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प्रदेश में 7 सालों में 15 फीसदी बढ़ा कैंसर

locationभोपालPublished: May 08, 2021 05:55:32 pm

Submitted by:

Arun Tiwari

मौत में 20 फीसदी का इजाफा
फल-सब्जियों में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल बड़ा कारण

कर्नाटक में सरकारी कोटे के मरीजों के उपचार शुल्क में वृद्धि
भोपाल : प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के सामने कोरोना के साथ ही कैंसर पर नियंत्रण एक बड़ी चुनौती है। मध्यप्रदेश, देश के उन टॉप टेन राज्यों में शामिल है जहां पर कैंसर और उससे होने वाली मौत के मामले सबसे ज्यादा हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम रिपोर्ट 2020 चौंकाती है। तमाम सरकारी कोशिशों के बाद भी पिछले 7 सालों में प्रदेश में कैंसर के मामलों में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं 20 फीसदी से ज्यादा मौत के मामले भी बढ़े हैं। पिछले एक साल में 40 हजार से ज्यादा लोग कैंसर की जकड़ में आकर मौत के मुंह में समा गए हैं। पिछले 7 साल का मौतों का आंकड़ा ढाई लाख से ज्यादा का है। प्रदेश में नाक,मुंह,गला और स्तन कैंसर के मरीज सबसे ज्यादा पाए जाते हैँ। एक शोध के अनुसार कैंसर की सबसे बड़ी वजह अनाज,फल और सब्जियों में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल है। इसके अलावा दूध,दही,घी जैसे खाद्य पदार्थों में मिलावट भी कैंसर का कारण बन रहा है।

प्रदेश में 7 सालों में इस तरह बढ़े कैंसर के मामले :
– 2014 – 66584
– 2015 – 68375
– 2016 – 70214
– 2017 – 72065
– 2018 – 73957
– 2019 – 75911
– 2020 – 77888

प्रदेश में 7 सालों में इस तरह बढ़े मौत के मामले :
– 2014 – 36740
– 2015 – 37722
– 2016 – 38735
– 2017 – 39758
– 2018 – 40798
– 2019 – 41876
– 2020 – 42966

कैंसर नियंत्रण के लिए केंद्रीय पूल से मिली राशि : लाख रुपए में –
– 2015-16 – 2228.17
– 2016-17 – 1647.01
– 2017-18 – 178.05
– 2018-19 – 399.06
– 2019-20 – 530.77
– 2020-21 – 937.98

एनपीसीडीसीएस के तहत केंद्र देता है राशि :
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र सरकार राष्ट्रीय कैंसर निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम यानी एनपीसीडीसीएस संचालित कर रही है। इसके तहत कैंसर की रोकथाम, जांच और इलाज के लिए उपयुक्त संस्थान में रेफर करना और लोगों में जागरुकता लाना शामिल हैं। कैंसर के नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने कुछ राज्यों में व्यापक कार्यक्रम शुरु किए हैं जिनमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। इसके तहत तीस साल से ज्यादा उम्र के लोगों की जांच का लक्ष्य रखा गया है।

कैमिकल और पेस्टीसाइड बड़ी वजह :
कैंसर का बड़ा कारण फल,सब्जी और अनाजों में पेस्टीसाइड का अत्याधिक प्रयोग है। सब्जी में अधिक उत्पादन लेने के लिए सब्जी उत्पादक केमिकल का प्रयोग करते है। मटर, टमाटर, घी में तो अत्याधिक पेस्टीसाइड का इस्तेमाल हो रहा है। फल और हरी सब्जियां अच्छी सेहत के लिए जरूरी हैं, लेकिन यही सब्जी और फल अगर रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल कर उगाई गई हैं तो इसके सेवन से दो पीढिय़ां तक बीमारियों की चपेट में आ सकती हैं। किसान फसलों की कीटों से रक्षा के लिए डीडीटी, एल्ड्रिन, मैलाथियान और लिण्डेन जैसे खतरनाक कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं। इनसे फसलों के कीट तो मरते हैं, साथ ही पक्षी, तितलियां फसल और मिट्टी के रक्षक कई अन्य जीव भी नष्ट हो रहे हैं। कीटनाशकों के अंश अन्न, जल, पशु और मनुष्यों में आ गए हैं। फसल पर कीटनाशकों के छिडक़ाव का मानव शरीर पर असर जानने के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए शोध से पता चला है कि कीटनाशक मनुष्य शरीर में कैंसर रोग को जन्म दे रहे हैं।

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