परपोड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य में दो साल से पदस्थ स्वास्थ्य कर्मचारी दुलारी बाई आठ माह की गर्भवती थी। परिजनों ने बताया कि दुलारी ने अपनी गर्भावस्था को ध्यान में रखते हुए कई बार छुट्टी की गुहार लगाई। अधिकारियों ने कोरोनाकाल का हवाला देते उसे छुट्टी नहीं दिया। पीएचसी में ड्यूटी के दौरान वह कोविड पॉजिटिव हो गई। 26 अप्रैल को तबीयत बिगडऩे पर उसे एम्स रायपुर में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतक एएनएम की एक तीन साल की बच्ची भी है।
परिजनों ने बताया कि दुलारी को डॉक्टरों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने कहा। स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी होने के बावजूद उसे रेमडेसीविर इंजेक्शन अस्पताल से नहीं मिला। परिजन लाल ढीमर इंजेक्शन के लिए दुर्ग के मेडिकल स्टोर्स में भटकते रहे और हजार रुपए का रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में 15-15 हजार रुपए में खरीदना पड़ा। दो इंजेक्शन देने के बाद भी उसकी स्थिति नहीं सुधरी। ऑक्सीजन के सपोर्ट में उसका ऑक्सीजन लेवल 60 तक गिर चुका था। हालत को देखते हुए उसे रायपुर रेफर कराया। जहां उसे वेंटीलेटर की सुविधा दिया जाना था। वहां भी समय पर बेड एएनएम को नहीं मिला। जब बेड मिला तो भर्ती होने के तीन घंटे बाद एएनएम की मौत हो गई।
मृत एएनएम अपने परिवार सहित परपोड़ी में ही रहती थी। विगत 16 अप्रैल को दुलारी अपने तीन साल बेटी के साथ धमधा अपने ससुराल पहुंची। वहीं कोरोना जांच कराया, जिसमें टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आया। 17 अप्रैल को उसे बुखार आने पर परिवारवालों ने बेमेतरा जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। दो दिन तक जिला अस्पताल में भर्ती होने के बाद स्थिति में सुधार नहीं होते देख और ऑक्सीजन लेवल 70तक पहुंचने पर एएनएम को रायपुर एम्स रेफर कर दिया गया।
राज्य शासन में सरकारी महिला कर्मचारी को छह महीने का मातृत्व अवकाश देने का प्रावधान है। मृतक दुलारी ने मार्च में ही इसके लिए आवेदन किया था, पर उसे आठ महीने के गर्भावस्था के दौरान भी अवकाश नहीं मिला। जिसके बाद वह जान जोखिम में डालकर मजबूरी में ड्यूटी करती रही। इस संबंध में साजा बीएमओ अश्वनी वर्मा का कहना है कि दुुलारी बाई को मातृत्व अवकाश 9 माह लगने पर दिया जाना था। कोरोना से निधन की सूचना मिली है। नियमानुसार उन्हें विभाग से सहायता दी जाएगी। बीमा क्लेम के लिए भी प्रयास किया जाएगा।