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सौरभ जैसे 10 और… शिकायत 5 की, अब लोकायुक्त पर उठे सवाल, कल कोर्ट में पेश होंगे तीनों

Saurabh Sharma 7 Days Remand will be End Tomorrow: सौरभ शर्मा और उसके राजदार पिछले पांच दिन से लोकायुक्त पुलिस की रिमांंड पर हैं, आज रिमांड का छठा दिन है और कल रिमांड खत्म होते ही तीनों को कोर्ट में पेश होना है, हैरानी की बात ये है कि अब तक लोकायुक्त टीम सौरभ, चेतन और शरद से उगलवा नहीं सकी कि आखिर 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश किसका है? मामले में ही लोकायुक्त सवालों के घेरे में आ गई है...

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Saurabh Sharma On Remand (3)

Saurabh Sharma on Remand: लोकायुक्त पुलिस की रिमांड पर सौरभ और उसके राजदारों ने नहीं खोले राज, 7 दिन की रिमांड कल होगी खत्म.

Saurabh Sharma 7 Days Remand will be End Tomorrow: परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा, उसके राजदार चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल से लोकायुक्त पांच दिन से पूछताछ कर रही है। तीनों की रिमांड की मियाद भी अब पूरी होने जा रही है। मंगलवार को मियाद पूरी होने पर लोकायुक्त को तीनों को कोर्ट में पेश करना होगा। लेकिन पूछताछ में अब तक ठोस खुलासा कर पाने में लोकायुक्त को सफलता नहीं मिली है।

राजधानी में मेंडोरी के 19 दिसंबर की रात चेतन की कार से जब्त 52 किलो सोना और 11 करोड़ नकदी किसकी, लोकायुक्त यह भी नहीं उलगवा सकी। तीनों इस पर मुंह खोलने को तैयार नहीं है।

सौरभ जैसे 10 और हैं, लेकिन लोकायुक्त ने अब तक नहीं किया कुछ

खास यह है कि सौरभ ने जिन 10 लोगों की फौज के सहारे काली कमाई का पहाड़ खड़ा किया, उनकी शिकायत के बाद भी लोकायुक्त हरकत में नहीं आई। ग्वालियर के अधिवक्ता संकेत साहू ने 29 जनवरी को ही लोकायुक्त और डीजीपी से शिकायत की थी। कहा था, सौरभ के साथ 10 बड़े नाम थे। पूरे प्रदेश को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर वसूली होती थी। ये सभी परिवहन विभाग के आरक्षक थे। इनके पीछे कुछ मौजूदा मंत्री, पूर्व मंत्री, विधायक और अफसरों का गठजोड़ था।

इन आरक्षकों में से ज्यादातर वर्ष 2012 में सेवा में आए, कुछ पुराने भी थे। इन 10 नामों में 5 की नामजद शिकायत कर भ्रष्टाचार में उनकी भूमिका बताई गई। फिर भी लोकायुक्त पांचों तक नहीं पहुंची।

1. नरेन्द्र सिंह भदौरिया

नरेन्द्र सिंह भदौरिया भिंड का रहने वाला है। सौरभ के राइट हैंड के रूप में काम करता था। अपने क्षेत्र में वसूली कर रुपए जमा करता था। एक पूर्व मंत्री का भी नजदीकी है। इंदौर में कोठी बनवा रहा है। श्योपुर, भिंड और ग्वालियर में जमीन खरीदी है।

2. गौरव पाराशर

वर्ष 2012 में सेवा में आया। शिवपुरी जिले का रहने वाला है। एक कांग्रेस नेता का करीबी है। शिवपुरी, श्योपुर, इंदौर और झांसी (उत्तरप्रदेश) में जमीनें खरीदी। पत्नी समेत अन्य के नाम संपत्तियां हैं। कुछ बेची भी हैं।

3. दशरथ पटेल

2019 में सेंधवा बैरियर पर घूसखोरी की शिकायतें सामने आई थी। इंदौर लोकायुक्त को लिखित में शिकायत में कहा था, दशरथ वसूली करता है। धमकाता है, विरोध पर झूठी शिकायतें दर्ज करा देता है। इसमें अन्य अफसर उसकी मदद करते हैं।

4. हेमंत जाटव

शिवपुरी का रहने वाला है। रन्नौद क्षेत्र में रहता है। 2012 में सेवा में आया। सौरभ का राइट हैंड कहलाता है। ग्वालियर, शिवपुरी और श्योपुर में जमीनें खरीद रखी है।

5. धनंजय चौबे

सौरभ का सबसे खास है। इंदौर और छिंदवाड़ा में जमीनें खरीदी। परिवार के लिए सोने के लिए जेवर की खरीदारी की। लग्जरी गाडिय़ों में घूमता है। अलग-अलग नंबरों से लोगों से और सौरभ से संपर्क में रहता था।

शिकायत करने वालों को भोपाल और ग्वालियर के लगवाए चक्कर

संकेत साहू की शिकायत पर लोकायुक्त ने जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाई। जबकि दशरथ की शिकायत करने वालों को बयान के नाम पर भोपाल, ग्वालियर के चक्कर लगवाए थे।

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कब और किसके खिलाफ शिकायत

भदौरिया, जाटव, पाराशर और चौबे के खिलाफ 29 जनवरी 2024 की रात ग्वालियर के अधिवक्ता संकेत साहू ने लोकायुक्त और डीजीपी समेत वरिष्ठ स्तर पर शिकायत की थी। शिकायत में एक पूर्व मंत्री, एक मौजूदा मंत्री व एक पूर्व विधायक का भी नाम है। इतना ही नहीं, दशरथ पटेल के खिलाफ ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन इंदौर के अध्यक्ष सीएल मुकाती और 150 सदस्यों ने भी शिकायत की थी।

कल रिमांड खत्म, करेंगे कोर्ट में पेश

इधर, लोकायुक्त ने रविवार को भी सौरभ, शरद, चेतन से पूछताछ की। सोना और नकदी पर तीनों ने फिर कहा, हमारा नहीं है। रिमांड खत्म होने पर तीनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

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