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घर की चौखट से सड़कों तक… आत्मविश्वास की मिसाल बनीं इस गांव की महिलाएं, जानें कैसे बदली तकदीर?

CG News: कभी दूसरों की सवारी देखतीं थीं, आज खुद अपने सपनों की सवारी चला रही हैं— ये कहानी है फरसपाल की उन महिलाओं की, जिन्होंने हिम्मत से अपनी तकदीर लिख दी।

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परिवहन सेवा से बदली महिलाओं की दुनिया (Photo source- Patrika)

दंतेवाड़ा की मिट्टी में अब बदलाव की कहानी लिखी जा रही है- जहां कभी गांव की महिलाएं घर की चारदीवारी तक सीमित थीं, वहीं आज वही महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) ने फरसपाल की महिलाओं को न सिर्फ आत्मविश्वास दिया, बल्कि उन्हें अपने सपनों की सवारी भी थमा दी। मेहनत, लगन और सरकारी सहयोग के संगम से गंगादेवी स्व-सहायता समूह की महिलाएं आज न सिर्फ खुद कमा रही हैं, बल्कि गांव के विकास की राह भी चला रही हैं।

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पहले घर तक सीमित… अब गांव की पहचान

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) ने गांव की महिलाओं की ज़िंदगी में नई रोशनी लाई है। इस मिशन के ज़रिए गांव की आम हाउसवाइव्स अब आत्मनिर्भर (Bastar Development) बन रही हैं और समाज में अपनी नई पहचान बना रही हैं। ऐसी ही एक प्रेरणा देने वाली कहानी दंतेवाड़ा ज़िले के फरसपाल ग्राम पंचायत की महिलाओं की है, जिन्होंने कड़ी मेहनत, लगन और सरकारी योजनाओं के सहारे आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है।

स्व सहायता समूह स्थायी आमदनी का मिला साधन

फरसपाल गांव के गंगादेवी सेल्फ-हेल्प ग्रुप (Self Help Group) की महिलाओं ने मिलकर एक टाटा मैजिक गाड़ी खरीदी और आस-पास के गांवों अलनार, कुंदेनार, दंतेवाड़ा और गीदम तक ट्रांसपोर्टेशन सर्विस शुरू की। इस सर्विस से अब गांव वालों का आना-जाना आसान हो गया है, साथ ही महिलाओं को इनकम का एक पक्का सोर्स भी मिल गया है। दंतेवाड़ा डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने इन महिलाओं को ड्राइविंग ट्रेनिंग दी। ग्रुप ने गाड़ी चलाने के लिए एक ड्राइवर चुना और मिलकर सर्विस को सक्सेसफुली शुरू किया। आज, यह टाटा मैजिक सैकड़ों गांव वालों के लिए रोज़ाना आने-जाने का एक भरोसेमंद ज़रिया बन गया है।

महिलाएं अपने परिवार की आमदनी बढ़ा रही हैं

ग्रुप की मेंबर सुश्री यंती ठाकुर पूरी ट्रांसपोर्टेशन सर्विस की अकाउंटिंग और हिसाब-किताब देखती हैं। वह बताती हैं कि पहले वह सिर्फ़ एक हाउसवाइफ़ थीं, जो कम इनकम में गुज़ारा करती थीं। (CG News) लेकिन, जब गंगादेवी सेल्फ़-हेल्प ग्रुप से जुड़ीं, तो बचत और ट्रेनिंग ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। अब, हम औरतें भी अपने परिवार की इनकम बढ़ा रही हैं।

आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में भागीदार

आज, ग्रुप की महीने की इनकम लगभग 26,000 रुपये हो गई है। इस इनकम से, महिलाओं ने अपने घर की फाइनेंशियल हालत सुधारी है और अपने बच्चों की पढ़ाई, घर की ज़रूरतों और बचत के बीच बैलेंस बनाया है। नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (National Rural Livelihood Mission) के तहत शुरू की गई यह पहल दिखाती है कि जब महिलाओं को मौके और सपोर्ट मिलता है, तो वे न सिर्फ़ अपने परिवार बल्कि पूरे गाँव की तरक्की में पार्टनर बन जाती हैं।

आत्मविश्वास से मिली सफलता

फरसपाल में गंगादेवी सेल्फ हेल्प ग्रुप की कहानी गांव की महिलाओं की कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और सरकारी कोशिशों के सफल मेल का एक प्रेरणा देने वाला उदाहरण है। अब फरसपाल की सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां सिर्फ गाड़ियां नहीं हैं, बल्कि महिलाओं के सपनों की गाड़ियां हैं।

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Updated on:
23 Oct 2025 05:02 pm
Published on:
23 Oct 2025 05:01 pm
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