चुनाव आयोग ने इन शिकायतों पर राज्य शासन से रिपोर्ट मांगी है, लेकिन शासन के विभाग इन अफसरों की जांच धीमी चाल से कर रहे हैं। जो शिकायतें आयोग में एक महीने पहले की गई थीं, उसकी जांच और कार्रवाई रिपोर्ट अभी तक आयोग को नहीं भेजी गई है।
चुनाव अयोग में सामान्य अफसरों की शिकायतों पर जितनी तत्काल कार्रवाई होती है, उतनी ही देरी खास अधिकारियों के खिलाफ की गई शिकायतों के निराकरण में की जा रही है। आयोग में की गईं 65 गंभीर शिकायतों की जांच रिपोर्ट राज्य शासन में लंबित है।
एस आर मोहंती (मुख्य सचिव), मलय श्रीवास्तव, अजीत केसरी, नीरज मंडलोई, अजीत कुमार, रजनीश श्रीवास्तव, सतेन्द्र सिंह, दीपक सिंह, ललित दाहिमा, विशेष गढ़पाले, भास्कर लक्षकार, बसंत कुर्रे, आरके जैन, उषा महेश्वरी, नीरज श्रीवास्तव, आरपीएस जादौन, अमरपाल सिंह, दीपक आर्य, शिवम वर्मा
शशिकांत शुक्ला, विजय प्रताप
सिंह, तिलकराज सिंह, कुमार सौरभ, वीरेन्द्र सिंह और एसएम अफजल
इस तरह की शिकायतें
चुनाव आयोग में की गई अधिकांश शिकायतों में अफसरों पर किसी राजनीतिक दल को समर्थन करने का आरोप लगाया गया है।
दतिया कलेक्टर रामप्रताप सिंह जादौन पर लगे आरोप रोचक हैं। भाजपा ने उन्हें कांगे्रस का एजेंट बताया है तो वहीं कांग्रेस की शिकायत है कि जादौन भाजपा के पक्ष में काम कर रहे हैं। दोनों ही दल यहां से जादौन को हटाने पर जुटे हैं।
उज्जैन कमिश्नर अजीत कुमार के बारे में की गई शिकायत कहा गया है कि इनके रहते संभाग के कर्मचारी-अधिकारी निष्पक्ष एवं भयमुक्त मतदान नहीं करवा पाएंगे, इसलिए इन्हें हटाया जाए।