Balodabazar Violence: बीमा क्लेम मिलना बाकी
प्रशासन ने तब पीड़ितों से फौरी राहत का दावा किया था। पड़ताल में पता चला कि ज्यादातर लोगों को आज भी मदद नहीं मिल पाई है। पुलिस के आंकड़ों की मानें तो उस दिन कैंपस में कुल 278 गाड़ियों आग में जलाई गई थीं। एक दमकल वाहन समेत 17 गाड़ियां सरकारी थीं। बाकी 261 निजी थी। इनमें 208 बाइक के अलावा 53 कारें शामिल थीं।
आरटीओ के मुताबिक, अब तक 56 गाड़ियों को ही बीमा क्लेम दिलवा पाए हैं। 205 गाड़ियों मतलब 80 फीसदी मामलों में बीमा क्लेम मिलना बाकी है।
उधर, पुलिस ने 14 एफआईआर दर्ज की थी। ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 191 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया। हालांकि, बाद में बेल मिलने के बाद सब जेल से बाहर हैं। जिला मुख्यालय के जरिए सीधे सरकार पर हमला करने जैसी बड़ी घटना के लिए पुलिस किसी को भी कड़ी सजा नहीं दिलवा पाई। वहीं, अमरगुफा में जैतखाम काटने के बाद मचे इस बवाल की न्यायिक जांच भी आज तक अधूरी है।
अग्निकांड कार्यवाही की तारीखें
इसकी तारीख 4 बार बढ़ाई जा चुकी है। जांच आयोग गठन की अधिसूचना पहली बार 13 जून 2024 को जारी हुई। काम पूरा न होने पर अगस्त से अक्टूबर, फिर अक्टूबर से फरवरी और फरवरी से जून तक कार्यकाल बढ़ाया। अभी सरकार ने इसी 5 जून को आदेश निकालकर आयोग का कार्यकाल 13 जून से 12 अक्टूबर तक 4 महीने फिर बढ़ाया है। 15 मई: गिरौदपुरी धाम से लगभग 5 किमी महकोनी बस्ती स्थित अमर गुफा में लगे जैतखाम को देर रात किसी ने आरी से काट दिया। 16 मई: सुबह सतनामी समाज के लोगों को जैतखाम में तोड़फोड़ की जानकारी मिली। कार्रवाई की मांग पर समाज ने प्रदर्शन किया।
17 मई: सतनामी समाज की मांग पर पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना शुरू की। समाज शुरू से इसे सुनियोजित साजिश बता रहा था। 19 मई: 3 दिन तक आरोपियों की गिरफ्तारी न होने के बाद समाज ने इलाके की सड़क पर चक्काजाम किया। कड़ी कार्रवाई की मांग की।
19 मई: तीन लोग गिरफ्तार हुए। तीनों बिहार के थे। पुलिस ने बताया कि ठेकेदार ने पैसा नहीं दिया तो जैतखाम तोड़ा। समाज ने झूठी कार्रवाई बताई। 20 मई: झूठी गिरफ्तार से मामला रफा-दफा करने पर समाज ने बड़ी बैठक बुलाई। असल दोषियों की गिरफ्तार के लिए आंदोलन की रूपरेखा खींची।
21 मई: दोषियों की गिरफ्तारी पर ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद जांच और कार्रवाई की मांग पर आवेदन और शिकायतों का सिलसिला तेज हुआ।
8 जून: कलेक्टर ने शांति समिति की बैठक बुलाई। प्रशासन ने जांच की कार्रवाई तेज करने की बात कही गई। आंदोलन न करने की अपील भी की।
9 जून: गृहमंत्री विजय शर्मा ने न्यायिक जांच का ऐलान किया। इसी दिन समाज को 10 जून को कलेक्ट्रेट के पास प्रदर्शन की मंजूरी भी दे दी गई। 10 जून (दोपहर): दशहरा मैदान से कलेक्ट्रेट की ओर निकली रैली उग्र हो गई। दौरान कलेक्टर-एसपी दफ्तर को आग में झोंक दिया। कई गाड़ियां भी जला दी।
10 जून (देर शाम): सीएम विष्णुदेव साय ने बैठक बुलाई। तलाश करने पुलिस की 12 टीमें, जांच के लिए 22 टीम बनाई गई। रात तक 73 गिरफ्तार। 11 जून: शाम तक 100 से ज्यादा आरोपियों को हिरासत में लिया गया। देर रात कलेक्टर केएल चौहान और एसपी सदानंद कुमार को हटा दिया गया।
12 जून: भाजपा के आरोपों पर पूर्व मंत्री गुरु रुद्र कुमार गिरफ्तारी देने के लिए थाने पहुंचे। उन्होंने मानहानि का केस करने की चेतावनी दी। 13 जून: छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी की ओर से बनाई गई सात सदस्यीय टीम जांच के लिए घटना स्थल पर पहुंची।
15 जून: पुलिस ने अग्निकांड मामले में भीम रेजिमेंट के रायपुर संभागाध्यक्ष जीवराखन बांधे जगदलपुर से गिरफ्तार किया गया। 18 जून: प्रदेश कांग्रेस ने बलौदाबाजार अग्निकांड में सरकार की खामियां गिनाते हुए प्रदेशस्तरीय धरना-प्रदर्शन किया।
21 जून: 10 जून को कलेक्ट्रेट में तिरंगा फहराने वाले पोल पर विशेष झंडा लगाने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया गया। 29 जून: बलौदाबाजार पुलिस ने भीम आर्मी के प्रदेश उपाध्यक्ष और महासचिव के साथ एक अन्य को गिरफ्तार किया।
6 जुलाई: बलौदाबाजार से युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष शैलेंद्र बंजारे को भी अग्निकांड में गिरफ्तार कर लिया गया। 7 जुलाई: जांजगीर-चांपा में भीम आर्मी के पूर्व जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश बंजारे को गिरफ्तार किया गया।
15 जुलाई: हिंसा की रणनीति बनाने के आरोप में वाला मोहन बंजारे समेत चार लोग गिरफ्तार किए गए। 17 अगस्त: भिलाई
विधायक देवेंद्र यादव को मामले में गिरफ्तार किया गया, जो 7 महीने रायपुर सेंट्रल जेल में रहने के बाद इस साल फरवरी महीने में रिहा हुए हैं।
Balodabazar Violence: की घटना से सबक लेते हुए कलेक्ट्रेट की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। कलेक्ट्रेट के दोनों ओर की मुख्य सड़कों पर लोहे ऊंचे और भारी गेट लगवाए हैं। अब किसी भी अप्रिय स्थिति में इन्हें बंद कर रोड पूरी तरह ब्लॉक किया जा सकता है।
कलेक्ट्रेट से जनपद पंचायत चौराहे तक पूरी सड़क पर पिछले साल से ही धारा 144 प्रभावशील है। रैली, प्रदर्शन पूरी तरह प्रतिबंधित है। धार्मिक, राजनीतिक रैलियों और प्रदर्शन के लिए एसडीएम की मंजूरी का सख्ती से पालन कराने पर जोर है। वहीं, पुलिस सोशल मीडिया पर अतिरिक्त चौकसी बरत रही है, ताकि इंटेलिजेंस में पहला जैसा फैल्योर न हो।