
Good News : अब वह दिन दूर नहीं है जब राजस्थान के शहर बांसवाड़ा शहर में काजू तैयार किया जाएगा। खुशखबर यह है कि बांसवाड़ा के एक उद्यमी काजू प्रोसेसिंग यूनिट लगाने जा रहे हैं। उन्होंने उद्योग विभाग से एमओयू भी कर लिया है। साथ ही जमीन खरीदने के बाद फाइल कन्वर्जन के लिए लगाई है। यूं तो काजू पेड़ पर लगने वाला फल है। पर, इसे प्रोसेसिंग के बाद खाने के काम में लिया जाता है। क्योंकि काजू के ऊपर का आवरण एक प्रकार से जहरीला होता है। कच्चा खाने पर बीज का छिलका जलन पैदा करता है। इसलिए प्रोसेसिंग के बाद ही खाने लायक बनाया जाता है। इसी की एक यूनिट शहर के जयपुर रोड पर लगने जा रही है। इस पूरे प्लांट को तैयार करने में करीब 7 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके लिए जमीन, मशीन के साथ ही कुशल कारीगरों की जरूरत होती है। बाहुबली कॉलोनी निवासी विकास पारसोलिया ने इसका प्रोजेक्ट तैयार किया है।
विकास पारसोलिया ने बताया कि इसके लिए करीब 25 हजार वर्ग फुट निर्माण किया जाएगा। शेष खुली जगह रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि बांसवाड़ा से 200 किमी के क्षेत्र में 20 जिले आते हैं, इसलिए यहां से बाजार मिलने में भी आसानी होगी। बांसवाड़ा से पहले इसकी यूनिट जयपुर, जोधपुर और स्वरूपगंजमें हैं।
पारसोलिया ने बताया कि एक बार यूनिट लगाने के बाद इसको बंद नहीं कर सकते हैं। देश में आने वाली फसल केवल 4 माह ही मिलती है। शेष 8 माह उत्पादन चालू रखना चुनौती था पर जानकारी जुटाई तो पता चला कि गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर बड़ी मात्रा में विदेशों से काजू लाया जाता है। संबंधित कंपनियों से खरीद का एग्रीमेंट कर लिया है। यहां से पूरे वर्ष कच्चा काजू मिलता रहेगा।
विकास पारसोलिया ने बताया कि उनका एक भतीजा जयपुर से एमबीबीएस कर रहा है। उसके दोस्त की राजकोट में काजू की फैक्ट्री है। वहीं से आइडिया आया, इसके बाद कई बार राजकोट जाकर देखा। फिर प्रोजेक्ट तैयार किया। इसके लिए मशीनरी भी अहमदाबाद में मिल गई है। इसी वित्तीय वर्ष में 31 मार्च से पहले उत्पादन शुरू हो जाए।
प्रोसेसिंग के बाद काजू का बीज अलग कर लिया जाता है। इसके बाद काजू की डस्ट निकलती है जो कि होटल आदि पर उपयोग की जाती है। साथ ही काजू का छिलका रंग बनाने वाली कंपनियां खरीदती हैं। क्योंकि इसके छिलके में एक केमिकल होता है जो रंग बनाने के काम आता है।
काजू का फल आता है। इसकी प्रोसेसिंग कर काजू बीज के रूप में निकाला जाता है। कुल 100 किलोग्राम फल में से महज 20 से 25 किलोग्राम काजू निकलता है। इसमें से अच्छी गुणवत्ता या साबुत और भी कम हो जाता है। बांसवाड़ा में लगने वाले प्लांट की शुरुआत एक टन फल की प्रोसेसिंग से शुरू की जाएगी। धीर धीरे इसे बढ़ा कर 4 टन प्रतिदिन तक ले जाया जाएगा।
झारखंड, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मेघालय और गुजरात में काजू की खेती की जाती है।
वियतनाम, फिलिपींस, तंजानिया, बेनिन, इंडोनेशिया, ब्राज़लि, गिनी बिसाऊ, घाना, नाइजीरिया, गिनी, थाईलैंड, श्रीलंका, मलेशिया, कोलंबिया, पेरू, अंगोला
प्लांट पर करीब 40 लोगों को रोजगार मिलेगा। इसमें कुशल और अकुशल दोनों प्रकार के कारीगर होंगे। इस प्लांट के लिए कुशल कारीगर पश्चिम बंगाल से लाए जाएंगे। मार्केटिंग की टीम अलग से होगी। जबकि ट्रांसपोर्ट व अन्य के काम में भी लोगों के रोजगार मिलेगा।
Published on:
19 Nov 2024 01:52 pm
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