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बलरामपुर में बांध टूटने से सैलाब! सास-बहु समेत 4 की मौत, तीन लापता, हालात बेकाबू…

Flood in Balrampur: बलरामपुर जिले के तातापानी पुलिस चौकी अंतर्गत ग्राम विश्रामनगर में मंगलवार की रात बारिश से लबालब करीब 4 दशक पुराना लुत्ती बांध टूट गया।

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बलरामपुर में बांध टूटने से सैलाब! सास-बहु समेत 4 की मौत, तीन लापता, हालात बेकाबू...(photo-patrika)

बलरामपुर में बांध टूटने से सैलाब! सास-बहु समेत 4 की मौत, तीन लापता, हालात बेकाबू...(photo-patrika)

Flood in Balrampur: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के तातापानी पुलिस चौकी अंतर्गत ग्राम विश्रामनगर में मंगलवार की रात बारिश से लबालब करीब 4 दशक पुराना लुत्ती बांध टूट गया। इससे निचले इलाके में सैलाब आ गया। सैलाब की चपेट में आने से 4 लोगों की मौत हो गई, वहीं 3 लापता हैं। इस घटना में कई जानवर भी बह गए, जबकि धान और टमाटर की फसलें बर्बाद हो गईं।

Flood in Balrampur: सैलाब में बह गया घर

बांध के टूटने से जो घर क्षतिग्रस्त हो गए, वहां के लोगों को पंचायत भवन में शिफ्ट किया गया है। आधा दर्जन से अधिक गांव के लोग, लापता लोगों की तलाश में लगे हैं। पुलिस और राजस्व अमले के साथ एनडीआरएफ की टीम भी राहत और बचाव में जुटी हुई है।

बता दें कि मंगलवार की रात मूसलाधार बारिश के बाद रात 10 से 11 बजे के बीच विश्रामनगर में 1981 में बना लुत्ती डेम का करीब 100 मीटर हिस्सा फूट गया। इससे बांध के नीचे रह रहे 3 घरों के लोग बह गए। हादसे में रजंती पति गणेश (26) उसकी सास बतशिया पति रामवृक्ष (55) की मौत हो गई। वही घर मालिक रामवृक्ष की एक बड़ी बहू और 3 बच्चे भी पानी में बह गए।

सास बहू का शव रात में ही बरामद कर लिया गया था। सुबह गणेश (30), प्रिया (6) वर्ष का शव मिला। चार लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं लापता लोगों की तलाश एनडीआरएफ द्वारा की जारी है।

7 माह की बच्ची समेत 10 की जान बची

बांध से करीब 500 मीटर की दूरी पर कालीचरण टोप्पो (60) का घर है। घर में करीब 10 सदस्य थे। रात को घर में अचानक 6 फीट तक पानी घुस गया। परिजनों ने किसी तरह तैरकर जान बचाई। कालीचरण पेड़ के सहारे बचा, उसकी पत्नी फूलमनी पर दीवार गिर गई, जिसे रेस्क्यू किया गया। परिवार में 7 माह की बच्ची भी है, दोनों हाथों से पानी से ऊपर उठाकर उसकी जान बचाई गई।

…तो हो सकता था और बड़ा हादसा

मंगलवार की शाम से ही बांध के ऊपर से पानी रिसना शुरू हो गया था। रात करीब 10 से 11 के बीच बांध टूट गया। बांध में करीब 500 मीटर एरिया में दरार आ गई थी। गनीमत रही कि करीब बांध का करीब 100 मीटर हिस्सा ही टूटा। यदि उससे थोड़ा और ऊपर का हिस्सा टूटा होता तो बड़ी हानि हो सकती थी। क्योंकि ऊपर और अधिक बसाहट है।

जल संसाधन विभाग की लापरवाही

पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह का कहना है कि बांध क्षतिग्रस्त हो गया था। इसकी सूचना ग्रामीणों ने जल संसाधन विभाग को दी थी, लेकिन मरम्मत नहीं की गई। बांध मुरम वाली मिट्टी से बना था, जो ज्यादा पानी बर्दाश्त नहीं कर सका। ये जल संसाधन विभाग की लापरवाही है।

5 साल पहले की थी रिसाव की शिकायत

ग्रामीणों ने बताया कि 5 साल पहले डेम से हो रहे रिसाव की शिकायत जल संसाधन विभाग व प्रशासन से की थी। इसके बाद भी लापरवाही बरती गई। 3 साल पहले रेत की बोरियां डालकर इसे बंद किया गया था। समय रहते मरम्मत कर लिया जाता तो ये घटना नहीं होती।

पेड़ के सहारे बचाई जान

पत्नी, बहू व 3 नाती-पोतों के पानी की तेज धार में बहने के दौरान रामवृक्ष भी बहने लगा। करीब 300 मीटर बहने के बाद रामवृक्ष पेड़ से टकराकर रुक गया। उसने पेड़ कोे पकड़ लिया, जिससे जान बच गई। वह अस्पताल में भर्ती है।

बा रिश आई, बांध टूटा और सात जिंदगियां बह गईं। सवाल यह नहीं कि हादसा क्यों हुआ, बल्कि यह है कि आखिर हमारे जिम्मेदार अफसर क्या कर रहे थे? लुत्ती डेम के रिसाव की शिकायत ग्रामीणों ने पांच साल पहले ही कर दी थी। तीन साल पहले ‘रेत की बोरी’ डालकर मरम्मत का ढोंग कर दिया गया और प्रशासन ने मान लिया, सब ठीक है।

बांध नहीं, लापरवाही लीलगई जिंदगियां

क्या बांधों की मरम्मत भी अब जुगाड़ से होगी? 43 साल पुराना यह बांध तबाह हो गया और इसके साथ कई जिंदगियां भी। जिन घरों को सुरक्षित रखना सरकार का काम था, अब उन्हें पंचायत भवन में ‘शिफ्ट’ कर दिया गया है। बड़ी कृपा है! जानवर बह गए, फसलें चौपट हो गईं और बच्चे लापता हैं, मगर अफसरान के दफ्तर में पंखे अब भी वैसे ही चल रहे होंगे।

दुखद यह है कि हर हादसे के बाद वही कहानी दोहराई जाती है ‘एनडीआरएफ की टीम जुटी है, राहत बचाव जारी है।’ लेकिन असली सवाल का जवाब कोई नहीं देता, समय रहते मरम्मत क्यों नहीं हुई? जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब होगी? या फिर यह भी किसी फाइल में दबकर रह जाएगा। लुत्ती डेम टूटा है, लेकिन असल में हमारी प्रशासनिक संवेदनहीनता, लापरवाही और जुगाड़ संस्कृति ने ही अपनी पोल खोल दी है। जब तक जिम्मेदारी तय नहीं होगी, तब तक न तो बांध सुरक्षित होंगे और न ही लोग।