पत्रिका ने प्रेरित किया, संभाली व्यवस्था सोसायटी के रजनीश सुवालका बताते है कि कोरोना संकट काल में शहर के अधिकांश घरों में कोरोना महामारी ने पैर पसार रखे है। परिजन बेबस हो गए है, कई घरों में तो असामयिक मौतों ने परिवारों को तोड़ कर रख दिया। समाज के अन्य वर्गों में भी हालात ठीक नहीं है। आमजनों के साथ मध्यम वर्ग आय वर्ग के लोग भी कोरोना संकट काल में परेशानी में है। ऐसे में राजस्थान पत्रिका के महामारी से महा मुकाबला महाभियान से प्रेरित हो कर कांचीपुरम वेलफेयर सोसासटी ने पीडि़त मानव सेवा का जिम्मा उठाया।
सात दिन तक एक परिवार को देते टिफिन अध्यक्ष भूपेन्द्र मोगरा बताते है कि महामारी का डर इतना है कि करीबी व रिश्तेदार भी मदद नहीं कर पा रहे है। अभी सुबह व शाम करीब छह खंड का एक टिफिन स्टाफ की मदद से तैयार कर रहे है। यह खाना टीम सदस्यों की मौजूदगी में बन रहा है। लगातार सात दिन तक हम यह टिफिन जरुरतमंद परिवारों को सुबह व शाम मुहैय्या कराते है। प्रत्येक दिन खाने का मेनू बदला जाता है, रोजाना ३५० से अधिक टिफिन तैयार होते है। किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।
सोशल मीडिया की लेते मददद सचिव संजय हुरकट ने बताया कि हमने दस सदस्यीय टीम का एक व्हाट्स ग्रुप बना रखा है। इसमें परिचितों व करीबियों के जरिए जरुरतमंदोंं की सूची रोाजना सुबह बनाते है। इसी आधार पर वितरण करते है। कोरोना वारियर्स के साथ ही लॉक डाउन में पुलिस व प्रशासनिक व्यवस्था संभाले अधिकारियों व कर्मचारियों को भी टिफिन मुहैय्या कराते है।
खाद्य सामग्री का किट भी करते है वितरण राजेश बालेरा ने बताया कि तीन मई को यह व्यवस्था शुरू की थी, भोजन स्वादिष्ट एवं लजीज बने, इस पर विशेष रूप से ध्यान रहता है। टिफिन के साथ ही सोसायटी ने खाद्य सामग्री किट वितरण की व्यवस्था संभाल रखी है। किट में अनाज, तेल, मसाला, दाल आदि सामग्री शामिल है। यह व्यवस्था लॉक डाउन की अवधि में जारी रहेगी।
कोविड केयर सेंटर
टीम सदस्य सुनील अग्रवाल, अंकुर गर्ग, अमित सुराणा, गणपत बोहरा व मोहन भंडारी भी यहां की व्यवस्थाओं का मुख्य हिस्सा है। यह बताते है कि कांचीपुरम में ही उन्होंने स्थानीय परिवारों के लिए तत्कालिक ऑक्सीजन की सुविधा देने के लिए दो बेड का कोविड सेंटर बना रखा है। यहां चिकित्सकों की देख रेख में प्राथमिक उपचार होता है।