लखनऊ

Lucknow Smart City: अब लखनऊ में भी दिखेगा दुबई जैसा नजारा, 42 मंजिल की इमारतों को मिली मंजूरी

Skyscrapers Lucknow:  लखनऊ में पहली बार दुबई की तर्ज पर 42 मंजिल तक की गगनचुंबी इमारतों के निर्माण को हरी झंडी मिल गई है। शहीद पथ व आसपास के इलाकों में एलडीए ने तीन प्रमुख आवासीय परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ये इमारतें आधुनिक सुविधाओं से युक्त और ऊर्ध्व विकास का प्रतीक होंगी।

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Jun 27, 2025
LDA Approval फोटो सोर्स :Social Media

Lucknow Smart Modern City: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अब विकास की नई ऊंचाइयों को छूने को तैयार है। जिस प्रकार दुबई की गगनचुंबी इमारतें वैश्विक पहचान का प्रतीक हैं, उसी तर्ज पर अब लखनऊ में भी पहली बार 35 से 42 मंजिल तक की बहुमंजिला इमारतों के नक्शे पास कर दिए गए हैं। इनकी अधिकतम ऊंचाई करीब 450 फीट होगी, जो शहर के स्काईलाइन को पूरी तरह बदल कर रख देगी। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने तीन प्रमुख निजी आवासीय परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी है, जिससे शहर में आधुनिक, ऊंची और अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त इमारतों का निर्माण संभव हो सकेगा।

एफएआर नीति में बदलाव बना बड़ा कारण

यह बदलाव प्रदेश सरकार की नई फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) नीति के कारण संभव हुआ है। इसके अंतर्गत ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली है, जिससे अब बिल्डरों को निर्धारित भूखंड क्षेत्रफल में अधिक निर्माण की छूट मिल गई है।

अब तक लखनऊ में अधिकतम 20 से 25 मंजिल की इमारतें ही बन पाती थीं। सरकारी और निजी क्षेत्र की सभी आवासीय परियोजनाएं इन्हीं सीमाओं में सिमटी हुई थीं। लेकिन नई FAR नीति में शहीद पथ, किसान पथ और ग्रीन कॉरिडोर के समानांतर 500-500 मीटर की परिधि में विकसित क्षेत्रों में 4.0 FAR और अविकसित क्षेत्रों में 5.0 FAR तक की मंजूरी दी गई है। पूर्व में इन इलाकों में सिर्फ 2.5 FAR अनुमन्य था, जिससे गगनचुंबी इमारतों का निर्माण बाधित होता था।

तीन परियोजनाओं को मिली मंजूरी, शुरू हुआ फ्लैट पंजीकरण

फिलहाल लखनऊ विकास प्राधिकरण ने तीन प्रमुख निजी बिल्डर्स की परियोजनाओं को स्वीकृति दी है, जिनकी ऊंचाई 32 से 42 मंजिल तक होगी। यह सभी परियोजनाएं शहीद पथ के आसपास स्थित हैं और शहर के तेजी से उभरते रियल एस्टेट हॉटस्पॉट माने जा रहे हैं। इन परियोजनाओं में हाई-एंड लग्जरी अपार्टमेंट्स होंगे, जो अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त होंगे जैसे:

  • स्विमिंग पूल
  • मल्टीलेवल पार्किंग
  • ग्रीन पार्क
  • इनडोर गेम्स
  • कम्युनिटी सेंटर
  • हाई-स्पीड लिफ्ट्स
  • पावर बैकअप
  • 24x7 सिक्योरिटी
  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

इन परियोजनाओं में फ्लैट्स की बिक्री भी शुरू हो गई है और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। डेवलपर्स का दावा है कि ये फ्लैट्स "फ्यूचर रेडी" होंगे।

बढ़ती आबादी और घटती ज़मीन: समाधान ऊंची इमारतें

LDA के अधिकारियों के अनुसार, लखनऊ में हर वर्ष लगभग 3.5% की दर से जनसंख्या वृद्धि हो रही है। शहर की सीमित जमीन और लगातार बढ़ती आवासीय मांग को देखते हुए, ऊंची इमारतें अब एक व्यवहारिक समाधान बन गई हैं।
एलडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “भविष्य की शहरी जरूरतों को देखते हुए ऊर्ध्वगामी विकास (Vertical Development) समय की मांग है। नई FAR नीति ने जमीन के बेहतर उपयोग की राह खोल दी है।”

इन इलाकों में होगा निर्माण

नई मंजूर की गई परियोजनाएं मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में विकसित की जाएगी:

  • शहीद पथ
  • किसान पथ
  • गोमती नगर विस्तार
  • विभूति खंड

ग्रीन कॉरिडोर के निकटवर्ती क्षेत्र

ये क्षेत्र पहले से ही बुनियादी ढांचे के लिहाज से समृद्ध हैं, जिनमें चौड़ी सड़कें, मेट्रो स्टेशन, अस्पताल, स्कूल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, पार्क आदि मौजूद हैं। इसलिए यह क्षेत्र ऊंची इमारतों के लिए सबसे उपयुक्त माने जा रहे हैं।

आधुनिक शहरी विकास की दिशा में लखनऊ

दुबई, सिंगापुर, मलेशिया जैसे देशों में बहुमंजिला इमारतें न केवल अंतरिक्ष का बेहतर उपयोग हैं, बल्कि वे शहर की आधुनिकता और समृद्धि का प्रतीक भी हैं। अब लखनऊ भी उसी दिशा में बढ़ रहा है। शहर के रियल एस्टेट विशेषज्ञों के अनुसार, ऊंची इमारतों से न केवल जमीन की बचत होगी बल्कि ऊर्जा दक्षता, ग्रीन कंस्ट्रक्शन, और स्मार्ट होम टेक्नोलॉजी जैसे आधुनिक ट्रेंड्स को अपनाने का रास्ता भी खुलेगा।

रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगी नई रफ्तार

रियल एस्टेट सेक्टर में यह बदलाव गेम-चेंजर माना जा रहा है। बिल्डर्स का मानना है कि 30+ मंजिला इमारतों को हरी झंडी मिलने से उन्हें निवेशकों का भरोसा और ग्राहकों की रुचि दोनों मिल रही है। रियल एस्टेट एक्सपर्ट अरुण गुप्ता कहते हैं, “लखनऊ अब महानगरों की कतार में खड़ा हो रहा है। अगर योजना के अनुसार निर्माण पूरा होता है, तो आने वाले वर्षों में लखनऊ उत्तर भारत का प्रमुख रियल एस्टेट हब बन सकता है।”

पर्यावरण और सुरक्षा का भी रखा जाएगा ध्यान

एलडीए और परियोजना स्वीकृति समितियों ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन परियोजनाओं में पर्यावरण संतुलन, ग्रीन कवर, और भूकंपरोधी संरचना जैसी जरूरी शर्तें अनिवार्य रूप से शामिल हों। हर इमारत को फायर एनओसी, एनवायर्नमेंटल क्लीयरेंस, और बिल्डिंग स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टिफिकेट प्राप्त करना अनिवार्य है।

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