7 जुलाई 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

कच्ची झोपड़ी से डॉक्टर बनने का सपना पूरा: बर्तन धोने वाले पिता का बेटा NEET में हुआ चयनित, संस्था ने फ्री पढ़ाया

Barmer Shravan Kumar Success Story: श्रवण के पिता शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में बर्तन धोने का काम करते हैं। उनके घर में ना तो पक्की छत थी, और ना ही वो सुविधाएं जो एक मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्र को मिलती हैं।

कच्ची झोपड़ी और परिवार के साथ श्रवण कुमार, मिठाई खिलाते संस्था के पदाधिकारी, फोटो - पत्रिका

Barmer News: राजस्थान की तपती ज़मीन पर पसीना बहाने वाले मजदूर पिता के बेटे ने वो कर दिखाया जो हर ग़रीब परिवार का सपना होता है। श्रवण कुमार, जो कच्ची झोपड़ी में पले-बढ़े, ने NEET 2025 में अच्छे अंक हासिल कर दिखाया कि हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, हौसलों के आगे झुक ही जाते हैं। श्रवण की ओबीसी में 4071वीं रैंक है।

श्रवण के पिता शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में बर्तन धोने का काम करते हैं। उनके घर में ना तो पक्की छत थी, और ना ही वो सुविधाएं जो एक मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्र को मिलती हैं। लेकिन श्रवण ने कभी हार नहीं मानी। हर बारिश में जब उनके घर की छत से पानी टपकता था, तब भी उनकी आंखों में सिर्फ़ एक सपना था — डॉक्टर बनना।

यह भी पढ़ें: AI Plane Crash: फादर्स डे पर बेटा-बेटी का अंतिम संस्कार, इससे दुखद एक पिता के लिए क्या होगा, शुभ-शगुन की DNA से हुई पहचान…

इस सपने को साकार करने में साथ दिया बाड़मेर की फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान ने। यह संस्थान हर साल ऐसे होनहार, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को ढूंढ़कर उन्हें निःशुल्क कोचिंग, रहने और खाने की सुविधा देती है। श्रवण भी उन्हीं में से एक था। संस्थान के मार्गदर्शन और खुद की मेहनत से वह अब देश के बेहतरीन मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने की राह पर है। संस्थान के प्रमुख डॉ. भरत सारण ने बताया कि, “हमारा मकसद सिर्फ़ पढ़ाना नहीं, बल्कि गांव के बच्चों को सपना देखना सिखाना है। श्रवण जैसे बच्चे हमारी प्रेरणा हैं।”