
ये है बुलों का 'विक्की डोनर', देशभर में इसके हैं पोने 2 लाख से ज्यादा बच्चे
भोपाल. छह फोट ऊचा कद, मजबूत डीलडौल, भूरा रंग और बड़ी आंखें। ये हुंकार भरें तो शेर को भी पीछे हटना पड़े। ये खूबियां हैं, गिर नस्ल के बुल (सांड) की। खास बात ये कि देश के टॉप-2 सीमन डोनर बुल मध्य प्रदेश के पास हैं। इनके सीमन की मांग कृत्रिम गर्भाधान के लिए देश के सभी राज्यों में है। गुजरात, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ को सीमन डोज दिए जा चुके हैं। इस साल राजस्थान सरकार भी चाहती है कि इन बुल का सीमन उनके राज्य को भी मिले।
राजधानी भोपाल में केरवा डैम स्थित सेंट्रल सीमन स्टेशन में नंबर वन बुल गिर नस्ल का है, जबकि साहीवाल नस्ल का भी श्रेष्ठ बुल है। सेंटर द्वारा 2001-2022 के लिए सीमन के 35 लाख डोज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
शीर्ष 10 संस्थानों में भोपाल शामिल
दरअसल, दुधारू पशुओं की नस्ल सुधार का कार्यक्रम जारी है। शीर्ष 10 संस्थानों में से एक भोपाल के सेंट्रल सीमन सेंटर स्थित केंद्र में सरकार की निगरानी वाली अत्याधुनिक लैबों में यह काम हो रहा है। यहां 16 प्रकार के गो और भैंसवंशीय पशुओं के सीमन का उत्पादन होता है। देसी उत्कृष्ट 180 गोवंश के नर हैं। भेंसवंश को मिलाकर संख्या 230 है।
8 से 10 हजार डोज सीमन का हर हफ्ते उत्पादन
भोपाल और दतिया केंद्रीय सीमन सेंटर की क्रियान्वयन एजेंसी राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम है। प्रबंध संचालक डॉ. एचबीएस भदौरिया के अनुसार, प्रदेश को सीमन के 35 लाख डोज सालाना चाहिए। केंद्रीय एजेंसी और अन्य राज्यों की मांग भी रहती है। गिर नस्ल के बुल से सप्ताह में दो बार प्रति कलेक्शन 200-250 डोज तैयार होते हैं। साहीवाल में संख्या प्रति कलेक्शन 250-300 होती है। हर हफ्ते कुल 8000 से 10000 डोज तैयार किए जा रहे हैं।
भोपाल पूरी कर रहा गुजरात की मांग
खास बात ये है कि, गिर नस्ल मूल रूप से गुजरात की पहचान है। गिर के शेड्स शॉटेड सीमन की सबसे ज्यादा मांग गुजरात से ही भोपाल आती है।
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Published on:
18 Jan 2022 09:19 pm
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