
हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने से इंकार
Bhojshala Survey - Supreme Court refuses to ban on Survey - एमपी के धार में भोजशाला की सच्चाई जानने के लिए किया जा रहा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानि एएसआई ASI Survey of Bhojshala का सर्वे जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इसे मुस्लिम पक्ष के लिए दोहरा झटका माना जा रहा है। इससे पहले मुस्लिम पक्ष अग्रिम सुनवाई की मांग भी कर चुका था पर सुप्रीम कोर्ट ने इससे मना करते हुए निर्धारित तिथि पर ही सुनवाई की बात कही थी।
धार की मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी ने भोजशाला में चल रहे
एएसआई ASI के सर्वे को रोकने के लिए याचिका दायर की थी। सोमवार को इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष कोर्ट ने सोसायटी की मांग को नामंजूर करते हुए भोजशाला सर्वे Bhojshala Survey पर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया।
मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी ने विशेष अनुमति याचिका लगाकर एमपी हाईकोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे का आदेश रद्द करने की मांग की थी। याचिका में उनके अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत किया। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के तर्क सुने पर हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने से इंकार कर दिया।
इधर भोजशाला का इतिहास खंगालने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर चल रहा सर्वे का काम सोमवार को भी जारी रहा। एएसआई की टीम यहां सुबह ही पहुंच गई थी और दोपहर तक लगातार सर्वे करती रही। कई घंटों से चल रहे सर्वे में दरगाह के आसपास का भी सर्वेक्षण किया जा रहा है।
इस बीच भोजशाला की सच्चाई जानने के लिए एएसआई की एक टीम मांडू जा रही है। इतिहासकारों के अनुसार धार जैसा मांडू भी एमपी का पुराना शहर है और यहां भी परमार वंश ने शासन किया था। मांडू से भोजशाला का कनेक्शन भी जुड़ा है जिसके कारण एएसआई टीम वहां जाकर पड़ताल करेगी। एएसआई की टीम मांडू के 56 महल संग्रहालय जाएगी।
एएसआई के विशेषज्ञों का दल मांडू में सर्वे के लिए पांच अप्रैल यानि शुक्रवार को जाएगा। यहां भोजशाला से लाए गए शिलालेख और मूर्तियों का अध्ययन करेगा। यहां बूढ़ी मांडू और धार जिले के अन्य क्षेत्रों से प्राप्त परमार कालीन प्रतिमाएं भी हैं।
एएसआई विशेषज्ञों के अनुसार धार का मांडू से सदियों पूर्व से नाता रहा है। इसीलिए धार भोजशाला से मांडू भेजी गई संग्रहालय में रखी परमार कालीन मूर्तियों का अध्ययन किया जा रहा है। मांडू में परमार वंश का लंबा शासनकाल रहा है जिससे भोजशाला से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती है। एएसआई का मानना है कि इन दोनों स्थानों की तहकीकात के बाद परमार कालीन भोजशाला से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती है। विशेष तौर पर 56 महल संग्रहालय में रखी कुबेर की प्रतिमा का परीक्षण किया जाएगा।
Updated on:
01 Apr 2024 02:36 pm
Published on:
01 Apr 2024 02:27 pm
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