लक्षण : रोगी की त्वचा मछली की त्वचा के समान फटने जैसी हो जाती है जिसमें मवाद या कभी-कभी खून निकलने लगता है।
इलाज : रोजाना स्वस्थ देसी गाय के गौमूत्र से स्नान करना चाहिए। साफ मिट्टी में गौमूत्र मिलाकर लेप भी कर सकते हैं। ऐसा करने के बाद पानी में नीम की पत्तियां उबालकर उस पानी से नहाएं।
परहेज भी जरूरी –
गौमूत्र स्नान की विधि से उपचार के समय रोगी को परहेज करना भी जरूरी होता है। ऐसे में रोगी को खट्टी चीजें, अधिक मिर्च-मसाला, तला-भुना व सफेद चीजें जैसे दूध-दही आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ में डॉक्टर की सलाह से खून साफ करने वाली औषधियां भी ले सकते हैं।