
नई दिल्ली। पड़ोसी देश चीन के साथ बनते-बिगड़ते रिश्तों में आई मौजूदा गर्माहट के बीच गुरुवार की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के लिए रवाना हो रहे हैं। वे चीनी राष्ट्रपति की ओर से आयोजित एक अनौपचारिक समिट में शिरकत करेंगे। इस समिट का आयोजन चीन के वुहान शहर में 27 और 28 अप्रैल को किया जाएगा। आपको बता दें कि इस तरह की वार्ता का आयोजन 1954 के बाद पहली बार हो रहा है।
वार्ता को द्विपक्षीय संबंधों में मील का पत्थर बनाने की कोशिश
बीते रविवार को इस संबंध में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अपनी भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था, 'हम कोशिश करेंगे कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच होने वाली इस अनौपचारिक बातचीत पूरी तरह सफल हो और यह भारत-चीन संबंधों में मील का पत्थर साबित हो।'
ना प्रेस वार्ता, ना नया समझौता
इस अनौपचारिक समिट को दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी को पीछे छोड़ने की कवायद माना जा रहा है। दोनों देशों के डोकलाम सड़क निर्माण विवाद समेत कई मसलों पर तकरार है। खासतौर से सिक्किम सीमा पर दोनों देशों के जवानों के बीच कई बार झड़प होती रही हैं। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान ना तो पारंपरिक रूप से होने वाली कोई संयुक्त प्रेस वार्ता होगी और ना ही किसी समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
शंघाई समिट से भी सुधरे थे रिश्ते
इससे पहले जून में किंगाडो सिटी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक हुई थी। एससीओ समिट से भी रिश्तों में काफी सुधार देखने को मिला था। इसी दौरान हुई प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात के बाद डोकलाम में स्थितियों में सुधार देखा गया था। आपको बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन की अलग-अलग वार्ताओं के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पहले से चीन में मौजूद थीं।
Published on:
26 Apr 2018 10:38 am
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