script8 माह की गर्भवती ANM की कोरोना से मौत, फ्रंट लाइन वर्कर को न बेड मिला न दवाई, ब्लैक में रेमडेसिविर खरीदा, फिर भी नहीं बची जान | 8 month pregnant ANM dies of corona in Bemetara district | Patrika News

8 माह की गर्भवती ANM की कोरोना से मौत, फ्रंट लाइन वर्कर को न बेड मिला न दवाई, ब्लैक में रेमडेसिविर खरीदा, फिर भी नहीं बची जान

locationबेमेतराPublished: Apr 29, 2021 11:53:57 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

बेेमेतरा जिला के साजा ब्लाक के परपोड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम दुलारी ढीमर की कोरोना से मौत हो गई। आठ महीने की गर्भवती मृतक नर्स को न समय पर बेड मिला और न ही वेंटिलेटर।

8 माह की गर्भवती ANM की कोरोना से मौत, फ्रंट लाइन वर्कर को न बेड मिला न दवाई, ब्लैक में रेमडेसिविर खरीदा, फिर भी नहीं बची जान

8 माह की गर्भवती ANM की कोरोना से मौत, फ्रंट लाइन वर्कर को न बेड मिला न दवाई, ब्लैक में रेमडेसिविर खरीदा, फिर भी नहीं बची जान

बेमेतरा/देवकर. बेेमेतरा जिला के साजा ब्लाक के परपोड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम दुलारी ढीमर की कोरोना से मौत हो गई। आठ महीने की गर्भवती मृतक नर्स को न समय पर बेड मिला और न ही वेंटिलेटर। स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी होने के बावजूद उसे रेमडेसिविर इंजेक्शन तक नसीब नहीं हुआ। परिजनों को हजार रुपए का इंजेक्शन ब्लैक में 15 हजार रुपए में खरीदकर लगवाना पड़ा। बाजवूद गर्भवती स्वास्थ्यकर्मी लचर व्यवस्था की भेंट चढ़ गई। अजन्मे शिशु के साथ गर्भवती मां की मौत होने से पूरा परिवार सकते में है। समय पर समुचित स्वास्थ सुविधा नहीं मिलने के कारण स्वास्थ्य विभाग अपने ही कर्मचारी की जान नहीं बचा पाया। वहीं गर्भावस्था में छुट्टी के लिए आवेदन देने के बावजूद जबरदस्ती ड्यूटी कराने से भी परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा है।
ANM ने मांगी थी छुट्टी फिर भी ड्यूटी करवाते रहे अधिकारी
परपोड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य में दो साल से पदस्थ स्वास्थ्य कर्मचारी दुलारी बाई आठ माह की गर्भवती थी। परिजनों ने बताया कि दुलारी ने अपनी गर्भावस्था को ध्यान में रखते हुए कई बार छुट्टी की गुहार लगाई। अधिकारियों ने कोरोनाकाल का हवाला देते उसे छुट्टी नहीं दिया। पीएचसी में ड्यूटी के दौरान वह कोविड पॉजिटिव हो गई। 26 अप्रैल को तबीयत बिगडऩे पर उसे एम्स रायपुर में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतक एएनएम की एक तीन साल की बच्ची भी है।
फ्रंटलाइन वर्कर होने के बाद भी नहीं मिला इंजेक्शन
परिजनों ने बताया कि दुलारी को डॉक्टरों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने कहा। स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी होने के बावजूद उसे रेमडेसीविर इंजेक्शन अस्पताल से नहीं मिला। परिजन लाल ढीमर इंजेक्शन के लिए दुर्ग के मेडिकल स्टोर्स में भटकते रहे और हजार रुपए का रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में 15-15 हजार रुपए में खरीदना पड़ा। दो इंजेक्शन देने के बाद भी उसकी स्थिति नहीं सुधरी। ऑक्सीजन के सपोर्ट में उसका ऑक्सीजन लेवल 60 तक गिर चुका था। हालत को देखते हुए उसे रायपुर रेफर कराया। जहां उसे वेंटीलेटर की सुविधा दिया जाना था। वहां भी समय पर बेड एएनएम को नहीं मिला। जब बेड मिला तो भर्ती होने के तीन घंटे बाद एएनएम की मौत हो गई।
धमधा में ससुराल पर परिवार सहित सेवाक्षेत्र में थी
मृत एएनएम अपने परिवार सहित परपोड़ी में ही रहती थी। विगत 16 अप्रैल को दुलारी अपने तीन साल बेटी के साथ धमधा अपने ससुराल पहुंची। वहीं कोरोना जांच कराया, जिसमें टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आया। 17 अप्रैल को उसे बुखार आने पर परिवारवालों ने बेमेतरा जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। दो दिन तक जिला अस्पताल में भर्ती होने के बाद स्थिति में सुधार नहीं होते देख और ऑक्सीजन लेवल 70तक पहुंचने पर एएनएम को रायपुर एम्स रेफर कर दिया गया।
आखिर क्यों नहीं मिला मातृत्व अवकाश
राज्य शासन में सरकारी महिला कर्मचारी को छह महीने का मातृत्व अवकाश देने का प्रावधान है। मृतक दुलारी ने मार्च में ही इसके लिए आवेदन किया था, पर उसे आठ महीने के गर्भावस्था के दौरान भी अवकाश नहीं मिला। जिसके बाद वह जान जोखिम में डालकर मजबूरी में ड्यूटी करती रही। इस संबंध में साजा बीएमओ अश्वनी वर्मा का कहना है कि दुुलारी बाई को मातृत्व अवकाश 9 माह लगने पर दिया जाना था। कोरोना से निधन की सूचना मिली है। नियमानुसार उन्हें विभाग से सहायता दी जाएगी। बीमा क्लेम के लिए भी प्रयास किया जाएगा।
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