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मैं जल के अंदर पड़ी हूं, मुझे निकालकर प्राण-प्रतिष्ठा करवाओ… जानें 135 पुरानी गंगा मैया मंदिर की कहानी, अंग्रेजों की मौत के बाद और गहरी हुई श्रद्धा

Devi Ganga Maiya: बालोद जिला मुख्यालय से तीन किमी पर स्थित ग्राम झलमला में देवी गंगा मैया का प्रसिद्ध मंदिर है। गंगा मैया के अवतरण और मंदिर स्थापना की कहानी अंग्रेजों के शासन से जुड़ी हुई है।

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135 साल पहले बांधा तालाब से प्रकट हुई गंगा मैया की प्रतिमा (फोटो सोर्स-पत्रिका)

135 साल पहले बांधा तालाब से प्रकट हुई गंगा मैया की प्रतिमा (फोटो सोर्स-पत्रिका)

Devi Ganga Maiya: बालोद जिला मुख्यालय से तीन किमी पर स्थित ग्राम झलमला में देवी गंगा मैया का प्रसिद्ध मंदिर है। गंगा मैया के अवतरण और मंदिर स्थापना की कहानी अंग्रेजों के शासन से जुड़ी हुई है। मां गंगा मैया के भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मंदिर का स्वरूप भी हर साल बदलता जा रहा है। लगभग 135 साल पहले जिले की जीवन दायिनी तांदुला नदी की नहर का निर्माण चल रहा था।

झलमला की आबादी मात्र 100 थी। सोमवार को वहां बड़ा साप्ताहिक बाजार लगता था। बाजार में दूर-दराज से पशुओं के झुंड के साथ बंजारे आया करते थे। पशुओं की संख्या अधिक होने के कारण पानी की कमी महसूस की जाती थी। पानी के लिए बांधा तालाब की खुदाई कराई गई। गंगा मैया के प्रादुर्भाव की कहानी इसी तालाब से शुरू होती है।

बार-बार जाल में फंसती रही मूर्ति

मंदिर के व्यवस्थापक सोहनलाल टावरी ने बताया कि एक दिन ग्राम सिवनी का एक केंवट मछली पकड़ने तालाब में गया। जाल में मछली की जगह पत्थर की प्रतिमा फंस गई। केंवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझ कर फिर से तालाब में डाल दिया। इस प्रक्रिया के कई बार पुनरावृत्ति से परेशान होकर केंवट जाल लेकर अपने घर चला गया।

स्वप्न के बाद प्रतिमा को निकाला गया बाहर

देवी ने गांव के गोंड़ जाति के बैगा को स्वप्न में कहा कि मैं जल के अंदर पड़ी हूं। मुझे जल से निकालकर प्राण-प्रतिष्ठा करवाओ। स्वप्न की सत्यता को जानने तत्कालीन मालगुजार छवि प्रसाद तिवारी, केंवट और गांव के अन्य प्रमुखों को साथ लेकर बैगा तालाब पहुंचे। केंवट के जाल फेंकने पर प्रतिमा फिर जाल में फंस गई। प्रतिमा को बाहर निकाला गया, उसके बाद देवी के आदेशानुसार छवि प्रसाद ने अपने संरक्षण में प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई। जल से प्रतिमा निकली होने के कारण गंगा मैया के नाम से विख्यात हुई।

अंग्रेजों ने प्रतिमा को हटाने का प्रयास किया

बताया जाता है कि तांदुला नहर निर्माण के दौरान गंगा मैया की प्रतिमा को हटाने का प्रयास अंग्रेजों ने किया। मान्यता है कि अंग्रेज एडम स्मिथ सहित अन्य अंग्रेज साथियों की मौत हो गई थी।

विदेशों में भी गंगा मैया के भक्त

ग्रामीण पालक ठाकुर ने बताया कि गंगा मैया के भक्त ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी है। राज्य एवं देश के लोग जो विदेशों में जा बसे हैं, वे भी मंदिर में नवरात्रि पर मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करवाते हैं। उनकी मान्यता है सच्चे मन और श्रद्धा रखने वाले भक्तों की मनोकामनाएं मैया पूरी करती हैं। हर साल चैत्र व क्वांर नवरात्रि में नौ दिनों तक मेला व विविध धार्मिक आयोजन होते हैं।