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राजस्थान में बिजली कर्मियों का है ड्रेस कोड, सरकार देती है पैसा, फिर भी कर्मचारी-अफसर दिखाते हैं ठेंगा

Rajasthan : क्या आप जानते हैं कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में कार्यरत तकनीकी कार्मिकों के लिए वर्दी (ड्रेस कोड) अनिवार्य है, लेकिन फील्ड और कार्यालय दोनों ही जगह इसकी पालना नहीं हो रही है।

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छत्तीसगढ़ सीमेंट एवं खदान कल्याणकारी श्रमिक संघ ने जताई आपत्ति(photo-patrika)

छत्तीसगढ़ सीमेंट एवं खदान कल्याणकारी श्रमिक संघ ने जताई आपत्ति(photo-patrika)

Rajasthan : जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (जेवीवीएनएल) में कार्यरत तकनीकी कार्मिकों के लिए यूं तो वर्दी (ड्रेस कोड) अनिवार्य है, लेकिन फील्ड और कार्यालय दोनों ही जगह इसकी पालना नहीं हो रही। हर साल वर्दी का बजट लेने के बाद भी कई कर्मचारी सामान्य या फैशनेबल कपड़ों में ड्यूटी करते दिख रहे हैं, जिससे असली बिजलीकर्मी की पहचान करना आमजन के लिए मुश्किल हो रहा है। इससे ठगी जैसी वारदातों का खतरा बढ़ रहा है।

जेवीवीएनएल की ओर से जारी कार्यालय आदेश में भी स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तकनीकी कार्मिकों को फील्ड तथा कार्यालय में निर्धारित ड्रेस कोड में उपस्थित होना अनिवार्य है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। फील्ड में काम करने वाले तकनीकी कर्मचारी यदि वर्दी में न हों तो आमजन के लिए असली बिजली कर्मचारी की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। ठगी और फर्जीवाड़े के इस दौर में यह स्थिति और भी खतरनाक मानी जा रही है। बिना वर्दी कोई भी व्यक्ति बिजलीकर्मी बनकर उपभोक्ताओं से मनमानी कर सकता है और ऐसे कई मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। खास बात यह है कि कर्मचारियों की पहचान के अभाव में निगम की छवि भी खराब होती है।

कार्यालयों में भी गड़बड़ी की अनदेखी

मामला महज फील्ड तक सीमित नहीं है। भरतपुर वृत्त के कई कार्यालयों में करीब 100 तकनीकी कार्मिकों को मंत्रालयिक कार्यों में लगा रखा है, जबकि वे टेक्निकल स्टाफ हैं। आश्चर्य की बात यह है कि कार्यालय में बैठते हुए यह कर्मचारी वर्दी नहीं पहनते और बाबूओं की तरह रौबीला व्यवहार करते हैं। विभागीय आदेशों में साफ है कि चाहे तकनीकी कार्मिक फील्ड में हों या कार्यालय में, उन्हें निर्धारित ड्रेस कोड की पालना करनी अनिवार्य है।

आदेश में स्पष्ट चेतावनी

जेवीवीएनएल की ओर से जारी आदेश में उल्लेख है कि निरीक्षण के दौरान कई तकनीकी कार्मिक बिना वर्दी पाए गए। इसलिए अब नियंत्रण अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि कोई तकनीकी कर्मचारी निर्धारित वर्दी में कार्यालय या फील्ड में उपस्थित नहीं होता है तो उसकी अनुपस्थित, या नियम विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। कर्मचारियों में ड्रेस कोड को लेकर लापरवाही का नतीजा यह है कि तकनीकी कार्य प्रभावित होते हैं, फील्ड में पहचान मुश्किल होती है और कार्यालय में कार्यप्रणाली अस्त-व्यस्त रहती है। विभागीय आदेशों में स्पष्ट चेतावनी के बावजूद इन नियमों की अनदेखी निगम प्रशासन की कमजोर निगरानी को भी उजागर करती है।

यह है निर्धारित ड्रेस कोड

अधीक्षण अभियंता (पवस) जयपुर डिस्कॉम की ओर से सितबर माह में इसको लेकर आदेश जारी किए थे। इसमें कहा था कि वृत्त भरतपुर में कार्यरत तकनीकी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को निगम निर्धारित गणवेश पुरुष (हल्के नीले रंग की कमीज एवं गहरे स्लेटी रंग की पैंट) एवं महिला (हल्के नीले रंग का कुर्ता, गहरे स्लेटी रंग की सलवार अथवा हल्के नीले रंग की कमीज, गहरे स्लेटी रंग का पैंट एवं हल्के नीले रंग, गहरे नीले रंग के संयोजन में साड़ी) पहनने के निर्देश थे। अधिकारियों के निरीक्षण में सामने आया कि कर्मचारी निर्धारित ड्रेस कोड में नहीं आ रहे हैं।

ऐसे मिलता है वर्दी का पैसा

कर्मचारी संवर्ग - वार्षिक दर (रुपए में)
वाहन चालक - 2250
पुरुष चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी - 2000
महिला चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी - 2350

ड्रेस कोड में ही आ रहे कर्मचारी

ऐसा नहीं है, तकनीकी कर्मचारी ड्रेस कोड में ही आ रहे हैं। यदि तकनीकी कर्मचारी, बाबुओं का काम कर रहे हैं तो इसको दिखवाते हैं।
केवल कुमार वर्मा, एक्सईएन जेवीवीएनएल भरतपुर