बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने वाले कार सेवकों की अगुवाई भी रमेश प्रताप सिंह ने ही की थी। पूरे ऑपरेशन के अंजाम देने के लिए रमेश प्रताप उन 32 की टीम में शामिल थे, जिनकी स्पेशल ट्रेनिंग गुजरात में हुई थी। रमेश प्रताप पर तमाम राजनैतिक मुकदमे चल रहे हैं और वे कई बार जेल भी जा चुके हैं। बाबरी विध्वंस के बाद रमेश प्रतान बस्ती अपने आवास आ गए थे और वे खेती किसानी कर अपने परिवार संग जीवन गुजार रहे थे। 72 वर्ष की आयु में रमेश प्रताप ने शनिवार अंतिम सांसें ली।