scriptअफसर नहीं बचा सके 30 लाख पौधे, बारिश को ठहराया जिम्मेदार | tree plantation: 30 lakh trees dead for lake of effective monitoring | Patrika News

अफसर नहीं बचा सके 30 लाख पौधे, बारिश को ठहराया जिम्मेदार

locationअजमेरPublished: Jul 14, 2019 11:44:47 am

Submitted by:

Amit

tree plantation: सार-संभाल के अभाव में पौधे (trees) सूखकर नष्ट

tree plantation: 30 lakh trees dead for lake of effective monitoring

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अजमेर.

कभी हरी-भरी दिखने वाली अरावली अब सूखी नजर आती है। बीते 20 साल में यहां से कई औषधीय पौधे (tree) लुप्त हो चुके हैं। जिला प्रशासन और वन विभाग (forest department) के अधिकारी (officer) इस अवधि में 30 लाख से ज्यादा पौधे (tree) बचा नहीं पाए। इसके उलट वे हरियाली घटने के पीछे मौसम में लगातार बदलाव, कम बरसात को ठहरा रहे हैं।
वन विभाग और सरकार बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण (tree plantation) करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 40 से 50 लाख (tree) पौधे लगाए गए। पानी की कमी (lake of water) और सार-संभाल के अभाव में करीब 30 लाख पौधे (tree) तो सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे (tree) अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए। हालांकि वन विभाग (forest department) का दावा है, कि अजमेर जिले 13 वर्ग किलोमीटर वन (forest) क्षेत्र बढ़ा है। इसमें 7 वर्ग किलोमीटर मध्य घनत्व और 6 वर्ग किलोमीटर खुला वन क्षेत्र बताया गया है।
कम बरसात पर ठीकरा…
वन विभाग (forest department) के अधिकारियों का मानना है, कि बारिश के मामले में पिछले छह साल से सर्वाधिक हालत खराब है। बीते साल जिले में 1 जून से 15 अगस्त तक मात्र 270 मिलीमीटर बरसात हो पाई थी। इसके बाद मानसून (monsoon) सुस्त हो गया। सितंबर अंत तक मुश्किल से जिले की औसत बारिश (rain) का आंकड़ा 325 मिलीमीटर तक पहुंच सका। जबकि जिले की औसत बरसात (rain) के 550 मिलीमीटर है। जिले में 2012 में 520.2, 2013 में 540, 2014 में 545.8, 2015 में 381.44, 2016-512.07, 2017 में 450 मिलीमीटर बारिश (rain) ही हुई। यह भी पौधों (trees) को खराब होने की खास वजह है।
ऋतुओं में हो रहा बदलाव

पौधे (tree) नहीं पनपने के पीछे ऋतुओं में बदलाव भी वजह बताई गई है। अधिकारियों की मानें तो ग्रीष्म, वसंत और शीत ऋत देरी से शुरू हो रही है। दस साल पहले तक कार्तिक माह में गुलाबी ठंडक दस्तक दे देती थी। लेकिन अब अक्टूबर-नवम्बर तक गर्मी पसीने छुड़ाती दिखती है। साल 2017 में तो अक्टूबर के अंत तक तापमान (temprature) 38 से 40 डिग्री के बीच रहा था। इससे पहले साल 2015 में दिसम्बर तक अधिकतम तापमान (temprature) 30 डिग्री के आसपास था। जबकि 2016 में जनवरी के दूसरे पखवाड़े में ही अधिकतम तापमान (temprature) 25 से 29 डिग्री के बीच पहुंच गया था। ऐसे में पौधों (trees) को पनपने के लिए अनुकूल मौसम नहीं मिल पा रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग (globle warming) का असर
ग्लोबल वार्मिंग (globle warming) से मौसम असामान्य बनता जा रहा है। जिन स्थानों पर कम बरसात होती थी वहां अतिवृष्टि और बाढ़ आ रही है। बीते दस साल में सिरोही, जालौर, बाडमेर जिले में आई बाढ़ इसका परिचायक है। वहीं अजमेर में प्रत्येक ऋतु में तापमान (temprature) सामान्य रहा करता था। यहां सर्दी और बरसात (rain) का मौसम तो सबसे सुहावना होता था। लेकिन अब यह धीरे-धीरे गर्म शहर में तब्दील हो रहा है।
इनका कहना है

कहीं भी पेड़-पौधे (tree) लगाने के बाद उनका संरक्षण-देखलाभ जरूरी है। पौधों को टैंकर या अन्य माध्यमों से पानी देकर बचाया जा सकता है। तापमान में असंतुलन और पर्यावरण (environment) बदलाव (change) भी एक वजह हो सकती है।
प्रो. प्रवीण माथुर, पर्यावरण विभागाध्यक्ष महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय

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