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#sehatsudharosarkar : Video : तीन मंत्रियों के अलवर जिले की इन CHC और PHC के नहीं खुलते ताले, गायब रहते हैं डॉक्टर, संसाधनों की भारी कमी

locationअलवरPublished: Sep 14, 2017 10:19:37 pm

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सीएचसी और पीएचसी के ताले ही नहीं खुलते। नि:शुल्क दवा और जांच योजना का लोगों को फायदा मिलने की बात ही बेमानी है।

Healthcare in India

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अलवर.

स्वास्थ्य विभाग की नींव कही जाने वाले सीएचसी और पीएचसी अलवर जिले में कमजोर स्थिति में है। सीएचसी और पीएचसी के ताले ही नहीं खुलते। नि:शुल्क दवा और जांच योजना का लोगों को फायदा मिलने की बात ही बेमानी है। सरकारी स्तर पर इलाज की पर्याप्त सुविधा नहीं मिलने से लोगों को निजी चिकित्सालयों की ओर रुख करना पड़ रहा है। जिले में आज भी आठ एेसी पीएचसी हैं, जिनमें कोई डॉक्टर नहीं है। पास के अस्पताल के डॉक्टर को चार्ज दे रखा है। सीएमएचओ की जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि सीएचसी व पीएचसी के डॉक्टर मुख्यालय पर नहीं रुकते। इसलिए अस्पताल लेट आते हैं और ड्यूटी से गायब रहते हैं। पत्रिका रिपोर्टर ने जब इन सीएचसी और पीएचसी को खंगाला तो पोल खुलती ही चली गई।
डॉक्टरों के पद खाली, मशीनें खराब


खेड़ली कस्बे के हिण्डौन रोड स्थित खेरली परिक्षेत्र का एकमात्र राजकीय रैफरल अस्पताल में सुविधाओं का अभाव होने से मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। वर्तमान में अस्पताल के वार्ड में कुल १८ तथा लेबर वार्ड में १२ बेड की सुविधा है। डॉक्टरों के तीन पद खाली हैं। एक्स-रे सहित अन्य जांच के लिए निजी लैब के भरोसे रहना पड़ता है। अस्पताल के आसपास गंदगी का आलम रहता है। आंकड़ों की मानें तो दिसम्बर २०१६ से अगस्त २०१७ तक कुल ९० प्रसव हुए, जबकि ४० प्रसूताओं को रैफर किया गया।
नौ साल में नहीं बनी सीएचसी


साल 2008 में नारायणपुर पीएचसी को सीएचसी बना दिया गया था, लेकिन इसमें आज भी पीएचसी जैसी सुविधाएं हैं। चार साल से अस्पताल में एक्स रे मशीन खराब पड़ी हुई है। मरीज व उनके परिजनों के लिए पीने का पानी की कोई सुविधा नहीं है। अस्पताल में प्रतिदिन 500 मरीजों की ओपीडी रहती है। लेकिन अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ, महिला रोग विशेषज्ञ व एमडी मेडिसन की भारी कमी है। क्षेत्र के लोग कई बार सुविधाएं बढ़ाने के लिए मंत्रियों तक ज्ञापन दे चुके हैं। लेकिन आज तक कोई सुधार नहीं हुआ।
तीन कमरों में चल रहा अस्पताल


बडौदामेव पीएचसी में पर्याप्त भवन नहीं है। केवल तीन कमरे हैं। अस्पताल को सीएचसी का दर्जा मिल चुका है व 30 बेड स्वीकृत हैं, लेकिन अस्पताल में अभी केवल छह बेड की सुविधा है। अस्पताल में किसी भी तरह की जांच सुविधा नहीं है। अस्पताल में नसबंदी के ऑपरेशन होते हैं, लेकिन ऑपरेशन थियेटर सहित अन्य जरूरी संसाधन नहीं है। मरीजों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। चारों तरफ झाड़ी उगी हुई हैं। समय पर सफाई नहीं होती है।
अस्पताल में ना कोई डॉक्टर ना स्टाफ


रघुनाथगढ़ पीएचसी के पास जमीन नहीं है। मरीजों की सुविधा के लिए एक भामाशाह ने चार बीघा जमीन स्वास्थ्य विभाग को दी। जमीन मिलने के बाद रघुनाथगढ़ उप केंद्र को वर्ष २०११ में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर दो चिकित्सकों को नियुक्ति की गई पर किसी भी डॉक्टर ने डयूटी ज्वाइंन नहीं की। एक एएनएम थी जिसको नौगांवा पीएचसी के आदर्श पीएचसी में क्रमोन्नत होने पर लगा दिया गया।
एक साल से एक्स रे मशीन खराब


मुण्डावर सीएचसी में एक साल से एक्स-रे मशीन खराब पड़ी हुई है। डॉक्टरों ने कहा कि एक्स-रे फिल्म नहीं है। नवजात शिशुओं की जांच बाहर से करायी जाती है। दवा भी मरीजों को निजी दुकानों से खरीदनी पड़ती है। अस्पताल परिसर में चारों तरफ वाहन खड़े रहते हैं। आपातकालीन में किसी भी मरीज को ओपीडी तक नहीं लाया जा सकता है। लेबर रूम में बेड पर चादर नहीं है, चारों तरफ गंदगी का आलम है। मरीजों दो मिनट भी अस्पताल में नहीं रुक सकते हैं, बदबू से हालत खराब होती है।
जगह की गई चिहिंत


जिले में जिन जगहों पर डॉक्टरों की कमी है व ओपीडी में मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है। उन जगहों को चिहिंत कर लिया गया है। अब जरूरत के हिसाब से डॉक्टरों को लगाया जाएगा, क्योंकि कई जगहों पर ओपीडी कम है, लेकिन वहां डॉक्टर ज्यादा हैं। मौसमी बीमारी के दौरान मरीजों को इससे राहत मिलेगी। इसके अलावा अस्पतालों में जो कमी हैं, उनको ब्लाक सीएमएचओ के माध्यम से चिहिंत करवाके उसमें सुधार किया जाएगा।
डॉ. एसएस अग्रवाल, सीएचसी, अलवर
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