
Eighth Pay Commission in MP: केंद्र सरकार आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर चुकी है। उम्मीद है कि इसे 2026 में लागू कर दिया जाएगा। इससे पहले आयोग गठित होगा। वेतन वृद्धि की अनुशंसा करेगा। इसके बाद सरकार निर्णय लेगी। सबसे पहले केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों पर लागू करेगी। इसके बाद राज्य सरकार विचार करेगी। हालांकि हलचल प्रदेश में भी शुरू हो गई है। वह यह कि आठवें आयोग की सिफारिश लागू होने से पहले कर्मचारी वेतन विसंगति दूर करवाने की कोशिश में है। यहां आठ वर्ष पहले लागू सातवें वेतनमान की विसंगति बरकरार हैं।
प्रदेश में कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो पांचवें और छठे वेतनमान पर ही अटके हैं। सातवां वेतनमान पाने को संघर्ष कर रहे हैं। ज्यादातर कर्मचारी निगम-मंडल, प्राधिकारण आदि के हैं। इनमें आवास संघ, उपभोक्ता संघ, हस्तशिल्प विकास निगम, औद्योगिक केंद्र विकास निगम, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड इत्यादि शामिल हैं। तिलहन संघ, परिवहन निगम के कर्मचारियों को तो पांचवां वेतनमान ही मिल रहा। हालांकि इन दोनों निगमों को सरकार बंद कर चुकी है, लेकिन यहां कुछ कर्मचारी पदस्थ हैं। कुछ मामले अदालत तक भी पहुंचे हैं।
केंद्र ने एक जनवरी 2006 से लाभ दिया। एमपी में 2008 से लागू हुआ। हालांकि लाभ 2006 से ही दिया गया।
केंद्र ने अपने कर्मचारियों को लाभ एक जनवरी 2016 से दिया। एमपी में जुलाई 2017 से लागू हुआ। कर्मचारियों को 18 माह के एरियर का भुगतान किया गया।
एमपी में वर्तमान में रुपए 88581 करोड़ के लगभग वेतन-भत्तों पर खर्च होते हैं। यह राज्य के बजट का 16.65 प्रतिशत है। 8वां वेतनमान लागू होने पर खर्च एक लाख करोड़ तक पहुंच सकता है।
मध्यप्रदेश में 8वां वेतनमान चुनावी साल 2028 में लागू होगा। वहीं 31 दिसंबर 2025 सातवें वेतन आयोग की अवधि है। इसी से राज्य के कर्मियों को उम्मीद जगी है।
पहले सातवें वेतनमान की विसंगति दूर की जाए। संविदा कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ तो दिया गया, लेकिन भारी विसंगति है। वरिष्ठता में भेदभाव किया गया। वर्षो पूर्व सेवा में आए और मौजूदा कर्मचारियों को एक समान वेतनमान मिल रहा है। समयमान वेतनमान, पदोन्नति, क्रमोन्नति का लाभ भी नहीं मिल रहा।
-रमेश राठौर, अध्यक्ष, संविदा कर्मचारी महासंघ
राज्य के कर्मचारियों का बुरा हाल है। सातवें वेतनमान की विसंगतियां सात साल भी दूर नहीं हो पाई हैं। यह भारी विडंबना है। आठवां वेतनमान लागू होने के पहले वेतन विसंगतियां दूर की जाएं। इसके अलावा कर्मियों की अन्य लंबित मांगों पर भी सरकार विचार कर जल्द से जल्द दूर करे।
-जितेंद्र सिंह, अध्यक्ष, एमपी अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा
बात ऐसी है कि कर्मचारियों को अभी सातवां वेतनमान मिल रहा है। अब आठवें की तैयारी की जाएगी, लेकिन कुछ निगम मंडल ऐसे हैं जहां के कर्मचारी आज भी छठा वेतनमान पा रहे हैं। सरकार को इन कर्मचारियों पर भी ध्यान देना चाहिए। कर्मचारियों को सातवां वेतनमान का लाभ मिले और वेतन विसंगति भी दूर हो।
-अनिल बाजपेयी, अध्यक्ष, अर्धशासकीय कर्मचारी फेडरेशन
35 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले राज्य के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को चतुर्थ समयमान वेतनमान का लाभ दिया जा चुका है, लेकिन विधानसभा सचिवालय के कर्मचारी इससे वंचित हैं। इसके अलावा सातवें वेतनमान की विसंगति भी दूर नहीं हुई है।
-रामनारायण आचार्य, संरक्षक मप्र विधानसभा कर्मचारी संघ
-पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।
-पदोन्नति शुरू की जाएं।
-प्रदेश के अधिकारी, कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को केंद्र के समान महंगाई भत्ता देते हुए एरियर दिया जाए।
-लिपिक संवर्ग को मंत्रालय कर्मियों की तरह समयमान वेतनमान दिया जाए।
-सभी विभागों के कर्मियों को समयमान वेतनमान का लाभ, पदोन्नत वेतनमान के अनुसार दिया जाए।
-पंचायत सचिवों, स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ मिले।
-पटवारियों का ग्रेड पे 2800 रुपए किया जाए।
-स्वास्थ्य कर्मचारियों की लंबित मांगों का शीघ्र निराकरण किया जाए। अतिथि शिक्षकों एवं अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाए।
-दैनिक वेतनभोगी, संविदा कर्मचारी, स्थाई कर्मियों को विभाग में खाली पदों पर नियमितीकरण किया जाए। शेष पर सीधी भर्ती की जाए।
-विभागाध्यक्ष को नियमितीकरण के अधिकार दिए जाएं।
-प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी पदों पर आउटसोर्स से की जाने वाली भर्ती पर रोक लगाई जाए।
-इसके अलावा कार्यभारित कर्मियों को अवकाश नकदीकरण का लाभ भी प्रदान किया जाना चाहिए।
1.प्रदेश के कर्मचारियों सहित पेंशनर्स, निगम-मंडलों इत्यादि में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ कैबिनेट के अप्रेल 2020 के निर्णय के तहत दिया जाए।
2. वाहन चालकों की नियमित भर्ती हो। पदनाम परिवर्तित कर टैक्सी प्रथा पर पूर्णत: प्रतिबंधित लगाया जाना चाहिए।
3. निर्माण विभागों में तृतीय समयमान वेतनमान प्राप्त करने के लिए विभागीय परीक्षा की बाध्यता समाप्त कर अन्य विभागों की भांति तृतीय समयमान वेतनमान का लाभ दिया जाए।
4. आंगनबाड़ी सहायिकाओं, कार्यकर्ताओं को उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार नियमित वेतनमान का लाभ दिया जाए।
5. प्रदेश के सभी विभागों में अनुक्पा नियुक्ति के प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए।
Updated on:
03 Feb 2025 09:43 am
Published on:
03 Feb 2025 09:41 am
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