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लोगों से पापी शब्द सुन-सुनकर हो उठा बैचेन, फिर कब्रिस्तान में लगाए पेड़-पौधे और शिकारी से बन गया परिंदो का रहनुमा

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 24, 2019 01:57:33 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

Life Changing Story : पापी के लांछन ने बदल दिया जीवन, गढ़ी के कय्यूम परिंदों और पेड़ों के लिए हुए समर्पित

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लोगों से पापी शब्द सुन-सुनकर हो उठा बैचेन, फिर कब्रिस्तान में लगाए पेड़-पौधे और शिकारी से बन गया परिंदो का रहनुमा

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गढ़ी-परतापुर/बांसवाड़ा. इंसान की जिंदगी में कभी कभी ऐसे वाकये ऐसे हो जाते हैं कि वे उसके जीवन की दशा-दिशा, मकसद ही बदल देते हैं और वे किसी के रहनुमा बन जाते हैं, औरों के लिए समर्पित हो जाते हैं। आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले के गढ़ी इलाके के अब्दुल कयूम बेलिम ऐसी ही शख्सियत हैं। कल तक जानवरों के शिकार के बिना उनका कोई दिन नहीं कटता था, लेकिन पापी शब्द का लांछन सुन सुन कर वे ऐसे बेचैन हो उठे कि उन्होंने परिंदों की देखभाल को ही जीवन मकसद बना लिया और आज वे रोज परिंदों को दाना पानी देकर उनके जीवन का सहारा बने हुए हैं। इतना ही नहीं परिंदों के आवास के लिए कब्र्रिस्तान को सुंदर बगीचे में तब्दील कर दिया।
पिछले पन्द्रह साल से अब्दुल कयूम बेलिम की दिनचर्या का ज्यादातर वक्त परिंदों और पेड़- पौधों की देखभाल और उनके संवर्धन में ही खप रहा है। ऐसा करते परिंदों से उनका ऐसा गहरा रिश्ता बन गया है कि दोनों को एक दूसरे के पास आए बिना चैन नहीं मिलता।आज करीब पांच सौ परिंदों की रोज देखभाल कर रहे हैं। रोजाना सुबह 6 बजे पहले घर की छत पर इंतजार करते परिंदों के बीच पहुंच जाते हैं और उन्हें दाना पानी देते हैं। इसके बाद पुराने कब्रिस्तान की ओर रुख करते हँै जहां उनकी बाइक की आवाज मात्र से परिंदों को उनके आने की आहट मिल जाती है और उनके शोर से कब्रिस्तान गूंज उठता है। इंसान और परिंदों का यह रिश्ता असीम सुकून बिखेरता है। कय्यूम सब के लिए अलग-अलग दाना डालते हैं और सकोरों में पानी भरते हैं। काफी समय परिंदों के बीच गुजारतें है। वे इन परिंदों के दाना पानी पर रोज 100 से 150 रुपए खर्च कर रहे हैं। इस पहल को अन्य लोगों की भी मदद मिल रही है।
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कब्रिस्तान बन गया परिंदों का आवास
कयूम ने करीब 250 से 300 नीम आदि पेड़ लगाए। फूलों के पौधे लगाए। आज कब्रिस्तान पेड़ पौधों से हरा भरा हो गया जिसमें 200 मोर, बुलबुल, मेना, चिडिय़ा, तोता, , कोयल, गिलहरी, बटेर आदि कई सैकडों परिंदों और अन्य प्राणियों का बसेरा हो गया। फूलों की बागवानी भी की। कयूम की इच्छा है कि उनके मरने के बाद परिजन आत्मा की शांति के लिए कोई और खर्चा न कर परिंदों के दाना पानी पर खर्च करे।
यों आया परिंदो पर मन
कयूम के मुताबिक एक समय था जब वह रोजाना शिकार किया करते थे। इससे रिश्तेदार और क्षेत्र के लोग पापी कहकर पुकारने लग गए थे। इस शब्द ने उन्हें बेचैन कर दिया और उसी दिन से शिकार बंद कर दिया और न किसी को करने दिया। पापी का दाग मिटाने के लिए परिंदों की सेवा का मार्ग अपनाया। आज अपनों से ज्यादा परिंदे उसके लिए अहम हो गए हैं।
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