Major Bureaucratic Overhaul in July: उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था जुलाई 2025 में एक बड़े बदलाव के दौर से गुजरने जा रही है। इस महीने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह समेत चार आईएएस और 11 पीसीएस अधिकारियों की सेवानिवृत्ति से अफसरशाही में हलचल मच गई है। नई नियुक्तियों और तबादलों की प्रक्रिया तेज हो गई है।
IAS PCS Retirement: उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में जुलाई 2025 का महीना एक बड़े प्रशासनिक परिवर्तन की दस्तक दे रहा है। इस महीने राज्य सरकार के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के साथ-साथ चार वरिष्ठ आईएएस और 11 पीसीएस अफसर सेवानिवृत्त हो गए हैं या होने जा रहे हैं। इससे शासन के विभिन्न विभागों में रिक्तियां उत्पन्न हो गई हैं, जिनको भरने के लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। इन रिटायरमेंट्स और प्रशासनिक फेरबदल से न केवल ब्यूरोक्रेसी के स्वरूप में बदलाव होगा, बल्कि सत्ता के संचालन की दिशा भी तय होगी। ऐसे में यह महीना यूपी की ब्यूरोक्रेसी के लिए बेहद अहम बन गया है।
30 जून 2025 को यूपी के चार आईएएस और 11 पीसीएस अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए।
इनके अलावा, 11 पीसीएस अफसरों की सेवानिवृत्ति ने जिला प्रशासन, विकास विभाग और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में रिक्तियां पैदा कर दी हैं। इसका सीधा असर उन योजनाओं और कार्यक्रमों पर पड़ेगा, जिनकी निगरानी यह अधिकारी कर रहे थे। इसलिए सरकार अब नई नियुक्तियों और स्थानांतरण की प्रक्रिया में तेजी लाने जा रही है।
प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह भी इसी माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मनोज कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के सबसे अनुभवी और भरोसेमंद अधिकारियों में गिने जाते रहे हैं। उन्होंने विभिन्न विभागों में उत्कृष्ट कार्य किया और शासन की कई प्रमुख योजनाओं को अमलीजामा पहनाया। अब उनकी विदाई के साथ यह देखना दिलचस्प होगा कि नया मुख्य सचिव कौन बनेगा। सूत्रों के अनुसार सरकार वरिष्ठता, अनुभव और प्रशासनिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए ही चयन करेगी।
आईएएस अरुणेश सिंह, जिन्हें अब तक सात बार सेवा विस्तार मिला था, को सरकार ने इस बार सेवा विस्तार देने से इनकार कर दिया है। उनकी जगह राकेश कुमार सिंह को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) का नया प्रबंध निदेशक बनाया गया है। यह बदलाव भी इस बात का संकेत है कि योगी सरकार अब “सेवा विस्तार” की नीति पर पुनर्विचार कर रही है और युवा व सक्रिय अफसरों को प्रमुख जिम्मेदारी देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
यह आंकड़ा किसी एक महीने में हुए तबादलों में सबसे बड़ा है। सरकार का उद्देश्य जमीनी स्तर पर प्रशासन को सक्रिय करना, योजनाओं के क्रियान्वयन को मजबूत बनाना और कानून-व्यवस्था में सुधार लाना रहा है।
इन रिटायरमेंट्स के बाद अब सरकार की प्राथमिकता रिक्त पदों पर योग्य अफसरों की नियुक्ति करना है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय और कार्मिक विभाग में उन आईएएस और पीसीएस अधिकारियों की सूची तैयार की जा रही है, जिन्हें नई जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। इसमें उन अफसरों को भी हटाया जा सकता है, जो वर्षों से एक ही स्थान पर तैनात हैं और जिनके प्रदर्शन पर सवाल उठे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार अब “परिणाम आधारित प्रशासन” की ओर बढ़ रही है।
प्रशासनिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि जुलाई में हो रहे ये परिवर्तन ब्यूरोक्रेसी को नई दिशा देंगे। एक ओर जहां अनुभवी अफसरों की विदाई से प्रशासन को रणनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर नए अफसरों की तैनाती से नई सोच और कार्यशैली भी व्यवस्था में प्रवेश करेगी। योगी सरकार बार-बार यह दोहराती रही है कि वह ब्यूरोक्रेसी में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता को बढ़ावा देना चाहती है। इस दिशा में सेवा विस्तार रोकना, वर्षों से जमे अफसरों को हटाना और मेरिट के आधार पर पोस्टिंग देना एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
जुलाई 2025 यूपी प्रशासन में बदलाव की एक नई शुरुआत का संकेत दे रहा है। मुख्य सचिव की विदाई से लेकर नए अफसरों की नियुक्ति तक, हर फैसला प्रशासनिक कार्यशैली और नीतियों पर प्रभाव डालेगा। जनता की उम्मीद है कि इन बदलावों से शासन और सेवा वितरण प्रणाली और प्रभावशाली व सुचारु होगी।