
प्लास्टिक में लिपटा मिला नवजात और फेवीक्विक कांड वाला मासूम (फोटो- पत्रिका)
गुलाबपुरा (भीलवाड़ा): मां मेरा कसूर क्या था? जिस बच्चे के लिए मां-बाप लाखों मन्नतें मांगते हैं। दर-दर भटक कर दुआएं करते। तूने जन्म देने के बाद पलभर भी मुझे आंचल में नहीं रखा। छोड़ दिया मुझे लावारिश कहलाने के लिए। मैंने अभी पूरी तरह आंखें भी नहीं खोली थी। बंद आंखों से मुझे दुनियादारी दिखा दी।
बता दें कि भीलवाड़ा जिला मुख्यालय के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के गहन शिशु चिकित्सा इकाई में भर्ती जन्म के कुछ घंटे बाद ही कांटों में फेंके गए नवजात की आंखें मानो यही कह रही हों। दौलतपुरा गांव के बाहर खेत के रास्ते पर मिले नवजात की हालत देखकर ग्रामीण सिहर गए।
बंद आंखों से झकझोर देने वाली पीड़ा सहन कर रहे बच्चे को जैसे ही ग्रामीणों ने गोदी में लिया। बच्चा जमकर बिलखा। कांटों में बिलखते नवजात को अस्पताल पहुंचाया। गुलाबपुरा थाना पुलिस बच्चे को इस हालत में छोड़ने वाले परिजनों का पता कर रही है।
नवजात को इस तरह कौन छोड़कर गया पुलिस इसकी पड़ताल में जुटी है। आसपास के ग्रामीणों से पूछताछ की जा रही है। क्षेत्र के अस्पताल में पिछले दिनों हुई डिलीवरी की जानकारी जुटाई जा रही है।
जिस जगह बच्चा मिला वह खेत के रास्ते पर था। सूनसान इलाका था। गनीमत रही कि बच्चे के साथ हुई क्रूरता का समय पर पता चल गया। दर्द से कराहते बच्चे की समय पर सुध लेने से जान बच गई। उसे जीव-जंतु भी शिकार बना सकते थे। श्वान नोंच सकते थे। खुली जगह होने से सर्द हवाओं के कारण नवजात ठिठुर रहा था। उसकी नाल नहीं कटी हुई थी।
बीते एक महीने पहले बिजौलिया थाना क्षेत्र से ममता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई थी। घटना से 15 दिन पहले जन्मे बच्चे के मुंह में पत्थर भरकर उसके होंठ को फेवीक्विक से चिपकाकर लावारिस हालत में छोड़ दिया गया था। बकरियां चरा रहे ग्रामीणों ने देखा तो उसे तत्काल बिजौलिया चिकित्सालय लाया।
बिजौलिया से 15 किलोमीटर दूर सीतामाता कुंड के निकट कुछ चरवाहे बकरियां चरा रहे थे। उन्हें पत्थरों के बीच में एक नवजात दिखा। नवजात के मुंह में पत्थर भरे थे और होंठ पर फेवीक्विक लगी थी। तत्काल चरवाहों ने बच्चों के मुंह से पत्थर निकला तो वह रोने लगा। पैरों पर रखे गर्म पत्थर के कारण उसके पैर झुलस गए थे।
बता दें कि इलाज के दौरान जब डॉक्टरों ने मुंह को क्लीन किया तो उसमें फेवीक्विक जैसा कुछ गोंद पदार्थ निकला। गर्म पत्थर पर फेंकने से शरीर का कुछ हिस्सा भी झुलसा गया था। पैरों में फ्रैक्चर की संभावना के चलते एक्सरे और आवश्यक जांच करवाई गई थी।
सीताकुंड महादेव मंदिर जंगल क्षेत्र में है। गनीमत रही कि बच्चे के साथ हुई क्रूरता का समय पर पता चल गया। दर्द से कराहते बच्चे की समय पर सुध लेने से जान बच गई। उसे जंगली जीव-जंतु भी शिकार बना सकते थे।
Updated on:
01 Nov 2025 01:51 pm
Published on:
01 Nov 2025 11:58 am
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