ये है पूरा मामला..
प्राप्त जानकारी के अनुसार रेलवे में नौकरी करने वाली महिला ने बीते दिनों घर में हुए विवाद के बाद अपने पति को घर से बाहर निकाल दिया था। पति जब भी बच्चों से मिलने के लिए जाता तो पत्नी उसे बच्चों से नहीं मिलने देती और घर का दरवाजा बंद कर देती थी। बच्चों से न मिल पाने से निराश पति ने जिला विधिक प्राधिकरण में न्याय की गुहार लगाई और कहा कि अगर पत्नी उसे बच्चों से नहीं मिलने देगी तो वो बच्चों की कस्टडी के लिए कोर्ट जाएगा। इसके बाद जिला विधिक प्राधिकरण ने पति-पत्नी की काउंसलिंग की तो पता चला कि पहले पति-पत्नी के बीच कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन जब साढ़ू भाई की मौत के बाद साली और उनकी बेटियां स्थाई रुप से घर में रहने के लिए आईं तो विवाद की शुरुआत हुई। एक दिन विवाद के दौरान नौबत मारपीट तक पहुंच गई और इसी के बाद पत्नी ने पति को घर से बाहर निकाल दिया था। पत्नी ने काउंसलिंग के दौरान बताया कि पति प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है और अक्सर शराब पीकर झगड़ा करता है जिससे बेटियों प बुरा असर पड़ सकता है इसलिए पति को घर से निकाल दिया था। वहीं पति ने बताया कि वो कभी कभार शराब पीता है और ये बात पत्नी को शादी के वक्त से मालूम थी और अब शादी के 15 साल बाद वो इसे लेकर झगड़ रही है। हालांकि काउंसलिंग के बाद अब पत्नी ने 7 शर्तों पर पति को घर में रहने की इजाजत दे दी है।
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इन 7 शर्तों पर हुआ समझौता..
1. पत्नी बहन और उसकी बेटी की आर्थिक मदद करती रहेगी और पति उसे ऐसा करने से नहीं रोकेगा।
2. पति शराब पीकर घर नहीं आएगा और मारपीट व गाली गलौच नहीं करेगा।
3. पति देर रात तक घर के बाहर नहीं रहेगा।
4. पति अपना काम खुद करेगा और बच्चियों की पढ़ाई में भी मदद करेगा।
5. ऑफिस जाते समय पति किसी तरह का काम नहीं बताएगा।
6. उनके बीच पूर्व में घटित किसी भी घटना का जिक्र नहीं करेगा।
7. मायके जाते समय किसी भी प्रकार रोक-टोक नहीं करेगा।
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