
चंडी मंदिर दुर्ग (फोटो सोर्स- पत्रिका)
CG News: दुर्ग की आस्था का केंद्र… चंडी मंदिर में मां चंडिका (दुर्गा) की पूजा कुंड स्वरूप में की जाती है। मान्यता है कि मां चंडी यहां मौजूद कुंड में विश्राम कर रहीं हैं। मंदिर में शहर के लोगों की आस्था किसी शक्तिपीठ से कम नहीं है। लोगों की आस्था है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। इसी के चलते यहां हर साल 2500 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए जाते हैं। इस बार भी यहां 2500 ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं। मंदिर में पूरी नवरात्र दर्शन के लिए लोगों की भीड़ पहुंचेगी।
चंडी मंदिर के इतिहास को लेकर कई मान्यताएं हैं। पुरातात्विक महत्व स्थलों और प्राचीन मंदिरों के संरक्षण से जुड़ी संस्था सजग प्रयास के संरक्षक अरुण गुप्ता के अनुसार चंडी मंदिर का इतिहास कम से कम 2600 साल का है। वे बताते हैं कि कुछ साल पहले मंदिर परिसर की खुदाई में रिंग वेल (कुआं) व हाथी दांत के बने गहने मिले हैं। पुरातत्व विभाग ने इसके करीब 2600 साल पुराना होने का अनुमान लगाया है। इसकी जानकारी राजपत्र में भी प्रकाशित है। इससे प्रमाणित है कि मंदिर के आसपास मानवीय बसाहट थी। पूर्व में मंदिर में बेहद प्राचीन प्रतिमाएं थी।
जन आस्था का केंद्र बन चुके मंदिर को राजस्थान से लाल पत्थर से आकर्षक स्वरूप दिया गया है। मुख्य द्वार पर नक्काशीदार द्वार बनाया गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार प्राचीन पत्थरों से यह मंदिर बनाई गई थी, जिसे अब नए स्वरूप में परिवर्तित कर दिया गया है। कुंड के समीप ही मां चंडिका के साथ दूसरी प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है।
मंदिर में इस बार भी 2500 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं। इनमें शहर व जिले के अलावा प्रदेश व देशभर के कई शहरों के लोग शामिल हैं। ज्योति कलश स्थापना कराने वालों में दूसरे शहर के लोग भी शामिल हैं।
यहां जीई मार्ग पर पटेल चौक से तहसील कार्यालय, शनिचरी बाजार होते हुए पहुंचा जा सकता है। दुर्ग रेलवे स्टेशन से भी पहुंचा जा सकता है। मुख्यमार्ग से मंदिर की दूरी एक किमी और रेलवे स्टेशन से दूरी करीब दो किलोमीटर है।
Published on:
24 Sept 2025 11:46 am
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