं (students leader) को अवगत कराएंगे। छात्रसंघ चुनाव में यही बिन्दू अहम होते हैं। हॉस्टल में रहने वाले विद्यार्थियों की सभी छात्रनेताओं और छात्रसंघों से सर्वाधिक नजदीकी होती है। आने वाले दो सप्ताह में हॉस्टल में सुबह से शाम तक सिर्फ छात्र राजनीति पर ही फोकस होगा।
मनीष रामावत
नेताओं के सामने रखेंगे मुद्दे
हॉस्टल में रहने वाले छात्र-छात्राओं की लाइफ (hostel life) बिल्कुल अलग होती है। घरों से दूर रहकर पढ़ाने करने और सीमित सुविधाओं में रहना पड़ता है। हॉस्टल पॉलीटिक्स वास्तव में छात्रसंघ चुनाव का हिस्सा इस बार भी रहेगी। छात्र नेताओं ने हमसे संपर्क साधना शुरू कर दिया है। हम भी संकायवार (faculty) शिक्षकों की कमी, बाहरी छात्रों के प्रवेश पर रोक, कैंपस प्लेसमेंट (campus placement)जैसे मुद्दों को नेताओं के समक्ष रखेंगे।
रामलाल
Published on:
14 Aug 2019 06:33 am
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