इस मामले में बदायूं के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रेम चंद्र यादव ने बताया कि जांच की सूचना उनके पास सीडी के माध्यम से आयी है। उसके बाद स्थानीय स्तर पर जांच कराने पर 88 शिक्षकों के मामले फर्जी पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि सूची में फेक और टेंपर्ड करके दो कैटेगरी में फर्जीवाडे के मामले को बताया गया है। टेंपर्ड में वे लोग हैं जिन्होंने मार्कशीट में छेड़छाड़ करवाई है। लेकिन दोनों को ही फर्जीवाड़े का दोषी माना गया है। उन्होंने फर्जी पाए गए 88 शिक्षकों की सूचना शासन को भेज दी है। उनका कहना है कि इन 88 लोगों को पत्र जारी किया जाएगा, उसके बाद इनकी सेवा समाप्त की जाएगी।
ऐसे शिक्षकों को भेजें जेल
वहीं इस मामले में शिक्षक नेता सतीश चंद्र मिश्रा का कहना है कि यदि सही से जांच की जाए तो जनपद में 88 से भी ज्यादा शिक्षकों का फर्जीवाड़ा मिल सकता है। उनका कहना है कि इस मामले में इस काम को बढ़ावा दलाल देते हैं। इसकी सही से जांच की जाए तब असली दोषी पकड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े से गलत संदेश गया है। शिक्षकों की गरिमा पर सवाल उठा है। यदि शिक्षक ही फर्जी होंगे तो छात्रों का क्या होगा। ऐसे शिक्षकों को जेल भेजना चाहिए।
ये है पूरा मामला
दरअसल प्रदेश सरकार को जानकारी हुई थी कि आगरा विवि से बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने वर्ष-2005 में बिना प्रवेश लिये बीएड की डिग्री प्राप्त की है। ये लोग परिषदीय विद्यालयों सहित तमाम जगहों पर बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर शिक्षक-शिक्षिकाओं की नौकरी कर रहे हैं। लेकिन सत्यापन की जानकारी कराये जाने की जानकारी होते ही गड़बड़ी करके सत्यापन सही करवा लेते है। इससे उनकी नौकरी पर असर नहीं पड़ रहा है। इस मामले को प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लेते हुए एसआईटी से जांच करवायी थी। उस दौरान जांच में करीब पांच हजार ऐसे फर्जी बीएड डिग्री धारक का खुलासा हुआ। एसआईटी ने प्रदेश सरकार को संस्तुत किया था कि ऐसे लोगों की एक बार फिर से जांच करवाकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये।
वहीं इस मामले में शिक्षक नेता सतीश चंद्र मिश्रा का कहना है कि यदि सही से जांच की जाए तो जनपद में 88 से भी ज्यादा शिक्षकों का फर्जीवाड़ा मिल सकता है। उनका कहना है कि इस मामले में इस काम को बढ़ावा दलाल देते हैं। इसकी सही से जांच की जाए तब असली दोषी पकड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े से गलत संदेश गया है। शिक्षकों की गरिमा पर सवाल उठा है। यदि शिक्षक ही फर्जी होंगे तो छात्रों का क्या होगा। ऐसे शिक्षकों को जेल भेजना चाहिए।
ये है पूरा मामला
दरअसल प्रदेश सरकार को जानकारी हुई थी कि आगरा विवि से बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने वर्ष-2005 में बिना प्रवेश लिये बीएड की डिग्री प्राप्त की है। ये लोग परिषदीय विद्यालयों सहित तमाम जगहों पर बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर शिक्षक-शिक्षिकाओं की नौकरी कर रहे हैं। लेकिन सत्यापन की जानकारी कराये जाने की जानकारी होते ही गड़बड़ी करके सत्यापन सही करवा लेते है। इससे उनकी नौकरी पर असर नहीं पड़ रहा है। इस मामले को प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लेते हुए एसआईटी से जांच करवायी थी। उस दौरान जांच में करीब पांच हजार ऐसे फर्जी बीएड डिग्री धारक का खुलासा हुआ। एसआईटी ने प्रदेश सरकार को संस्तुत किया था कि ऐसे लोगों की एक बार फिर से जांच करवाकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये।