Barmer News: राजस्थान की तपती ज़मीन पर पसीना बहाने वाले मजदूर पिता के बेटे ने वो कर दिखाया जो हर ग़रीब परिवार का सपना होता है। श्रवण कुमार, जो कच्ची झोपड़ी में पले-बढ़े, ने NEET 2025 में अच्छे अंक हासिल कर दिखाया कि हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, हौसलों के आगे झुक ही जाते हैं। श्रवण की ओबीसी में 4071वीं रैंक है।
श्रवण के पिता शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में बर्तन धोने का काम करते हैं। उनके घर में ना तो पक्की छत थी, और ना ही वो सुविधाएं जो एक मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्र को मिलती हैं। लेकिन श्रवण ने कभी हार नहीं मानी। हर बारिश में जब उनके घर की छत से पानी टपकता था, तब भी उनकी आंखों में सिर्फ़ एक सपना था — डॉक्टर बनना।
इस सपने को साकार करने में साथ दिया बाड़मेर की फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान ने। यह संस्थान हर साल ऐसे होनहार, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को ढूंढ़कर उन्हें निःशुल्क कोचिंग, रहने और खाने की सुविधा देती है। श्रवण भी उन्हीं में से एक था। संस्थान के मार्गदर्शन और खुद की मेहनत से वह अब देश के बेहतरीन मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने की राह पर है। संस्थान के प्रमुख डॉ. भरत सारण ने बताया कि, “हमारा मकसद सिर्फ़ पढ़ाना नहीं, बल्कि गांव के बच्चों को सपना देखना सिखाना है। श्रवण जैसे बच्चे हमारी प्रेरणा हैं।”
Updated on:
15 Jun 2025 10:02 am
Published on:
15 Jun 2025 08:58 am