
Former Deputy CM and Ramgarh hill (Photo- Patrika)
अंबिकापुर। सरगुजा के धार्मिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय धरोहर रामगढ़ पहाड़ी का संरक्षण करने पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र (Former Deputy CM letter to CM) लिखा है। उन्होंने कहा है कि यह स्थल प्रभु श्रीराम व माता सीता का निवास स्थल माना जाता है, यहां विश्व की सबसे प्राचीन नाट्यशाला है तथा महाकवि कालीदास ने यहां मेघदूत की रचना की थी। पहाड़ी के शिखर पर भगवान राम-सीता का मंदिर है, जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। उन्होंने कहा है कि इस धरोहर की रक्षा कर आप न केवल छत्तीसगढ़ की पहचान अपितु आने वाली पीढिय़ों का भविष्य भी सुरक्षित करेंगे।
सिंहदेव ने पत्र (Former Deputy CM letter to CM) में लिखा है कि डीएफओ ने 26 जून को केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक का स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है। इसमें उन्होंने 1762.155 हेक्टेयर वनभूमि के डायवर्सन की अनुशंसा की है, लेकिन इसमें महत्वपूर्ण तथ्यों की उपेक्षा की गई है। यदि इस खनन को स्वीकृति प्रदान की जाती है तो रामगढ़ पहाड़ी के अस्तित्व को गंभीर खतरा होगा।
उन्होंने (Former Deputy CM letter to CM) कहा है कि प्रतिवेदन में बिंदु 10 के अंतर्गत प्रश्न पूछा गया था कि आवेदित क्षेत्र किसी इकोलॉजिकल सेंसिटिव क्षेत्र के 10 किमी के भीतर है या नहीं? इसके उत्तर में कहा गया है कि रामगढ़ पुरातात्विक स्थल 11 किमी की दूरी पर स्थित है, यह त्रुटिपूर्ण है।
जबकि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा तैयान डीजीपीएस सर्वे रिपोर्ट में हवाई दूरी 9.53 किमी है। वहीं रामगढ़ पहाड़ी के शिखर पर स्थित मंदिर की हवाई दूरी 9.13 किमी है। वहीं खदान के कॉर्नर प्वाइंट से रामगढ़ के निकटतम कोने की हवाई दूरी 8.1 किमी है, जो 10 किमी के भीतर है।
टीएस सिंहदेव ने पत्र (Former Deputy CM letter to CM) में लिखा है कि वर्तमान में परसा ईस्ट केते बासेन कोल ब्लॉक में होने वाली ब्लास्टिंग से रामगढ़ पहाड़ी में दरारें आ गई हैं। वहीं राम-सीता मंदिर के बैगा पुजारियों का कहना है कि ब्लास्टिंग से मंदिर थरथराने लगता है।
वहीं मंदिर के पहुंच मार्ग पर खुद वन विभाग द्वारा ‘सावधान! पत्थर गिरने की संभावना है’ अंकित किया गया है। उन्होंने कहा है कि प्रस्तावित केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक से रामगढ़ पहाड़ी को और अधिक खतरा उत्पन्न हो सकता है।
सिंहदेव (Former Deputy CM letter to CM) ने पत्र में लिखा है कि डीएफओ के स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन में लेमरू हाथी अभ्यारण्य का उल्लेख नहीं किया गया है। जबकि यह क्षेत्र में 10 किमी की परिधि में आता है। प्रस्तावित कोल ब्लॉक के अनुमति मिलने पर साढ़े 4 लाख पेड़ों की कटाई होगी, इसका जैव विविधता व वन्य जीवों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।
वहीं वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने अपने अध्ययन में बताया है कि यहां हर वर्ष 40-50 की संख्या में हाथी आते हैं। यदि हाथियों के प्राकृतिक आवास को हानि पहुंचती है तो हाथी-मानव संघर्ष देखने को मिलेगा, जो राज्य के हित में नहीं है। छत्तीसगढ़ खनिज विभाग ने भी 19 जनवरी 2021 को भारत सरकार को पत्र (Former Deputy CM letter to CM) लिखकर केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक खोलने को लेकर आपत्ति दर्ज की थी।
सिंहदेव ने पत्र (Former Deputy CM letter to CM) में लिखा है कि 26 जुलाई 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में हसदेव अरण्य क्षेत्र के सभी कोल ब्लॉक आबंटनों को निरस्त करने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया था। इसका पालन व सम्मान राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। प्रस्ताव पारित होने के बाद 1 मई 2023 को राज्य शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एडिशनल एफिडेविट में उल्लेख था कि खनन से हसदेव अरण्य क्षेत्र में हाथी-मानव संघर्ष और बढ़ेगा।
वर्तमान में पीईकेबी कोल ब्लॉक में ही 350 मिलियन टन कोयला का भंडार है, जिसका खनन होना शेष है। यह 4340 मेगावाट क्षमता वाले पावर प्लांट की 20 वर्षों तक मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त है। ऐसे में नए ब्लॉकों की आवश्यकता नहीं है।
Updated on:
02 Sept 2025 04:51 pm
Published on:
02 Sept 2025 04:50 pm
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