
सज्जनगढ़. सागवा गांव में आदिवासी समाज सुधार की बैठक में मौजूद युवा। फोटो पत्रिका
Rajasthan : बांसवाड़ा के सज्जनगढ़ में सागवा में आदिवासी समाज की बैठक में सामाजिक सुधार को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय हुए। समाजजनों ने एक स्वर में संकल्प लिया कि शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ेंगे और सामाजिक कुरीतियों का त्याग करेंगे। विवाह समारोह में फिजूलखर्ची, दहेज और डीजे पर रोक लगाने का निर्णय हुआ। तय किया गया कि शादी में केवल तीन चांदी के आभूषण साकली, कंदुरी और तोड़ा ही दिए जाएंगे, जबकि सोने में केवल कानफूल या कांटा ही रहेगा। ‘वार बोकड़ी’ की राशि 5000 रुपए तय की गई और दहेज प्रथा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया।
समाज में शराब, बीड़ी, गुटखा, तबाकू जैसे नशे के प्रयोग पर भी रोक लगाई गई। मृत्यु संस्कार में केवल आवश्यक खर्च करने और लोकाचार में सीमित आर्थिक सहयोग देने का निर्णय हुआ। सभी ने एकस्वर में सहमति दी।
बैठक में जैविक खेती को बढ़ावा देने, बच्चों की नियमित स्कूल उपस्थिति सुनिश्चित करने और आदिवासी संस्कृति संरक्षण पर जोर दिया गया। कन्यादान में केवल माता-पिता और नजदीकी परिजनों को ही वस्तुएं देने की अनुमति रखी गई। बैठक में लालचंद निनामा, दलसिंह, नाथूलाल सर, सवला भाई, धारू भाई, हकरा, गलिया, शांतिलाल, कल्पेश, राकेश, हरीश, प्रकाश, मुकेश, दीपक, मनीष व विकेश सहित बड़ी संया में समाजजन उपस्थित रहे।
बांसवाड़ा के सज्जनगढ़ ग्राम पंचायत मस्का बड़ा के कारमी गांव में बुधवार को आदिवासी समाज की बैठक में समाज सुधार को लेकर ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। अध्यक्षता विनोद गरासिया ने की, जबकि दुबला वसुनिया उपाध्यक्ष और तेरसिंह डामोर सदस्य के रूप में चुने गए। समाज में बढ़ती फिजूलखर्ची, डीजे संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाजों में हो रहे बदलावों पर चिंता जताई गई। समाजजनों ने सर्वसमति से निर्णय लिया कि अब विवाह और अन्य आयोजनों में पुरानी आदिवासी संस्कृति को अपनाया जाएगा तथा अनावश्यक खर्च पर रोक लगाई जाएगी।
विवाह में लड़की की ओर से केवल 1 किलो 500 ग्राम चांदी का ही उपयोग होगा।
सोने में सिर्फ एक नाक की बाली पहनी जाएगी।
दहेज की अधिकतम राशि 50,000 रुपए तय की गई।
कन्यादान के रूप में 11,000 रुपए से अधिक नहीं दिए जाएंगे।
डीजे और शराब के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
समाज ने यह भी तय किया कि यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर 51,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। बैठक में सरपंच कांतिलाल, देवचंद, लालू वसुनिया, विजयलाल डोडियार, प्रकाश डामोर सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे। समाज के इस निर्णय की क्षेत्रभर में सराहना हो रही है और इसे आदिवासी संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में प्रेरक कदम माना जा रहा है।
Updated on:
30 Oct 2025 11:22 am
Published on:
30 Oct 2025 11:20 am
बड़ी खबरें
View Allबांसवाड़ा
ट्रेंडिंग
