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High alert due to heavy rain: भोपाल/मानसून के उत्तराद्र्ध का महीना माने जाने वाले सितंबर में झमाझम का दौर जारी है। इस वर्ष के मानसून की सबसे चौंकाने वाली घटना हमेशा दक्षिण भारत में रहने वाले शियर जोन का मध्यप्रदेश तक आ जाना है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एसके नायक का कहना है कि यह इस समय 23 डिग्री उत्तरी अक्षांश के साथ रतलाम, उज्जैन, देवास, सीहोर, भोपाल, रायसेन, सागर, दमोह, जबलपुर, उमरिया, शहडोल जिलों के ऊपर से गुजर रहा है। यह वह लाइन होती हैं, जहां दो तरफ से मानसूनी हवाएं टकराती हैं, जिससे गरज-चमक की स्थिति बनती है और भारी बरसात होती है।
ये है शियर जोन : पूर्व-पश्चिम अपरूपण क्षेत्र (ईस्ट-वेस्ट शियर जोन) वह क्षेत्र होता है, जहां दो मानसूनी हवाएं टकराती है। मानसून के दौरान यह दक्षिण भारत में रहता है। इसके असर वाले इलाकों में लगातार और बेहद ज्यादा बरसात होती है। इस बार यह क्षेत्र मप्र में है। सबसे खास बात इसका औसत समुद्र तल से 1.5 किमी से लेकर 5.8 किमी ऊपर के बीच स्थित होना है। इसका 1.5 किमी नीचे तक होना भी इसे बेहद ताकतवर और प्रभावकारी बना रहा है।
शाम को छाईं काली घटाएं: राजधानी में मंगलवार शाम चार बजे घने बादलों के आते ही अंधेरा छा गया, लगा जैस रात होने वाली है। इसके बाद शुरू हुई बारिश ने डेढ़ घंटे में ही न केवल शहर को तरबतर कर दिया, बल्कि नाले-नालियों के पानी की पहुंच घरों तक हो गई। शाम 5.30 बजे तक 33.1 मिमी बारिश दर्ज हुई।
इस सीजन में टूट गया पिछले 12 साल की बारिश का रेकॉर्ड
डेढ़ घंटे में ही गिर गया 33 मिलीमीटर पानी
इस साल दस सितंबर की रात 11.30 बजे तक कुल 1551.5 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 555.6 मिमी अधिक है। अभी तक हुई बारिश ने वर्ष 2016 के 1431.5 मिमी बारिश के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया है। इस तरह इस साल 12 साल का रेकॉर्ड टूटा है। मंगलवार दोपहर बाद डेढ़ घंटे 33 मिमी पानी बरसा।
इस तरह बने रेकॉर्ड
औसत रेनी डे (सितंबर में) हैं 8.1, इस बार सितंबर के शुरू के दस दिनों में से आठ दिन हुई झमाझम बारिश
वर्ष 2006 के बाद इस सीजन में सबसे अधिक 1551.5 मिमी बारिश हो चुकी है
दक्षिण भारत में बनने वाला शियर जोन पहली बार भोपाल और आसपास के क्षेत्रों से गुजरा। इसकी वजह से राजधानी समेत आसपास के जिलों में हो रही है तेज बारिश
विशेषज्ञ भी हैं हैरान : सितंबर में ऐसी बारिश पहली बार देखी
कुछ वर्षों से तापमान बहुत अधिक या कम होता है तो कभी बरसात अधिक होती है। पहली बार देखने में आया है कि सितंबर में कनेक्टिविटी एक्टिविटी (गरज-चमक) हो रही है। सितंबर में रेनी डेज की संख्या भी बढ़ रही है। अब मानसून देर से आता है और देर तक चलता है। - अजय शुक्ला, मौसम वैज्ञानिक
चार दशक में नहीं हुई इतनी बारिश
मैंने चार दशक में कभी नहीं देखा कि शियर जोन मप्र के ऊपर से गुजर रहा हो। दक्षिण भारत में रहने वाला शियर जोन का 1.5 से 5.8 किमी की ऊंचाई पर होना इसे बेहद प्रभावी बना रहा है। इसके कारण राजधानी और आसपास के जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश हो रही है। - एसके नायक, मौसम वैज्ञानिक
साल-दर-साल दर्ज हुई बारिश
वर्ष_________कुल बारिश
2006_____1680
2007_____950
2008_____695.9
2009_____862.2
2010_____597.7
2011_____1230.9
2012_____1191.9
2013_____1320.5
2014_____759
2015_____1164.5
2016_____1431.5
2017_____729.8
2018_____806.5
2019_____1545.9
सितंबर में हुई बारिश
वर्ष_________बारिश
2009_____126.9
2010_____76.7
2011_____278.5
2012_____51.4
2013_____42.0
2014_____99.1
2015_____42.6
2016_____122.2
2017_____217.3
2018_____81.9
2019_____271.8
(10 सितम्बर तक)
बारिश मिमी में कोलार डैम के भी सभी आठ गेट खुले
60 घंटों से भदभदा-कलियासोत से लगातार छोड़ा जा रहा पानी
कोलार, कलियासोत, भदभदा व केरवा डैम लबालब, गेट खोलकर निकाला गया अतिरिक्त पानी
राजधानी समेत कोलार डैम के कैचमेंट एरिया में हो रही भारी बारिश के बाद लबालब हुए कोलार डैम के सभी आठ गेट मंगलवार शाम 5.45 बजे खोले गए। सोमवार को डैम के दो गेट खोल थे, जिन्हें दो घंटे बाद बंद किया था। इसके पूर्व वर्ष 2016 में डैम के सभी आठ गेट खुले थे। इसी तरह भदभदा व कलियासोत डैम के गेट पिछले 60 घंटों से खुले हुए हैं। बड़े तालाब में पानी बढऩे पर मंगलवार शाम पांच बजे भदभदा डैम के चार गेटों से अतिरिक्त पानी बाहर निकाला गया।
कलियासोत डैम के छह गेटों से पानी छोड़ा जा रहा है। डैम में पानी की अधिकता को देखते हुए इन्हें रातभर खोले जाने की बात कही जा रही है। इन डैमों के गेट इसी तरह खुले रहे तो 33 साल रेकॉर्ड टूट जाएगा। वर्ष 1986 में भदभदा के सभी 11 गेट 72 घंटे तक लगातार खुले रहे थे। हालांकि इस साल अधिकतम चार गेटों से पानी बाहर निकाला जा रहा है। जल स्तर बढऩे पर केरवा डैम से भी अतिरिक्त पानी बाहर निकाला जा रहा है। मंगलवार को राजधानी के सभी प्रमुख डैमों के लबालब होने के बाद गेटों के जरिये पानी बाहर किया गया।
Published on:
11 Sept 2019 10:42 am
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