मप्र में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मंत्रियों और दोनों दलों के विधायकों से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। बडे़ नेताओं की पत्नी, बहू, बेटे से लेकर भाई-बहन तक इन चुनावों में लड़ रहे हैं। पंचायत के चुनावों में हालांकि पार्टी के सिंबल नहीं दिए जाते, ये गैरदलीय आधार पर होते हैं लेकिन हर कोई जानता है कि कौन सा प्रत्याशी किस पार्टी से संबंधित है।
राज्य में इस बार अलग—अलग प्रदेशों के दो पूर्व सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है. टीकमगढ़ से मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की बहू जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं। उमा के भतीजे खरगापुर से BJP विधायक राहुल सिंह लोधी की पत्नी उमिता सिंह जिला पंचायत के वार्ड नंबर 8 से चुनाव लड़ रही हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मप्र के पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव की पौत्रवधु रोशनी यादव भी निवाड़ी जिले से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं। रोशनी भाजपा की जिला उपाध्यक्ष भी हैं।
निवाड़ी जिले के BJP विधायक अनिल जैन की पत्नी निरंजना जैन यहां से जनपद पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं। टीकमगढ़ से भाजपा विधायक राकेश गिरी की तो दो बहनों ने जनपद पंचायत सदस्य के लिए नामांकन पत्र जमा किया है। विधायक की बहन कामिनी गिरी अभी टीकमगढ़ जनपद पंचायत की अध्यक्ष भी हैं। मप्र के वन मंत्री विजय शाह के बेटे दिव्यादित्य शाह ने खंडवा में जिला पंचायत के वार्ड नंबर 14 से अपना नामांकन दाखिल किया है। इधर गुना जिले की चाचौड़ा से भाजपा की पूर्व विधायक ममता मीणा ने नामांकन दाखिल किया है. उनके रिटायर IPS पति रघुवीर सिंह मीणा ने भी यहां से जिला पंचायत सदस्य के लिए नामांकन दाखिल किया है।
इसी तरह सतना जिले की रैगांव के विधायक रहे स्व. जुगल किशोर बागरी के बेटे पुष्पराज बागरी जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। पुष्पराज ने बीते विधानसभा उपचुनाव में भी बागी होकर पर्चा भर दिया था लेकिन बाद में BJP नेताओं के आश्वासन पर उन्होंने पर्चा वापस ले लिया था।
ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंशवाद को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। उन्होंने परिवारवाद के खिलाफ जंग लड़ने की बात भी की. उन्होंने भाजपा के लिए भी यह कहा था कि अगर सांसदों के बेटों को टिकट नहीं मिला है तो उसके लिए मैं जिम्मेदार हूं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी परिवारवाद का विरोध किया है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि आगामी चुनावों में सांसद, विधायकों के परिजनों को पार्टी का टिकट नहीं मिलेगा. कांग्रेस ने भी एक परिवार से केवल एक टिकट ही देने का ऐलान किया है.