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मत्स्य पालन का सपना दिखाकर ठग लिए पांच करोड़

locationभीलवाड़ाPublished: Jul 28, 2021 10:31:14 am

Five crores cheated by showing the dream of fishing in bhilwara मत्स्य पालन का सपना दिखा कर भीलवाड़ा और आसपास के इलाकों के 78 जनों से करीब पांच करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का एक बड़ा मामला राजस्थान पत्रिका की पड़ताल में सामने आया है। हरियाणा के गुरुग्राम की एक फर्जी कंपनी ने प्रदेश के कई जिलों में जाल बिछा कर घर बैठे मत्स्य पालन करने के नाम पर लोगों की जमा पूंजी हड़प ली ।

Five crores cheated by showing the dream of fishing in bhilwara

Five crores cheated by showing the dream of fishing in bhilwara

भीलवाड़ा। मत्स्य पालन का सपना दिखा कर भीलवाड़ा और आसपास के इलाकों के 78 जनों से करीब पांच करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का एक बड़ा मामला राजस्थान पत्रिका की पड़ताल में सामने आया है। हरियाणा के गुरुग्राम की एक फर्जी कंपनी ने प्रदेश के कई जिलों में जाल बिछा कर घर बैठे मत्स्य पालन करने के नाम पर लोगों की जमा पूंजी हड़प ली । Five crores cheated by showing the dream of fishing in bhilwara
इनमें कई मत्स्य पालक तो गरीब तबके व पेंशनर्स है, जो कि मत्स्य पालन को आजीविका मानते हुए इसमें बहुत कुछ गंवा बैठे है। धोखाधड़ी के कई मामले पुलिस थानों में दर्ज है, लेकिन अधिकांश मामले कागजों में ही दफन हो गए। मत्स्य विकास विभाग ने भी ऐसी बोगस कंपनियों से सावधान रहने को कहा है।
जिले में मत्स्य पालन की प्रचुर संभावना एवं यहां की मछलियां विभिन्न राज्यों में जाने से कई बोगस कंपनियों की यहां के लोगों पर नजर है। इनमें गुरुग्राम की कंपनी फिश फार्चुन प्राड्यूस कम्पनी और निदेशक विनय शर्मा व विजेन्द्र शर्मा के खिलाफ सुभाषनगर व सदर पुलिस थाने में दो मामले दर्ज हुए है। सुभाषनगर थाने में आरसी व्यासनगर निवासी महेश कुमार शर्मा ने कंपनी के निदेशकों और उसके स्थानीय एजेंट नंदलाल साहू, नन्हें खां व शिवराज साहू के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। तीनों एजेंटों ने भी कंपनी व उसके निदेशकों के खिलाफ रिपोर्ट दी है। उनका कहना है कि कम्पनी व निदेशकों के झांसे में आ कर उन्होंने भीलवाड़ा व आसपास क्षेत्र के ७८ मत्स्य पालकों का निवेश करवाया है, लेकिन उनके साथ धोखा हुआ है।
पौंड मत्स्य पालन व अनुदान का झांसा

कंपनी ने लोगों से कहा था कियदि वे अपनी जमीन पर पौंड बना कर मत्स्य पालन करेंगे तो उन्हें कई गुना कमाई होगी। इसके लिए प्रत्येक को पांच से साढ़े पांच लाख रुपए तक जमा कराने होंगे। जमीन, बिजली व चौकीदार भी आवेदक का ही होगा। कंपनी मछलियां, दवा व बाजार उपलब्ध कराएगी। मत्स्य पालन का काम शुरू होने पर कंपनी पहली किस्त के रूप में 75 हजार रुपए भी लौटाएगी। जमा राशि पर अनुदान भी देगी। कंपनी ने झांसा दिया था कि पांच लाख की राशि वह सुरक्षा गारंटी के रूप में ले रही है और इसके बदले राशि का चेक भी दे रही है।
झांसे में आए और चेक बाउंस हो गए
कंपनी के इस झांसे के बाद वर्ष 2019 से लेकर नवम्बर २०२० के मध्य 78 लोगों ने अपने-अपने पांच लाख दस हजार रुपए भी जमा करा दिए। इसके बदले उन्हें चेक भी दिए गए। ठगे गए लोगों का कहना है कि रुपए देने के बावजूद उनकी पहली किस्त व माल की सप्लाई नहीं हुई। स्थानीय एजेंटों से इसकी शिकायत की तो वे भी कन्नी काट गए। कंपनी के चेक भी बाउंस हो गए। खोजबीन करने पर गुरुग्राम स्थित कंपनी पर ताले लटके और संचालक फरार मिले।
पेंशन की राशि लगा दी

महेश कुमार शर्मा ने बताया कि वह पेंशनर है। सात माह पहले परिचित नंदलाल साहू, नन्हें खां मंसूरी और शिवराज साहू मिले थे। उन्होंने फि श फार्चुन प्रोडक्ट का प्लान बताते हुए कहा कि 5 लाख 50 हजार रुपये लगाने होंगे। इसके बाद कंपनी फि श पौण्ड तैयार करेगी। इस दौरान एजेंटों ने वाट्सएप्प कॉल से कंपनी के मालिक विनय शर्मा व विजेंद्र से भी बात करवाई। झांसे आकर उनके खाते में पांच लाख 10 हजार रुपए जमा करवा दिए। 15 दिन बीत जाने के बाद भी काम चालू नहीं किया। पुनर्भुगतान के लिए दिया गया पांच लाख का चैक भी बाउंस हो गया।
हमें विश्वास में ले कर किया धोखा

स्थानीय एजेंट नन्हे खां का कहना है कि उन्हें विश्वास में लेकर धोखा दिया गया। दोनों निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया है। गुरुग्राम स्थित कार्यालय भी बंद है, घर का पता हमें मालूम नहीं है। निवेशक हमारे खिलाफ भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवा रहे है।
गुरुग्राम भेजेंगे टीम

फि श फार्चुन प्रोडक्ट के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। प्रकरण में अनुसंधान जारी है। जल्द ही गुरुग्राम टीम भेजी जाएगी, इसके बाद ही वस्तु स्थिति सामने आ पाएगी। इस संदर्भ में स्थानीय स्तर पर भी पीडि़तों से पूछताछ जारी है।
– पुष्पा कसौटिया, थाना प्रभारी, सुभाषनगर

बोगस कंपनियों से रहे सावधान
जिले में मत्स्य पालन के नाम पर कई बोगस कंपनियां है। ये विभागीय स्तर पर पंजीकृत नहीं है और ना ही मत्स्य उत्पादन व अनुदान देने के लिए अधिकृत है। लोगों को ऐसी कंपनियों से सावधान रहना चाहिए।
– अनिल जोशी, सहायक निदेशक, मत्स्य विकास विभाग

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