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22 साल बाद डॉक्टर पढ़ेंगे संवेदना का पाठ ताकि समझ सकें मरीजों का दर्द

locationभोपालPublished: Apr 07, 2019 01:30:05 am

Submitted by:

Ram kailash napit

-गांधी मेडिकल कॉलेज में नए सत्र से शुरू होगा एमबीबीएस का नया कोर्स

World Health Day

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भोपाल. आजादी के 53 साल बाद 1997 में डॉक्टरी की पढ़ाई में बदलाव के 22 साल बाद एक बार फिर एमबीबीएस कोर्स में व्यवहारिक बदलाव किए जा रहे हैं। एमबीबीएस के छात्र अब डॉक्टरी की पढ़ाई के साथ संवेदना और मरीजों से बेहतर संवाद का पाठ पढ़ेंगे। ऐसा इसलिए कि डॉक्टर मरीजों का दर्द समझ सकें और उनमें विवाद की स्थिति न बनें। नया कोर्स पहले से ज्यादा व्यवहारिक और प्रायोगिक होगा। इसके लिए गांधी मेडिकल कॉलेज में हुई कॉलेज काउंसिल की बैठक में नए कोर्स को लागू करने के लिए बुनियादी जरूरतों पर चर्चा की गई। बता दें कि वर्ष 2008 में सफदरजंग अस्पताल में मरीज और जूनियर डॉक्टरों के बीच विवाद के बाद जूडा हड़ताल पर चले गए थे। इस घटना के दो माह बाद ही भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में भी मरीजों से विवाद के बाद जूडा ने हड़ताल कर दी और करीब 15 दिन तक मरीज परेशान होते रहे। इसी साल देश के कई मेडिकल कॉलेजों में इस तरह के विवाद सामने आए। इसके बाद महसूस किया जाने लगा कि जूडा को मरीजों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। इसी के चलते एमबीबीएस कोर्स को इस तरह से रिडिजाइन करने की कवायद की गई है।

 

मरीजों के साथ व्यवहार भी सिखाया जाएगा
नए कोर्स के मुताबिक अब मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को योग -प्राणायाम सिखाया जाएगा। छात्रों को नैतिक स्तर पर भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल सोच विकसित करने नैतिक शिक्षा की पढ़ाई करनी होगी। मेडिकल और जनरल एथिक्स कोर्स में सिखाए जाएंगे। इसके अलावा डॉक्टर का मरीज और सामान्य परिवार जन के साथ व्यवहार कैसा होना चाहिए, इसकी भी शिक्षा दी जाएगी।
एमबीबीएस में ही मिलेगी पीजी की जानकारी
मौजूदा कोर्स में एमबीबीएस छात्रों शरीर रचना के बारे में किताबी जानकारी दी जाती है। अब छात्रों को प्रायोगिक जानकारी भी दी जाएगी। मसलन फि जियॉलजी के प्रोफेसर छात्रों को फेफड़ों के बारे में पढ़ाया है तो नए कोर्स के माध्यम से उस समय मेडिसिन प्रोफेसर भी मौजूद रहेंगे जो छात्रों को एलएफटी जांच के बारे में भी बताऐंगे। फिलहाल यह पीजी के दौरान ही पढ़ाया जाता है।
प्रायोगिक ज्ञान बढ़ाने पर जोर
अधिकारी के मुताबिक, एमबीबीएस के इस नए कोर्स की भी अवधि साढ़े चार साल ही रहेगी, लेकिन इसमें प्रायोगिक ज्ञान बढ़ाया जाएगा। नए पाठ्यक्रम में एमबीबीएस के छात्र पहले ही साल से ही अस्पतालों में मरीजों को देखने की प्रैक्टिस शुरू कर देंगे। प्रत्येक सेमेस्टर में ऐसे चैप्टर होंगे, जिन्हें हर छात्र को सीखना अनिवार्य होगा। हर सेमेस्टर के बाद छात्रों का एक टेस्ट होगा, जिनमें उनके सीखे गए कौशल की जांच होगी।
स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम की दरकार
विशेषज्ञों के मुताबिक इस कोर्स में स्टूडेंट्स एक्सचेंज प्रोग्राम होने चाहिए। इससे एमबीबीएस छात्रों को कुछ समय के लिए बड़े कॉलेज या दूसरे राज्यों में भेजा जाए। इससे छात्रों को वहां की परिस्थितियों के अनुसार उपचार की जानकारी मिल सकेगी।
ये मिलेगा लाभ
– डॉक्टर सभी सामान्य बीमारियों के इलाज में सक्षम होंगे।
– डॉक्टर का मरीजों के साथ संवाद बेहतर होगा।
– डॉक्टरों को पीजी कोर्स करने की जरूरत भी नहीं होगी।

मरीजों को फ ायदे
– अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी नहीं रहेगी।
– मरीजों को पर्याप्त देखभाल मिल सकेगी।
– मरीजों को एमबीबीएस डॉक्टर से ही पूरा इलाज मिल जाएगा।

कई सालों से कोर्स रिवाइज नहीं हुआ था। इतने सालों में कई बीमारियां खत्म हो गई लेकिन कोर्स में उन्हें ही पढ़ाया जा रहा है। पहले के एथिक्स और कम्युनिकेशन में भी बदलाव आया है ऐसे में नया कोर्स आज की जरूरत के हिसाब से तैयार किया गया है। इससे एमबीबीएस डॉक्टर ज्यादा बेहतर होंगे और मरीजों के साथ उनका अच्छा व्यवहार भी बनेगा।
डॉ. आरसी शर्मा, कुलपति, मप्र चिकित्सा विवि
नए कोर्स में प्रैक्टिकल पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। एमबीबीएस के पहले साल से ही छात्र अस्पतालों में जाएंगे। इससे वे मरीजों की परेशानियों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। पहले जो कोर्स पीजी के दौरान पढ़ाए जाते थे, वे सभी एमबीबीएस में पढ़ लेंगे, इससे उनके कौशल में विकास होगा।
डॉ. राकेश मालवीय, एसो. प्रोफेसर, जीएमसी
नए सिलेबस से फायदा तो होगा। एमबीबीएस के दौरान योग और मेडिटेशन से मेंटल स्टे्रस कम होगा और कम्युनिकेशन से भी फायदा होगा। प्रेक्टिकल मिलने से पीजी में पहुंचने पहले ही बेसिक इतना मजबूत हो जाएगा कि का बेहतरीन डॉक्टर बनेगा।
डॉ. आदर्श वाजपेयी, पूर्व जूडा अध्यक्ष
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