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बस्तर के ऑक्सीजोन से गुम हो रही ऑक्सीजन

चित्रकोट रोड पर टेकामेटा गांव में लाखों की लागत से बनाया गया ऑक्सीजोन विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गया।

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Chandu Nirmalkar

Jun 06, 2015

bastar Oksijon departmental

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जगदलपुर.
यहां के शहरवासियों को शुद्ध ऑक्सीजन देने के उद्देश्य से 13 किमी दूर चित्रकोट रोड पर टेकामेटा गांव में लाखों की लागत से बनाया गया ऑक्सीजोन विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गया। यहां 36.216 हेक्टेयर में रोपे गए करीब 5300 पौधों में आधे से ज्यादा बर्बाद हो गए हैं। इसके लोकार्पण के करीब 8 साल बाद भी इसका लाभ नहीं मिल रहा है। इसे देश का पहला मानव निर्मित ऑक्सीजोन होने का दर्जा दिया गया था।


3 जुलाई 2007 को मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने इसका उद्घाटन किया था। प्रदेश के बड़े नेता और अधिकारियों ने यहां पौधे रोपे। उनकी सुरक्षा के लिए अब तक ट्री-गार्ड भी नहीं लगाया गया। वन विभाग ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत करीब 5300 पौधे लगवाए। इसके लिए अलग-अलग चार सेक्टर बनाए गए। इसके विकास के लिए तीन साल तक राशि दी जाती रही।


असिंचित क्षेत्र होने की वजह से यहां टैंकर से पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वर्तमान में यहां लगे पौधों पर पानी डालने वाला कोई नहीं है। सुरक्षा के अभाव में कई पौधे चोरी चले गए। दो साल पहले बजट के अभाव में चौकीदार को भी हटा दिया गया।


रोपे गए पौधों की संख्या


नीम - 2000, पीपल - 1200, बरगद - 600, कदंब - 500, करंज - 400, बेल - 200, महुआ - 400


नहीं बना वॉकिंग ट्रैक


लोगों के सुबह और शाम वॉकिंग के लिए यहां ट्रैक बनाया था। इसके चारों तरफ सीमेंट की कुर्सी और बैंच बनाने थे, लेकिन अब तक ये नहीं बे। इसके अंदर बना झूला भी टूट गया है।

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शुरुआती तीन साल में पौधों की देखरेख की गई। इसके बाद फंड नहीं मिला। एक साल पहले महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत इसके रख-रखाव के लिए फंड का प्रस्ताव दिया था। राशि मिलेगी तो इसके रख-रखाव पर ध्यान दिया जाएगा।

जे.आर.राव,
रेंज आफिसर, बस्तर वन मंडल

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