
Good News : पानी की प्रचुरता और स्थानीय श्रमिकों की आसान उपलब्धता के दम पर राजस्थान के बांसवाड़ा में फल-फूल रहा कपड़ा उद्योग अब देश-दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है। यूं तो दर्जनों प्रकार का कपड़ा यहां की मिलों में बन रहा है, लेकिन खासतौर से यहां निटिंग का कपड़ा बड़े पैमाने पर बनता है। इसका उत्पादन भी लगातार बढ़ता जा रहा है। सालाना 3800 मैट्रिक टन से अधिक निटिंग कपड़े का उत्पादन हो रहा है। यानि औसतन एक टन कपड़ा रोज़ाना बनता है। इस कपड़े से लोअर, टी-शर्ट, ट्राउज़र, लेगिंग्स, बनियान, अंडर गार्मेंट्स और विशेष रूप से स्पोर्ट्स वियर बनाए जाते हैं। नवीन तकनीकी के आधार पर इस कपड़े में कई प्रयोग किए जा रहे हैं और अब यहां ऐसा कपड़ा भी तैयार होता है, जो बारिश में भी नहीं भीगता।
निटिंग के विशेषज्ञ के. एन. यादव बताते हैं कि आगामी समय में निटिंग कपड़े की मांग और भी बढ़ेगी, क्योंकि यह कंफर्टेबल होने के साथ ही स्किन-फ्रेंडली भी है। इस कपड़े से वस्त्र बनाने में कई प्रयोग किए जा सकते हैं।
निटिंग एक ऐसा कपड़ा है, जो धागों से बुना जाता है। इसमें एक-एक फंदा ऊपर नीचे कर इसे तैयार किया जाता है। कुछ दशक पहले तक इसे हाथ से बुना जाता था। मौजूदा समय में इस कपड़े का विशेष उपचार किया जाता है ताकि यह स्किन-फ्रेंडली बना रहे। अच्छी गुणवत्ता का कपड़ा पहनने से पसीना कम आता है और फंगल इंफेक्शन का खतरा भी नहीं होता। इसके अलावा बारिश के लिए विशेष कपड़ा, गर्मियों में हल्का और सर्दियों में अंदर से गर्म रखने वाला कपड़ा भी बनाया जाता है।
बांसवाड़ा में तैयार कपड़ा बांग्लादेश और श्रीलंका को भेजा जाता है, जहां से यूके समेत करीब 22 देशों में इसकी आपूर्ति होती है। गोवा और मुंबई में भी बांसवाड़ा का कपड़ा तैयार उत्पादों में बदला जाता है। बांसवाड़ा में निर्मित निटिंग का कपड़ा दुनिया की सबसे बेहतरीन कंपनियों को सप्लाई किया जाता है, और यहां की मिलों को लगातार ऑर्डर प्राप्त होते हैं।
बांसवाड़ा की कपड़ा मिलों में 800 से ज्यादा मजदूर केवल इसी कपड़े के उत्पादन से जुड़े हुए हैं। निकट भविष्य में वर्तमान उत्पादन की तुलना में दोगुना हो जाएगा। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
बांसवाड़ा में औसतन 550 रुपए प्रति किलोग्राम कपड़ा तैयार होता है। एक क्विंटल कपड़े की कीमत 55 हजार रुपए है और 3800 टन का कुल मूल्य 20 करोड़ 90 लाख रुपये है। हालांकि, कुछ कपड़े की कीमत लाखों रुपए प्रति टन भी हो सकती है। कपड़े की गुणवत्ता को जीएसएम (ग्राम प्रति वर्ग मीटर) के आधार पर मापा जाता है।
Published on:
15 Nov 2024 04:07 pm
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